आरती राव को स्थापित करने के लिए नांगल चौधरी से उतारा जाएगा?ठिठुरती ठंड के बीच सियासत की पोस्टर वार ने ला रखी है दक्षिण हरियाणा में गर्माहटपोस्टर युद्ध से अन्य विधानसभा क्षेत्र के स्थापित भाजपा नेता खफा पर सार्वजनिक बयानबाजी से परहेजबीजेपी विधायक अभय सिंह यादव ने हुड्डा सरकार के भर्ती कांड के दस्तावेज नहीं दिए विधानसभा को विधानसभा के पटल पर जनप्रतिनिधियों की ऐसी अशोभनीय भाषा आज से पहले कभी नहीं देखी! अशोक कुमार कौशिक 2014 में भाजपा में शामिल होने के बाद से ही राव अपने साथ-साथ अपनी राजनीतिक विरासत का पुख्ता इंतजाम करने के फिराक में रहे हैं। एक तरफ वह अपने लिए मुख्यमंत्री अथवा कैबिनेट मंत्री का पद प्राप्त करने के लिए ललायित थे तो दूसरी तरफ अपनी बेटी को राजनीति में स्थापित करके अपनी विरासत को सुरक्षित करना चाहते है। उन्हें ऐसा लग भी रहा था कि शायद इनका मुख्यमंत्री बनने का सपना तो पूरा ना हो पर उनकी यह दोनों इच्छाएं तो पूरी हो ही जाएंगी। इसके लिए उन्होंने कई स्तर पर योजना बनाकर काम करना प्रारंभ किया। नांगल चौधरी का चयन बड़ी सोच और सुलझी राजनीति का हिस्सा है जिसके माध्यम से बेटी आरती राव का स्थापित करना, अपने धूरविरोधी डॉक्टर अभय सिंह को शिकस्त देना तथा भाजपा में अपना दबदबा कायम रखना दूर की सोच का हिस्सा प्रतीत होता है। राव को इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दो स्तर पर काम करना था। सबसे पहले तो राजनीति में मैदान साफ करने के लिए विरोधियों का सफाया जरूरी था जिसमें उन्होंने काफी हद तक कामयाबी हासिल की। कुछ विरोधियों को 2014 में हटाया तथा जो बच गए उनमें से अधिकांश को 2019 के चुनाव की टिकट के समय निपटा दिया। 2014 से 19 के बीच राव ने अपने अपनी बेटी की अपेक्षा अपने लिए ज्यादा मांग की, परंतु 2019 आते-आते उन्होंने अपनी बेटी को स्थापित करने की योजना पर अधिक कारगर ढंग से काम किया। इस कड़ी में उन्होंने 2019 की टिकट वितरण के समय लगभग मैदान साफ कर दिया था। उनकी इच्छा के खिलाफ अहीर विधायकों में केवल नांगल चौधरी के विधायक डॉ अभय सिंह यादव को ही टिकट दिया गया था। परंतु उनको भी निपटाने के लिए चुनाव के समय अपनी पूरी टीम को खुलेआम विपक्षी उम्मीदवार की स्टेज पर भेज दिया था। यह दीगर बात है कि उनको सफलता नहीं मिली। राव अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटे और उन्होंने पार्टी को अपना रौद्र रूप दिखाते हुए उनको मंत्रिमंडल के दरवाजे से वापस भिजवा दिया। इसके बाद डॉक्टर के रास्ते सभी तरफ से बंद करने की कार्यवाही आरंभ कर दी। उसी कड़ी में नायन को रैली के लिए चुना गया। इससे पहले वह कोरियावास में अपनी ताकत दिखा चुके है। हाल ही के कैबिनेट विस्तार से पहले की चर्चाओं में भी अहीरवाल में अभयसिंह को मंत्री बनाने के लिए बड़ी उम्मीदें थी। परंतु राव का कद और उनका राजनीतिक हठ शक्तिशाली निकला।” रामपुरा हाउस” की अपनी एक शैली है जो उनके पिता बिरेंद्रसिंह के समय से चली आ रही है। वह अपने प्रशंसकों की एक टोली हमेशा सक्रिय रखते हैं जो हर जनसभा में उनके ‘बबरी शेर’ के नारे लगाती है। यह टोली हर जनसभा में स्टेज से कुछ दूरी पर देखी जाती है । यह नहीं है कि यह नारा झूठा है। समय समय