ऊंचा माजरा गांव में डाले गए सीवरेज अब बन गए हैं जी का जंजाल.
नेताओं को वोट, अधिकारियों को सैलरी और ग्रामीणों को चाहिए समाधान.
ग्रामींणोंका अल्टीमेटम 5 दिन में समाधान नहीं तो फिर करेंगे रोड जाम.
गांव की गलियों में भरा गंदा पानी, सभी ग्रामींणों का जीवन बना नरक

फतह सिंह उजाला

पटौदी । नेताओं को वोट चाहिए, अधिकारियों को सैलरी चाहिए । लेकिन ग्रामीणों की मांग है कि उनकी समस्या का समाधान होना चाहिए । वोट बैंक के नजरिए से पटौदी विधानसभा क्षेत्र का ऊंचा माजरा गांव सांसद एवं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का वोट बैंक है। विधानसभा के चुनाव में भी सत्ता पक्ष भाजपा को ही इस गांव में भरपूर वोट प्राप्त हुए । गांव ऊंचा माजरा को सांसद एवं केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत के द्वारा पीएम मोदी के आह्वान के उपरांत समग्र विकास और सुविधाओं के लिए गोद भी लिया गया।

लेकिन जो सुविधाएं ग्रामीणों को मिलनी चाहिए थी, सुविधाओं के नाम पर यहां के विकास कार्य विशेष रुप से सीवरेज ग्रामीणों के जी का जंजाल बन चुका है । बुधवार को एक बार फिर से गांव ऊंचा माजरा के ग्रामीणों का वर्ष के अंतिम सप्ताह में और कड़ाके की ठंड में पारा गरम हो गया । इसका मुख्य कारण गांव की विभिन्न गलियों में भरा हुआ बदबूदार गंदा पानी है । इससे पहले अगस्त महीने में भी ग्रामीणों के द्वारा सीवरेज पाइप लाइन को लेकर जमकर हंगामा काटा गया और मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने तो यहां तक कहा था कि सीवरेज डालने की लापरवाही की जांच में जो भी दोषी अधिकारी होगा, खर्चा और हर्जा उसी अधिकारी से वसूल भी किया जाएगा ।

बीते कई दिनों से गांव ऊंचा माजरा कि मुख्य गलियों और रास्तों में भरे हुए गंदे पानी के कारण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हो चुके ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और इसके बाद में बिलासपुर और कुलाना के बीच मुख्य सड़क मार्ग पर गांव ऊंचा माजरा में ही सैकड़ों की संख्या में महिलाओं सहित ग्रामीणों ने रोड जाम कर सड़क पर धरना दे दिया । ग्रामीण अपनी समस्या के समाधान के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग को लेकर अड़े रहे । ग्रामीणों ने सबसे पहले महिलाओं के द्वारा मुख्य सड़क मार्ग पर पहुंचकर विरोध दर्ज करवाया गया। इसके बाद में पूरा गांव ही सड़क पर पहुंच गया । देखते ही देखते माजरा गांव के दोनों तरफ मुख्य सड़क मार्ग पर कई किलोमीटर दूरी तक वाहनों की लंबी लाइन लग गई। इसमें हरियाणा रोडवेज की बस से लेकर स्कूली वाहन तक जाम में फस रहे । जैसे ही स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को ग्रामीणों के द्वारा गांव ऊंचा माजरा में सड़क मार्ग पर धरना देने और जाम करने की जानकारी मिली तो संबंधित विभाग के अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए। आनन फानन में पटौदी के तहसीलदार सज्जन सिंह, नायब तहसीलदार रण सिंह गोदारा,  पीडब्ल्यूडी विभाग के सबडिवीजन इंजीनियर रितेश यादव , बीडीपीओ नवनीत कौर सहित पुलिस अधिकारी भी ग्रामीणों को समझाने के लिए मौके पर पहुंचे ।

अधिकारियों ने ग्रामीणों को बार-बार समझाया कि जल्द ही समस्या का समाधान कर दिया जाएगा । मौके पर मौजूद ग्रामीणों में वीरेंद्र, राम अवतार ,जय भगवान, ओम प्रकाश, धर्मवीर, मास्टर रूपचंद ,ओमवीर, राजेश, प्यारेलाल, राजेंद्र, सुभाष के अलावा मौजूद महिलाओं ने सवाल किया कि इससे पहले भी गुरुग्राम से अधिकारी आए थे और भरोसा दिलाया था कि 15 दिन में सीवर की समस्या का समाधान हो जाएगा , इसके बाद अधिकारी गायब हो गए । लौटकर गांव वालों की की परेशानी के बारे में जानना भी जरूरी नहीं समझा । तो ऐसे में कैसे और किस पर भरोसा किया जाए ? ग्रामीणों ने आरोप लगाया गांव में सीवर डालते समय लापरवाही बढ़ती गई , मनमाने तरीके से सीवरेज के पाइप लाइन डाले गए। जिसके कारण पूरा गांव आज नरक बन चुका है । बच्चों बुजुर्गों महिलाओं का घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है । कोई मेहमान रिश्तेदार भी आ जाए तो वह भी गांव के हालात देखकर बाहर से ही लौट जाता है । ग्रामीणों के द्वारा समस्या का समाधान नहीं किया जाने तक रोड जाम रखने की जिद को देखते हुए आनन- फानन में मौके पर मौजूद अधिकारियों के द्वारा जेसीबी मंगा कर गांव में भरे गंदे पानी को बोहड़ा कला की तरफ निकालने का काम शुरु कर दिया गया । लेकिन जो हालात इस समय बने हुए हैं , बोहड़ा कला और माजरा के बीच में सड़क के किनारे गंदा पानी ही भरा हुआ दिखाई देता है । सड़क के किनारे ही नहीं बीच में जहां भी पेट्रोल पंप इत्यादि हैं या फिर गांव में जाने वाले सड़क मार्ग हैं , वहां पर भी गंदा पानी आने जाने वालों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है ।

आखिरकार दिन ढले अंधेरा होने पर करीब पौने सात बजे अधिकारियों के द्वारा बार-बार मिन्नते किया जाने के उपरांत आंदोलित ग्रामीणों का दिल पसीज गया । लेकिन इसके साथ सबसे बड़ी शर्त यह भी रख दी कि 5 दिन में गांव ऊंचा माजरा में भरने वाले गंदे पानी सहित सीवरेज की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो फिर से रोड जाम कर दिया जाएगा । इस प्रकार करीब 5 घंटे तक सड़क मार्ग को जाम रखा गया , तब तक अधिकारियों की जान भी सांसत में फंसी रही। अंत में अधिकारियों ने उस समय राहत की सांस ली जब दिन ढले पौने सात बजे ग्रामीणों ने रोड जाम को खोल दिया । इसके उपरांत ही यातायात भी सुचारू हो सका । इससे पहले रोड जाम को देखते हुए बिलासपुर से कुलाना के बीच व्यस्त सड़क मार्ग पर वाहनों के आवागमन की संख्या को देखते हुए यातायात को भी डाइवर्ट करना पड़ गया। अब देखना यह है कि क्या 5 दिन में गांव ऊंचा माजरा में बीते कई वर्षों से गंदे पानी के भरने की गंभीर हो चुकी समस्या का स्थाई समाधान हो सकेगा या फिर ग्रामीण एक बार फिर आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।

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