पवन कुमार

रेवाड़ी,12 जनवरी I प्रशासन ने स्कूलों को 26 जनवरी तक बंद रखने के आदेश दिये है ताकि ओमिक्रोन वायरस बच्चों को अपनी चपेट में ना लेले I प्राइवेट स्कूल इस वक़्त बड़े कठिन दौर से गुजर रहे,खासकर वह स्कूल जो बैंक से लोन लेकर बनाये गये है I उन स्कूलों की बैंक कि किस्त उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है जो करोना काल में स्कूलों के लिए पहाड़ साबित हो रही है और दूसरा उनपर करोना के कारण प्रशासन की मार I जहां स्कूल खुले नहीं की उन्होंने अविभावकों पर फीस जमा कराने के लिए दबाव बनाना शुरू कर देते I

अविभावक फीस दे भी तो कहां से जब उनके या तो रोजगार ठप है या फिर नौकरी छूटी हुई है I जिन बच्चों की फीस नहीं आती तो उनके अविभावको पर मानसिक दबाव बनाने के लिए स्कूल संचालक बच्चों को बेंच पर या धूप में खड़ा कर देता है I बच्चों को फीस के नाम पर यातनायें देना कानूनन जुर्म है और स्कूल के संचालको के खिलाफ उचित कानूनी कारवाई कि जा सकती है और वह तभी संभव है जब कोई अविभावक शिकायत करे,और अविभावक शिकायत इसलिए नहीं करते कि स्कूल संचालक कहीं उनके बच्चों का भविष्य ख़राब ना कार दे I

स्कूल संचालको को पढ़ाई से ज्यादा फीस से मतलब है, क्योंकि फीस के दम पर ही उन्होंने इतनी बड़ी बिल्डिंग खड़ी कर रखी है I बार-बार स्कूल बंद होने से फीस पर भी ब्रेक लगने कि सम्भावना बढ़ जाती है I कुछ दिमाग़दार स्कूल संचालको ने एक नया फार्मूला निकाला है कि सांप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे, यानी सरकारी आदेशों का पालन भी हो जाये और फीस भी आ जाये I उसके लिए स्कूल संचालको ने एक फार्मूला निकाला है I

उन्होंने बच्चों से कहा है कि स्कूल ड्रेस में स्कूल नहीं आओगे,किसी बस में बैठकर स्कूल नहीं आओगे और अगर कोई रास्ते में पूछले तो ना तो स्कूल का नाम बताओगे और ना ही किसी से इसका जिक्र करोगे कि स्कूल जा रहे हो I यह सब ड्रामा बच्चों कि पढ़ाई से ज्यादा अपनी फीस वसूलने के लिए किया जा रहा है I शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह स्कूलों पर निगरानी रखे और ऐसे संचालको के खिलाफ कठोर करवाये करे I

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