कानून किसानों के हितों में थे तो प्रधानमंत्री की हाथ जोडकर माफी मात्र नौटंकी थी ? विद्रोही

सवाल उठता है कि किसान हित में लम्बी-चौडी फेंकने वाले मोदी जी, नरेन्द्र सिंह तोमर, भाजपा-संघी नेता किसान आंदोलन में शहीद हुए लगभग 700 किसानों को श्रद्धांजली देने व पीडि़त किसान परिवारों के घरों मं जाकर सांत्वना देने के मानवीय कर्तव्य से भी क्यों भागते है? 
आरटीआई सूचना अनुसार मोदी सरकार ने 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2021 तक विगत 6 सालों में पूंजीपतियों का 1119482 करोड़ रूपये का बैंक कर्ज राईट आफ अर्थात माफ किया है जो कांग्रेस-यूपीए शासन की तुलना में माफ किये गए कर्ज से पांच गुणा ज्यादा है।

20 दिसम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि रविवार को गुरूग्राम में भाजपा की एक बैठक में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने रद्द किये जा चुके काले कृषि कानूनों को किसान हित मेें बताकर फिर साबित कर दिया कि उत्तरप्रदेश, पंजाब व उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में वोट की चोट की मार से डरकर मोदी-भाजपा सरकार ने बेशक काले कृषि कानून कानून वापिस लेने को मजबूर होना पड़ा है, पर उनकी किसान विरोधी मानसिकता व किसान को लूटकर पंूजीपतियों को लाभ पहुंचाने का एजेंडा ज्यो का त्यों है।

विद्रोही ने कृषि मंत्री से सवाल किया कि यदि कानून किसानों के हितों में थे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टेलीविजन पर हाथ जोडकर माफी मांगकर इन तीन काले कानूनों को वापिस लेना क्या किसानों की वोट हडपने की मात्र नौटंकी थी? भाजपा की कथनी-करनी, आचरण बताता है कि उनमें किसान विरोधी मानसिकता कूट-कूटकर भरी हुई है और वे सत्ता दुरूपयोग से किसान को लुटने की तिकडमे करते रहते है। सवाल उठता है कि किसान हित में लम्बी-चौडी फेंकने वाले मोदी जी, नरेन्द्र सिंह तोमर, भाजपा-संघी नेता किसान आंदोलन में शहीद हुए लगभग 700 किसानों को श्रद्धांजली देने व पीडि़त किसान परिवारों के घरों मं जाकर सांत्वना देने के मानवीय कर्तव्य से भी क्यों भागते है? 

विद्रोही ने कहा कि भाजपा नेता व केन्द्रीय कृषि मंत्री मोदी राज में किसानों की आर्थिक, सामाजिक स्थिति अच्छी होने व उनकी आय दोगुनी करने के दमगज्जे तो मारती है, लेकिन मोदी सरकार के कृषि मंत्रालय व किसानों से सम्बन्धित अन्य मंत्रालयों के आंकडे ही बता रहे है कि मोदी राज आने के बाद विगत सात सालों में किसान आय क्या तो जस की तस है या घटी है। फिर सरकार किस बात को लेकर किसान आय दोगुना करने की प्रपंच रचती है? मंडियों में सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य देश मं कहीं भी किसानों को नही मिल रहा। वहीं एक ओर मोदी सरकार अपने पंूजीपति मित्रों का बैंक कर्ज गुपचुप तरीके से माफ करके उन्हे राहत देकर बैंकों की आर्थिक स्थिति डवाडोाल कर रही है, वहीं किसानों के कर्ज का एक पैसा भी माफ करने को तैयारे नही। घाटे की खेती में पिसते किसान पर कर्ज बोझ बढजा जा रहा है और कृषि बोझ के चलते किसानों की आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ रही है। आज देश के हर किसान पर बैंकों का औसतन 74 हजार रूपये का कर्ज है। वहीं सरकार धडाधड़ पंूजीपतियों का बैंक कर्ज माफ कर रही है।

विद्रोही ने कहा कि अभी हाल ही में रिजर्व बैंक से मिली एक आरटीआई सूचना अनुसार मोदी सरकार ने 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2021 तक विगत 6 सालों में पूंजीपतियों का 1119482 करोड़ रूपये का बैंक कर्ज राईट आफ अर्थात माफ किया है जो कांग्रेस-यूपीए शासन की तुलना में माफ किये गए कर्ज से पांच गुणा ज्यादा है। कोरोना काल मेें जब आमजन को आर्थिक सहायता देने से मोदी सरकार भागती रही तब भी कोरोना काल में सरकार ने पूंजीपतियों का चुपचाप 2.45 लाख करोड़ रूपये का बैंक कर्ज माफ कर दिया। विद्रोही ने कहा कि मोदी सरकार का यह रवैया मुंह बोलता प्रमाण है कि वह पूंजीपति प्रस्त व किसान-मजदूर, गरीब, मेहनतकश वर्ग विरोधी सरकार है। 

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