भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वायदे एमएसपी की गारंटी के क़ानून को लागू करने बारे एक शब्द भी ना बोला। भाजपा सरकार के कार्यकाल में किसानों की एमएसपी कम हुई। जनता को गुमराह करने के लिए बैठक में पेश किए ग़लत आंकड़े। किसान विरोधी चेहरा हुआ उजागर। जनता हो चुकी है जागरूक। गुरुग्राम।दिनांक 20,दिसंबर 2021 – संयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा के कार्यकारिणी सदस्य चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि भाजपा किसान मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक मात्र ढकोसला साबित हुई।बैठक में जनता को गुमराह करने के लिए ग़लत आंकड़े पेश किए गए।जनता जागरूक हो चुकी है और अब झाँसे में आने वाली नहीं है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में किसानों की एम कम हुई है।कृषि मंत्री एमएसपी के आंकड़े 2010 से 2021 तक जनता के सामने रखते तो सब कुछ जनता के सामने साफ़ हो जाता।2014 से 2021 तक किसानों को सबसे कम एमएसपी मिली है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष JP नड्डा ने भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वायदे एमएसपी की गारंटी के क़ानून को लागू करने बारे एक शब्द भी न बोला।अगर केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में किसान होते तो भाजपा किसान मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा के घोषणा पत्र में किए गए वायदे एमएसपी की गारंटी के क़ानून को लागू करने का प्रस्ताव पास करके सरकार के पास भेजते तथा एमएसपी की गारंटी के क़ानून को लागू करवाते। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में जनता से वायदा किया था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो वो किसानों को सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी का क़ानून पास करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए यह सार्वजनिक घोषणा की थी कि अगर वो प्रधानमंत्री बने तो किसानों को सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी का क़ानून बनाएंगे तथा स्वामीनाथन आयोग द्वारा सिफ़ारिश की गई सी-2 प्लस 50 के फ़ॉर्मूले से सभी फसलों पर एमएसपी दी जाएगी। किसान आंदोलन में शहीद हुए 709 किसानों को श्रद्धांजलि न देकर तथा भाजपा के घोषणा पत्र में किए गए वायदे एमएसपी की गारंटी के क़ानून को लागू करने बारे एक शब्द भी न बोलने से भाजपा का किसान विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। Post navigation कानून किसानों के हितों में थे तो प्रधानमंत्री की हाथ जोडकर माफी मात्र नौटंकी थी ? विद्रोही विधायक नीरज शर्मा ने विधानसभा में उठाया सामान्य जातियों में आर्थिक रूप से पिछडे व्यक्तिंओ के अंतर्गत नियुक्ति का मामला