1996 में 24 जनवरी के दिन ही इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थीं.

 गुरुग्राम 24 जनवरी।  बालिका के लिये राष्ट्रीय कार्य दिवस के रुप में हर वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। देश में लड़कियों को आत्मनिर्भर और अहम दर्जा देना इस दिवस का उदेश्य है। समाज में बालिका को असमानताओं को मिटाने के लिए लोगों के बीच जागरुकता को बढ़ाना इस दिवस को मनाने का लक्ष्य है। बालिकाएं के साथ भेद-भाव एक बड़ी समस्या है जो कई क्षेत्रों में फैला है जैसे शिक्षा में असमानता, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सीय देख-रेख, सुरक्षा, सम्मान, बाल विवाह आदि। भारतीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय बालिका विकास मिशन के रुप में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत हुई। लड़कियों की उन्नति के महत्व के बारे में पूरे देश के लोगों के बीच ये मिशन जागरुकता को बढ़ाता है। यह दूसरे सामुदायिक सदस्यों और माता-पिता के प्रभावकारी समर्थन के द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में लड़कियों के सार्थक योगदान को बढ़ाता हे।

2008 में हुई थी शुरुआत
राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत साल 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी. हर साल 24 जनवरी को सभी राज्यों में इसे अलग-अलग तरीके में मनाया जाता है. राज्य की सरकारें अपने स्तर से जागरूकता की पहल करती हैं. बता दें, हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम अलग-अलग रखी जाती है.बालिका दिवस साल 2021 की थीम ‘डिजिटल पीढ़ी, हमारी पीढ़ी’ थी. वहीं साल 2020 में बालिका दिवस की थीम ‘मेरी आवाज, हमारा समान भविष्य’ थी.

24 जनवरी का दिन बालिका दिवस को मनाने के लिए इसलिए चुना गया है, क्योंकि 1996 में 24 जनवरी के दिन ही इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थीं. यह दिन महिला सशक्तिकरण के लिहाज से भारतीय इतिहास में एक खास महत्वपूर्ण घटना थी. इसलिए इस दिन को ही बाद में राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है.

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