पर राव पार्टी को बबरी शेर का ही रूप दिखाते हैं । वह पार्टी में स्थिति को महाभारत के भीष्मपितामह की तरह करने में निपुण हैं। पिछले दिनों पाटोदा रैली में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष की उपस्थिति में आरएसएस को भी नहीं बख्शा और प्रदेश अध्यक्ष की स्थिति वास्तव में ही द्रोपदी के चीर हरण के समय भीष्म पितामह जैसी नजर आ रही थी। इसके विपरित मुख्यमंत्री की बावल रैली में उन्होंने नरम होने का नाटक किया परंतु अपने समर्थकों को रैली के नजदीक भी नहीं फटकने दिया। यह वह शैली है जिसमें पार्टी को आंखें दिखाना और अपनी शक्ति प्रदर्शन का इजहार करना एक तरीका है। परंतु रामपुरा हाउस की विरासत को पूर्ण रूप से सुरक्षित करने के लिए अभी भी अड़चन बाकी है। नांगल चौधरी के विधायक राव राजा के गले की फांस बना हुआ है। अभय सिंह ने नौकरशाही से राजनीति में प्रवेश किया था परंतु उन्होंने राजनीति का जो नमूना जनता के सामने पेश किया वह नायाब सिद्ध हुआ। अखबारों में ढूंढ ढूंढ कर विकास की खबरें देना उनका प्रमुख शगल हैं। मुख्यमंत्री का विश्वास जीतने के बाद उनकी शह से एक के बाद एक बड़े बड़े प्रोजेक्ट क्षेत्र में लाने में कामयाब रहे। यह व्यक्ति राव के विरोध के बावजूद भी बड़ी होशियारी से खामोशी साधे हुए है। न कभी सार्वजनिक रूप से राव की निंदा करता है और न ही कभी सार्वजनिक विरोध करता है। मुख्यमंत्री की शह से विकास को डॉ अभय सिंह एक मुद्दा बनाने में कामयाब हो गए और अपनी पहचान क्षेत्र में कथित विकास पुरुष की बना डाली। चुनाव के दौरान राव की पुरजोर खिलाफत और उसके बाद मंत्रिमंडल से वंचित करने के उपरांत भी पार्टी से कोई न शिकायत और न ही पार्टी से कोई अपेक्षा। अपने लोगों के बीच में बहुत समय लगाते हैं तथा सबसे बड़ी बात यह है कि अपने परिवार को राजनीति से सफलतापूर्वक दूर रखे हुए हैं। परिवारों पर लगने वाले आरोपों से वह बचे हुए हैं। पर हाल ही में विधानसभा में उनकी इस छवि को तोड़ दिया। अब उनके परिवार में अफसरशाही की भरमार को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इन दिनों दक्षिणी हरियाणा में सर्द हवाओं के बीच क्षेत्र की राजनीति में गर्मी आई हुई है। एक तरफ जहां दक्षिण हरियाणा के राव राजा कहे जाने वाले इंदरजीत सिंह अपनी राजनीतिक विरासत और दबदबा कायम रखने में लगे हैं तो वही नांगल चौधरी के विधायक अपने को कुशल स्थापित नेता और क्षेत्र का हितैषी सिद्ध करने की कवायद में लीन हैं। 16 जनवरी को राव इंदरजीत सिंह की पुत्री आरती राव का नांगल चौधरी के गांव नायन में होने वाला कार्यकर्ता सम्मेलन भी सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां यह कहना भी मुनासिब होगा कि जब जब डॉक्टर को मंत्रिमंडल से दूर किया जाता है तो क्षेत्र में एक सहानुभूति उनके पक्ष में आती है। डॉक्टर केवल मुख्यमंत्री मनोहर लाल की शह पर राव का महेंद्रगढ जिले में बड़ी खामोशी से विरोध कर रहे है। समय-समय पर विभिन्न मुख्यमंत्रियों की शह पर रावराजा के खिलाफ अघोषित युद्ध अभी तक सफल नहीं हो पाया है। वही 70 वर्षों की राजनीति में रामपुरा हाउस की लोकप्रियता भी कुछ घटी है पर कम नहीं हुई, बल्कि पूर्व की तरह धमक जनता के बीच आज भी कायम