ऋषि प्रकाश कौशिक 

अंडमान निकोबार में स्वतन्त्रता आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बहाने हरियाणा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनकड़ ने कांग्रेस को खूब कोसा। कांग्रेस को तो यहाँ भी कोसते रहते हैं फिर यह समझ नहीं आ रहा कि कॉंग्रेस को कोसने जैसे छोटे से काम के लिए 129 सदस्यों का शिष्टमण्डल लेकर अंडमान निकोबार द्वीप क्यों गए। 

ओमप्रकाश धनखड़ का पूरा प्रेस नोट पढ़ने के बाद स्पष्ट हो जाता है कि शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके पास कुछ विशेष ऐतिहासिक मसाला नहीं था।

प्रेस विज्ञप्ति में यह बताने की कोशिश की गई है कि कॉंग्रेस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस  और उन जैसे हज़ारों बलिदानियों के साथ धोखा किया है। किस तरह का धोखा किया, यह कहीं नहीं बताया। बार बार यह दोहराया गया है कि कॉंग्रेस ने फ्लैग पॉइंट को  डि-सेरेमोनियल कर दिया। बीजेपी का यही योगदान बताया गया है कि अटल जी की सरकार ने इसे सेरेमोनियल किया लेकिन मनमोहन सरकार ने उसे फिर डि-सेरेमोनियल कर दिया। उसे फिर मोदी सरकार ने सेरेमोनियल किया है।

धनकड़ ने डॉक्टर मनमोहन सिंह को अहंकारी बताते हुए कहा कि कि कॉंग्रेस ने शहीदों के साथ भेदभाव किया है और इतिहास मनमाने ढंग से लिखवाया है। काला पानी में जाकर मनमाने ढंग से इतिहास लिखवाने की बात करने से सभी को समझ आ रहा है कि धनकड़ की कौन सी रग दुख रही है। अब बीजेपी अपने तरीके से इतिहास लिखेगी। जिन लोगों को स्वतंत्रता सेनानी नहीं माना जाता, बीजेपी अपने तरीके से उन्हें भी देशभक्त साबित कर इतिहास लिखवाएगी। इसके लिए कॉंग्रेस को कोस कर पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है। 

धनकड़ शहीदों को श्रद्धांजलि देते समय भावुक भी हो गए। अंडमान निकोबार के लिए रवाना होने से पहले आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में इस संवाददाता ने उनसे पूछ लिया कि आप पहले यह तो बताएं के आपके जिले गुरुग्राम में कितने शहीद हैं और उनको कितना याद किया है। शहीदों के लिए भावुक होने वाले ओमप्रकाश धनखड़ के पास कोई जवाब नहीं था। उल्टे पत्रकार को चुप कराने की कोशिश की गई। यह भी आरोप लगाया गया कि कुछ पत्रकार प्रेस कांफ्रेंस में अव्यवस्था पैदा करते हैं। सवाल पूछना अव्यवस्था है तो पत्रकारों को बुलाते ही क्यों है। सीधे प्रेस विज्ञप्ति भिजवा दें। 

धनकड़ अपने घर के शहीदों को याद नहीं करते और राजनीति चमकाने के लिए अंडमान निकोबार पहुँच जाते हैं। सचमुच शहीदों के लिए दिल में प्रेम होता तो कभी तो वे अपने राज्य के ना सही, कम से कम अपने जिले के शहीदों को तो याद करते। यह शहीदों में भेदभाव नहीं तो और क्या है। अंडमान निकोबार के शहीदों के लिए प्रेम और यहाँ के शहीदों की घनघोर उपेक्षा। कैसे मान लिया जाए कि वे भावुक हो गए। भावनाएं होती हैं तो स्थान विशेष पर हिलोरें नहीं लेतीं, वो हर जगह उमड़ती हैं। 

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