कमलेश भारतीय एक समाजसेवी संस्था की पत्रकार वार्ता में गया । वहां किसी गांव में सिलाई स्कूल खोलने की चर्चा हुई । संस्था ने यों ही पत्रकारों से सुझाव मांगा कि कोई गांव आपके ध्यान में हो तो बताएं । मैंने अपने ही गांव की जानकारी दी । वहां कभी सिलाई स्कूल नहीं खुला । सुझाव स्वीकार हो गया । गांव के सरपंच से बात की । पंचायत भवन में समारोह रखा गया । लड़कियां इतनी उत्साहित कि साठ सिलाई सीखने को तैयार । सबने पहले ही नाम लिखा दिए । भव्य उद्घाटन समारोह हुआ । बाद में जलपान । जब राजनीतिक अतिथि चले गये तब एक लड़की झिझकती हुई मेरे पास आई ।-कुछ बात करनी है । उसने धीमी आवाज में कहा । बताओ । पाजी । सरपंच ने पांच पांच रुपये लिए हैं , हम लड़कियों से । तभी सरपंच साहब आ गये । बात उन्होंने सुन ली थी ।एकदम से बोले -चाय क्या गुरुद्वारे ले जाकर पिलाता ? उसके लिए हैं । समाजसेवी संस्था भी इस समाजसेवा से भौंचक्की रह गयी । मैं निरुत्तर । Post navigation लघुकथा…..दास्तान-1990 मंत्री की कार्यवाही और अधिकारी टूर पर