है। अहीरवाल के क्षत्रप बिरेंदर सिंह के बाद राव इंदरजीत सिंह ने उनकी राजनीतिक विरासत को संभाला और लोकप्रियता को बढ़ाया है। अब वह अपनी उस विरासत को अपनी सपुत्री आरती राव को हस्तांतरण में जुटे है। पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के साथ पिता के विरोधी के साथ दो-दो हाथ करने के लिए नांगल चौधरी रण क्षेत्र का चयन करके एक तीर से कई शिकार करने की कवायद में अब आरती राव जुट गई है। वह यह सिद्ध करने में जुटी है कि वह कुशल नेतृत्व देने में सक्षम है। अभय सिंह यादव को उनको अपने क्षेत्र में ही समेटने की तैयारी के साथ राव राजा इंदरजीत सिंह की सुपुत्री आरती राव 16 जनवरी को कार्यकर्ता सम्मेलन कर अपनी लोकप्रियता दर्शाने के साथ अघोषित शक्ति प्रदर्शन की ताल ठोक रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो आरती राव नांगल चौधरी से विधानसभा का चुनाव भी लड़ सकती है। अगर ऐसा होता है तो अभय सिंह यादव के लिए भविष्य काफी जटिल हो जाएगा। हालांकि अभय सिंह समर्थक उनके बाहरी होने की बात कह कर विरोध जता रहे हैं। *पोस्टर वार*बड़े सधे ओर सजग तरीके से अभय सिंह यादव ने जिले भर में पोस्टर वार छेड़ कर इसका मौन जवाब दे रहे है। दिसंबर की सर्द हवाओं के बीच चल रहे पोस्टर तथा अखबारों में विज्ञापन के जरिए अघोषित चुनौती दी जा रही है। दोनों नेताओं के समर्थक भी सोशल मीडिया पर एक दूसरे पर कटाक्ष करते नजर आ रहे हैं। विधायक अभय सिंह यादव ने एक समाचार पत्र में नववर्ष की शुभकामनाओ का पूरे जिले से देकर अपने को स्थापित करने का प्रयास किया है। उनके समर्थकों ने नए साल पर शुभकामनाएं देकर पोस्टरों से जिले भर के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों को पाट सा दिया है। अभय सिंह यादव की ये पोस्टर वार अपनी लोकप्रियता दिखा दूसरे नेताओं को बौना दिखाने का असफल प्रयास है। नांगल चौधरी से बाहर अटेली, महेंद्रगढ़ तथा नारनौल विधानसभा क्षेत्रों में पोस्टर युद्ध के द्वारा वह एक साथ कई मोर्चे खोल रहे है। उनके इस पोस्टर युद्ध से न केवल रामपुरा हाउस खफा है अपितु महेंद्रगढ़ से पंडित रामविलास शर्मा, नारनौल से मंत्री ओमप्रकाश यादव तथा अटेली से विधायक सीताराम यादव भी अपने आप को असहज महसूस कर रहे हैं। यह दिगर बात है कि अभी तक उन्होंने खुलकर कोई वक्तव्य नहीं दिया है। लेकिन उनके समर्थक अपनी नाराजगी बातचीत के माध्यम से दर्शा रहे हैं। * * विधानसभा मे भी पांसे उल्टे पड़ गए विधायक केहाल ही में संपन्न हुए विधानसभा सत्र में मंत्री पद की चाहत में भाजपा हाईकमान का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की चेष्टा में अभय सिंह यादव कामयाब नहीं हो पाए। हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में ये पहली बार हुआ कि भाजपा के नांगल चौधरी विधायक का विधानसभा में यह कहना कि “सन 1982 से पब्लिक सर्विस कमीशन में क्या हुआ? मुझे सब पता है”डॉक्टर अभय सिंह यादव ने ये भी कहा कि “हुड्डा सरकार के समय की दो OMR सीट उनके पास अभी भी है, जो किसी ने व्हाट्सएप पर उनको भेजी थी!” किसी के व्यक्तिगत दस्तावेज और वो भी OMR सीट जैसा महत्वपूर्ण व गोपनीय दस्तावेज लीक होना अपने आप में बहुत बड़ी बात है , क्योंकि