पंचकूला 22 जनवरी- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भ्रष्टाचार की गंगोत्री बनता जा रहा है और सरकार के पारदर्शिता और बिना पर्ची और खर्ची की सरकार एक दिखावा बन कर रह गई है। हरियाणा प्रदेश के लोगों का यह दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि हरियाणा में विकास के नाम पर लगने वाली प्रत्येक ईट पर भ्रष्टाचार की एक मोटी परत चढ़ी हुई है । जिन लोगों से गुमराह करके वोट हासिल किए गए उनके साथ धोखा किया गया है।

उन्होंने कहा कि अभी पुलिस सिपाही और उप निरीक्षक पुलिस और डैंटल सर्जन का भर्ती घोटाला शान्त भी नहीं हुआ था कि अचानक महिला सिपाही भर्ती घोटाला सामने आया है जिसमें 1100 में से 72 अभ्यर्थियों के शपथ पत्र गलत पाए गए हैं। इससे कर्मचारी चयन आयोग की साख पर एक बार फिर प्रश्न चिह्न लग गया है। उन्होंने कहा कि अब तो यह सरकार और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पर्यायवाची बन कर रह गए हैं। उन्होंने कहा कि अखबारों की सुर्खियों में आजकल घोटाले और भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों की फेहरिस्त ही अखबारों की सुर्खियां बनी होती है।

चन्द्र मोहन ने कहा कि कांग्रेस शासन काल के दौरान हरियाणा की चर्चा देश के विकासशील राज्यों के प्रथम पंक्ति में होती थी आज वही राज्य भ्रष्टाचार और मंहगाई दोनों ज्वलंत मुद्दों में देश में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है और यह उपलब्धि हरियाणा प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की जन विरोधी नीतियों के कारण संभव हो पाई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जिस प्रकार से हरियाणा सिविल सर्विस और तहसीलदार स्तर के अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामलो में गिरफ्तार किया जा रहा है उससे एक बात तो स्पष्ट है कि प्रदेश में अफसरशाही बेलगाम हो चुकी है और मुख्यमंत्री और हरियाणा सरकार के इशारे पर भ्रष्टाचार का नंगा नाच हो रहा है।

चन्द्र मोहन ने मांग की है हरियाणा लोक सेवा आयोग और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा भर्तियों में आज तक जो घोटाले हुए हैं उनकी जांच हाईकोर्ट के किसी जज से करवाईं जाए ताकि प्रदेश के हताश और निराश लोगों को संजीवनी मिल सके। इस बिना पर्ची और खर्ची की सरकार का नकली आवरण उतर गया है इस लिए यह जरुरी है कि भाजपा के शासनकाल में अब तक की हुई सभी भर्तियों की हो उच्च स्तरीय जांच निष्पक्ष तरीके से करवाई जाए और हरियाणा लोक सेवा आयोग और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को तुरंत भंग करके भविष्य में सभी भर्तियां पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय की देखरेख में करवाई जाए।

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