11 जनवरी 2022 – श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की 56वीं पुण्यतिथि पर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष व हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पाजंली अपित्त करके अपनी भावभीनी श्रद्घाजंली दी। कपिल यादव, अमन कुमार, अजय कुमार ने भी अपने श्रद्घासुमन श्री शास्त्री को अर्पित किए। इस अवसर विद्रोही ने कहा कि 56 वर्ष पूर्व ताशकंद में अचानक पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत से पूरा भारत स्तब्ध हो गया था। 1965 को भारत-पाकिस्तान युद्घ में भारतीय सेनाओं को विजय के बाद श्री शास्त्री जी शांति समझौते के लिए ताशंकद गए थे। उस समय किसी ने सोचा भी नही था कि रूस ताशकंद से शास्त्री जी जीवित नही अपितु उनका पार्थिव शरीर देश में आयेगा। पं० जवावरलाल नेहरू के अन्नय भक्त श्री शास्त्री जी पंंडित जी की मृत्यु के बाद देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री के अपने मात्र 18 माह के अल्प कार्यकाल में उन्होंने जो अपना प्रभाव छोड़ा, उससे देश आज भी प्रेरणा लेता है। 

विद्रोही ने कहा कि ईमानदारी व सादगी के प्रतीक लाल बहादुर शास्त्री विषम परिस्थितियों में अपना बालकाल में संघर्ष करते हुए शिक्षा प्राप्त की। युवा अवस्था में ही वे गांधी जी एवं नेहरू जी से प्रभावित होकर देश की आजादी की लड़ाई में कूद गए और कांग्रेस में रहकर देश की आजादी के लिए जेल यात्राएं की। आजादी के बाद वे पंडित जवाहर लाल नेहरू के मंत्रीमंडल में मंत्री रहकर पंडित जी के अन्नय सहयोगी बने। प्रधानमंत्री के रूप में उनकी ईमानदारी भारत में ही नही अपितु पुरी दुनिया में मिसाल है। जय जवान-जय किसान का दिया हुआ उनका ऐतिहासिक नारा भारत के पूरे समाज में प्रगति का सूत्रधार बना। किसानों को जो महत्व शास्त्री जी ने देकर उन्हे गौरांवित किया, उस प्रेरणा से देश के किसानों ने आगे चलकर हरित क्रांति इंदिरा जी के नेतृत्व में करके भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया। 

विद्रोही ने कहा कि जहां आज के नेता राजनीति को व्यापार समझकर सत्ता व जनप्रतिनिधि होने के बल पर करोड़पति-अरबपति बन रहे है, वहीं प्रधानमंत्री रहकर भी श्री शास्त्री जी के देहवासन के बाद उन्होंने अपने परिवार के लिए सम्पत्ति छोडऩा तो दूर की बात है बल्कि शास्त्री जी अपने परिवार के लिए कर्ज छोडक़र इस दुनिया से गए। शास्त्री जी की देश सेवा के प्रति समर्पित भावना, ईमानदारी व सादगी का जीवन आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। शास्त्री जी के जीवन से प्रेरणा लेकर राजनीति में ईमानदारी व सादगी से रहकर देश व समाज की सेवा का संकल्प लेकर ही सही अर्थो में शास्त्री जी को उनकी पुण्यतिथि पर सच्ची श्रद्घाजंली है। 

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