OMR शीट कोई आम दस्तावेज नहीं होता, यह दस्तावेज किसी भी नौकरी की भर्ती के दौरान उस भर्ती से संबंधित कमीशन के पास ही होता है तो इनके पास फिर 2 OMR सीट भर्ती प्रक्रिया के दौरान कहां से आ गई? उपरोक्त दोनो बिंदुओं से यह प्रतीत होता है कि हुड्डा सरकार के उस समय के आईएएस अधिकारी रहे डॉ अभय सिंह यादव भी इन सब चीजों से काफी लंबे समय से जुड़े हुए हैं! जब इनेलो के नेता अभय चौटाला ने डॉ अभय सिंह यादव पर सदन में सवाल उठाते हुए कहा कि OMR शीट का आपके पास होना यह साबित करता है कि कहीं ना कहीं आप भी इस रैकेट में शामिल थे तो वह बगले झांकने लगे और गुस्से में आकर उन्होंने अभय सिंह चौटाला को कहा कि मुझे आपसे यही उम्मीद थी। विधानसभा के पटल पर जनप्रतिनिधियों की ऐसी अशोभनीय भाषा आज से पहले कभी नहीं देखी! विरोधियों ने तो हरियाणा सरकार से मांग कर दी कि डॉ अभय सिंह यादव के द्वारा हरियाणा विधानसभा में जो कहा गया उस कथन के संदर्भ में सीबीआई जांच होनी चाहिए और पूरा दूध का दूध व पानी का पानी होना चाहिए। इस पूरे लंबे अंतराल में डॉ अभय सिंह यादव के परिवार में जितने भी उच्च पदों पर अफसर की नौकरियां मिली, उन सब भर्तीयों की भी सीबीआई से जांच होनी चाहिए! अब राव राजा के समर्थक यह कहते नहीं थक रहे कि जनाब इतना गुस्सा होना ठीक नहीं है, किसी ने सही कहा है कि सच बात कभी न कभी जुबान पर तो आ ही जाती है, तो इसमें गुस्सा क्या होना और आप ही 2014 में नौकरी से वीआरएस लेकर अभय चौटाला की पार्टी से टिकट लेने व स्वार्थपरक अपनी राजनीतिक पारी शुरुआत करने के पूरे जुगाड़ में थे। अपनी कोठी पर इनेलो का झंडा लगाकर आपने उनको अपनी कोठी पर आमंत्रित भी किया था। यह दीगर बात है कि इनेलो से विधानसभा का टिकट नहीं मिलता देख आपने तुरंत पलटी मारते हुए बाबा रामदेव की उंगली पकड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। अब राव इंदरजीत सिंह समर्थक और अन्य विरोधी हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में हम डॉ अभय सिंह यादव के परिवार के इतने सारे सदस्यों को उच्च पदों पर मिली नौकरियों के बारे में कहते है कि “एक ही घर में डीएसपी, एसपी, डीसी…सभी बड़े बड़े अधिकारी…. एक ही घर में है, क्या अहीरवाल का सारा का सारा टैलेंट एक ही घर में पैदा हो गया?” विधानसभा में डॉ अभय सिंह यादव का बड़बोलापन निरर्थक साबित हुआ और वह मंत्री पद से मरहूम रह गए। उनके क्षेत्र में रैली करके अब उनकी रही सही मरोड़ रावराजा निकालने में जुटे हैं। सुनने में तो यह भी आ रहा है कि राव राजा इंद्रजीत सिंह दक्षिण हरियाणा में अपना दबदबा कायम रखने और अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने पूरा मन बना चुके हैं। नांगल चौधरी के बाद यह क्रम महेंद्रगढ़ और अटेली में भी दोहराया जाएगा। लेकिन एक बात तो तय है चाहे जो भी हो आगामी विधानसभा चुनाव में नांगल चौधरी सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है। यह तो वक्त और यहां की जनता ही तय करेगी कि किसके हाथ में होगी सत्ता की चाबी और किसके हाथ से फिसलेगी सत्ता। Post navigation गौड सभा के चुनाव विवाद के बाद अब सैनी आश्रम पीरआगा की शिकायत पहुंची डीसी दरबार मोदी ने एक और तमाशा खड़ा कर दिया