नारनौल, पिछले कुछ सालों से नारनौल की कई सामाजिक संस्थाओं की चुनाव प्रक्रिया विवादित बनी हुई है। प्रशासन में इनकी शिकायत पहुंचने के बाद कई संस्थाओं पर प्रशासनिक रिसीवर तक नियुक्त है। अभी हाल ही में गत दिवस इसी तरह के विवाद के कारण नारनौल की गौड सभा पर जिला रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा पांच लोगों की एक कमेटी नियुक्त करके सभा के चुनाव करवाने व देखरेख संबंधी आदेश जारी किए गए हैं। अब इसी कडी में मंगलवार को नारनौल के पीरआगा मोहल्ला स्थित सैनी आश्रम रजिस्टर्ड के चुनाव करवाने की मांग को लेकर एक शिकायत डीसी दरबार में पहुंच गई है।

सैनी आश्रम रजिस्टर्ड के आजीवन सदस्य मुकेश कुमार, दिनेश कुमार, जगदीश प्रसाद, पवन सैनी, कैलाशचंद सैनी, बनवारी लाल, हरीश कुमार, राजेश कुमार, महेंद्र सैनी, कमल कुमार, मोहन लाल, अमित कुमार, विनोद कुमार, नरेश कुमार व राधेश्याम आदि सदस्यों ने जिला उपायुक्त को लिखी एक शिकायत में कहा कि सैनी आश्रम पीरआगा सरकार के रजिस्टे्रशन एक्ट 2012 के तहत रजिस्टर्ड है। इस एक्ट के तहत किसी भी संस्था को नियमानुसार तय अवधि में चुनाव करवाने होते हैं और सारी प्रक्रिया के बारे में रजिस्ट्रार कार्यालय को भी सूचना देनी होती है।

शिकायत में कहा  गया है कि वर्ष 2013 से इस संस्था पर नरेंद्र उर्फ राजेश कुमार ने कब्जा किया हुआ है। इस संस्था के अंडरा में एक धर्मशाला, एक मंदिर, आठ दुकानें तथा एक मैरिज पैलेस आता है, जिसमें लाखों रुपये का टर्नओवर वार्षिक है। इसके अलावा सरकार द्वारा जारी ग्रांट भी इस संस्था को समय-समय पर मिली है। डीसी को लिखी शिकायत में संस्था के आजीवन सदस्यों ने कहा है कि जो भी संस्था सरकार के एक्ट 2012 के तहत रजिस्टर्ड है और सरकार की ग्रांट लेती है उसे नियमानुसार चुनाव करवाने होते हैं। संस्था के सदस्यों का कहना है कि नरेंद्र कुमार उर्फ राजेश ना तो चुनाव करवा रहा है और ना ही सदस्तया खोल रीहा है।

इन लोगों ने यह भी कहा कि नरेंद्र कुमार उर्फ राजेश से संस्था के हिसाब किताब बारे आरटीआई मांगी तो वह लडाई झगडे पर उतारू हो गया और सूचना देने से साफ इंकार कर दिया गया। शिकायतकर्ताओं ने अपनी शिकायत में यह भी लिखा है कि नरेंद्र कुमार कहता है कि उसका भाई अरविंद सैनी भाजपा  का सह मीडिया प्रभारी है, इसलिए उसका कोई कुछ नहीं बिगाड सकता। संस्था के सदस्यों ने जिला उपायुक्त से मांग की है कि वे इस संस्था के नियमानुसार चुनाव करवाने के लिए इसे अपने अधीन लेकर किसी प्रशासनिक अधिकारी की देखरेख में चुनाव संपन्न करवाये जाये।

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