कमलेश भारतीय

गांधी जी नयी तकनीक या उद्योग के खिलाफ नहीं थे बल्कि मनुष्य के शोषण के खिलाफ थे । इसीलिए वे चरखे और खादी के पक्ष में थे । चरखा और खादी हमारी अर्थ व्यवस्था के आधार थे । आज पूंजीपतियों के नियंत्रण में मनुष्य के शोषण के अंग बने हुए हैं । यह कहना है केंद्रिय गांधी स्मारक निधि (राजघाट ,नयी दिल्ली) के अध्यक्ष रामचंद्र राही के । उन्होंने दुख व्यक्त किया कि आज साबरमती आश्रम और सेवाग्राम युवाओं के लिए विचार के प्रतीक थे , उन्हें पर्यटन स्थल में बदलने की कोशिशें की जा रही हैं । यही हाल बनारस में काशीनाथ का किया जा रहा है जो हमारी आस्था का प्रतीक था , उसे भी पर्यटन स्थल बना कर टिकट लगाई जायेगी । गांधी जी ने साबरमती आश्रम में अपने लिए कुटिया बनवाई थी क्योंकि बड़ी लड़ाई या बड़ा काम करने के लिए महलों में रहने की जरूरत नहीं थी ।

कंगना रानौत द्वारा सन् 1947 की आजादी को गांधी जी को दी गयी भीख कहने पर राही ने कहा कि वैसे तो ऐसे लोगों के सवाल पर क्या कहा जाये जिन लोगों को देश के स्वतंत्रता के संघर्ष व आंदोलन की समझ ही नहीं है । गांधी जी बचपन से लेकर अंत तक सत्य व अहिंसा की लड़ाई लड़ी उनके बारे में ऐसी ओच्छी बात कहना कंगना के मानसिक स्तर को ही दर्शाता है । आज का युवा गांधी के विचार को समझ नहीं पा रहा और बाजारूपन में सिमट गया है , खो रहा है ।

महात्मा गांधी के जीवन पर बनी फिल्मों पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा । जीवन व संदेश के करीब थी ।

वरिष्ठ एडवोकेट पी के संधीर ने राम चंद्र राही को जय नारायण वर्मा सम्मान प्रदान किया । इस अवसर पर राधेश्याम शुक्ल, महेंद्र विवेक , रश्मि, शैलेश वर्मा , सत्यपाल शर्मा, वीरेंद्र कौशल , राधेश्याम गुप्ता , भगत देवराज आदि मौजूद थे ।

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