पंचकुला — दुनिया मे कोविड 19 के वायरस को लेकर पिछले 2 सालों से पूरी आवाम त्राहि त्राहि कर रही है । हर देश की सरकार अपनी आवाम को बचाने के लिये हर सम्भव प्रयास करती नजर आती है । जिसमें भारत देश की सत्ताधारी सरकार के राजनैतिक दल भी शामिल रहे । और काफी हद तक कामयाब भी रहै । अभी कोविड वायरस से छुटकारा मिला नही की ओमिकरोन्न नामक एक ओर वायरस देश की आवाम के लिये जी का जंजाल बन कर सामने आ गया । जिसे देख सत्ताधारी राजनेताओं ने अपने अपने राज्यों में रात को 11 बजे से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगाने व मास्क लगाने का फैंसला ले अपना निर्णय देश की जनता के ऊपर लगा कई ओर सख्त निर्णय ले लिये । जोकि उनके इस निर्णय में शायद उनके लिये एक सही फैंसला नजर आते दिखे । पर सिर्फ एक ही बात देश की आवाम को समझ नही आई कि एक तरफ तो देश की आवाम को सुरक्षित रखने के लिये जो निर्णय सत्ताधारी सरकारों ने लिया है वो इस फेंसले का सही निर्णय है । भारत देश के कुछ राज्यों में 2022 में चुनाव होने जा रहे हैं । वहां पर राजनेतिक दल अपनी सत्ता की कुर्सी पाने के लिये लाखों लोगों को एकत्रित कर चुनावी रैलियां कर रही है । क्या उन रैलियों में जो भीड़ एकत्रित हो रही है उनके लिये सत्ताधारी राजनेताओ द्वारा लिये गए सख्त निर्णय लागों नही होते सोशल डिस्टेनिसि का पालन , मास्क उनके लिये जरूरी नही । यह देश की आवाम के लिये सोचने का विषय है । यह बात अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार ऑब्जर्वर्स के अंतरराष्ट्रीय निदेशक यतीश शर्मा ने एक प्रेसविज्ञप्ति जारी करते हुए कही ।

उन्होंने कहा कि जो देश के हालात हैं उस से भारत के देशवासी अच्छे से समझ चुके हैं । पिछले 11 महीनों से देश का किसान अपने घर परिवार से दूर सर्दी , गर्मी , बारिश की मार सहता अपनी बात को सरकार को समझाने में सँघर्ष करता रहा । लेकिन सत्ताधारी सरकार अपने हठ पर कायम रही । लेकिन जब यह किसान आंदोलन खूनी खेल में तब्दील हो गया क्या उस बात से सत्ताधारी सरकार ने किसानों की बात मानते हुए कृषि कानून को वापिस लिया या 2022 चुनावों को देखते हुए यह फैंसला लिया । जिसे देश का हर नागरिक पूछ रहा है । जम्मू कश्मीर के एक दिगज्ज नेता ने पिछले दिनों एक जनसभा में जम्मू कश्मीर की आवाम को अपने भाषण में खुलेआम धारा 370 व 35 को लेकर लोगों को बलिदानी देने के लिये उकसाया जिसे पूरे देश की आवाम ने सुना । क्या यह देश द्रोही भाषण नही था । जब जम्मू कश्मीर में भारत पाकिस्तान क्रिकेट मैच में हुई पाकिस्तान की जीत पर बच्चों ने एक पार्टी की तो सत्ताधारी सरकार ने उनके भविष्य को बर्बाद कर उनको शिक्षा संस्थानों से निकाल दिया क्या यह देशद्रोह था । सत्ताधारी सरकार ने उस दिग्गज नेता द्वारा दिये भाषण पर क्या कार्रवाई की देश की आवाम यह सवाल उन सत्ताधारी सरकारों से पूछने का अधिकार रखती है ।

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दोरान कुछ निहंग जत्थेबंदियों द्वारा एक मासूम की अपने धर्म की बेअदबी करने पर दिल दहलाने वाली निर्मम हत्या की ओर उसे सौदा लगाने का नाम दे दिया क्या देश का कानून उन्हें यह सब करने की इजाजत देता है । लेकिन सत्ताधारी सरकार के ढीले रवैये के कारण इस प्रकार की निर्मम हत्या अमृतसर व कपूरथला में दुबारा हुई । आखिर कब तक देश का कानून ऐसी निर्मम हत्या करने वालों के खिलाफ कोई सख्त निर्णय लेगा ताकि कोई भी धर्म का ठेकेदार बन बेअदबी का नाम देकर कानून अपने हाथ मे लेने के विषय में कई बार सोचेगा ।

उन्होंने कहा कि देश का सविधान हर नागरिक के लिये एक समान है । सभी सत्ताधारी राजनेता इस बात को अच्छे से समझ ले कि भारत देश आजाद देश है और लोकतंत्र में सविधान के तहत बने कानून का सम्मान हर भारतीय का कर्तव्य है । अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार ऑब्जर्वर्स से जुड़ा हर सदस्य देश के हर नागरिक को उनके अधिकारों के लिये जागरूक करने के लिये सँघर्ष करता रहेगा ।

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