ज्ञात अज्ञात शहीदों की याद में बनाया गया यह शहीद स्मारक.
राजनीतिक, सामाजिक संगठन भूल गए शहीद स्मारक का रास्ता

फतह सिंह उजाला

पटौदी । पराक्रम दिवस, संडे को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के उपलक्ष पर मनाया गया। पटौदी क्षेत्र में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों सहित सैनिक संगठनों के द्वारा गांव-गांव में और गांव की चौपाल में स्कूलों में पराक्रम दिवस के मौके पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए साथ में सभी ज्ञात अज्ञात शहीदों को समरण कर श्रद्धा के साथ नमन किया गया।

लेकिन पराक्रम दिवस 23 जनवरी संडे को पटौदी के शहीद स्मारक पर ताला ही लटका रहा। इसी के बगल में पटौदी के एमएलए और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता का ऑफिस भी है । यहीं पर संडे को भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया । हैरानी इस बात की है कि 20 फुट की दूरी पर मौजूद पटौदी शहर के शहीद स्मारक पर किसी ने दो फूल चढ़ाना भी जरूरी नहीं समझा। जिससे कि ज्ञात और अज्ञात सभी शहीदों का सम्मान करते हुए उन्हें भी याद कर लिया जाता। गौरतलब है कि 2 दिन बाद ही गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को धूमधाम के साथ में मनाया जाना है और इसी शहीद स्मारक पर उस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात शहीदों को याद करते हुए पुष्प चक्र भी अर्पित किए जाएंगे और सलामी भी दी जाएगी। लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती जो कि पराक्रम दिवस के रूप में मनाई गई। ऐसे मौके पर पटौदी के शहीद स्मारक जोकि ज्ञात-अज्ञात शहीदों की याद में बनया गया है, यहां पर साला ही लटका रहा।

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