एम्स निर्माण में देरी करने की अपनी तिकडमी चालों से खट्टर सरकार बाज नही नही आ रही : विद्रोही

सरकार की शर्तो पर एम्स निर्माण के लिए माजरा में 200 एकड़ जमीन मिलने के बाद भी हरियाणा सरकार न तो एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन का मुआवजा सम्बन्धित किसानों को दे रही है और न ही उक्त जमीन को राजस्व रिकार्ड में एम्स के नाम दर्ज करके जमीन पर कब्जा ले रही है।

18 दिसम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार मनेठी माजरा में एम्स बनाने के प्रति कितनी गंभीर व ईमानदार है, यह इसी से पता चलता है कि सरकार की शर्तो पर एम्स निर्माण के लिए माजरा में 200 एकड़ जमीन मिलने के बाद भी हरियाणा सरकार न तो एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन का मुआवजा सम्बन्धित किसानों को दे रही है और न ही उक्त जमीन को राजस्व रिकार्ड में एम्स के नाम दर्ज करके जमीन पर कब्जा ले रही है। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा के 55 साल के राजनीतिक इतिहास में यह पहली घटना है जब माजरा के किसान सरकार की शर्तो पर जमीन देने के लिए सरकारी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा चुके है और मुख्यमंत्री द्वारा लगभग तीन माह पूर्व चंडीगढ़ में की गई कथित उच्च स्तरीय बैठक में एम्स बनाने के लिए जमीन देने वाले किसानों के खाते में अविलम्ब जमीन मुआवजा राशी के पैसे डालने के निर्णय के बाद भी आज तक मुआवजा राशी का पैसा न तो सम्बन्धित किसानों के खाते में आई है और न ही अभी तक औपचारिक रूप से जमीन अधिग्रहित की है। आश्चर्य है कि एम्स के लिए दी गई जमीन सरकार लेकर किसानों को मुआवजा दे, इसके लिए क्ष़ेत्र के लोग रविवार को मनेठी में धरना देने को मजबूर है और जो सरकार एम्स निर्माण पर आये दिन दमगज्जे ठोकती है, वह सोये पडी है। 

विद्रोही ने कहा कि उन्हे समझ में नही आता कि जब किसान जमीन दे रहे है तो सरकार उस जमीन को लेने में इतनी अनावश्यक देरी क्यों कर रही है। जब खट्टर सरकार का स्वास्थ्य क्षेत्र में इतने बड़े प्रोजेक्ट एम्स के प्रति ऐसा उदासीन रवैया है तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि भाजपा खट्टर सरकार दक्षिणी हरियाणा के विकास, हितों के प्रति कितनी गंभीर होगी। जुलाई 2015 में मुख्यमंत्री खट्टर ने बावल की जनसभा में मनेठी एम्स बनाने की घोषणा की थी जिस पर बाद में वे पलट गए थे। लेकिन दक्षिणी हरियाणा के किसानों के संघर्ष व माजरा के किसानों के त्याग के चलते सरकार मनेठी माजरा में एम्स बनाने को मजबूर हो गई, पर इस एम्स निर्माण में देरी करने की अपनी तिकडमी चालों से खट्टर सरकार बाज नही नही आ रही। 

विद्रोहीे ने कहा कि उन्हे लगता है कि अपने को हरियाणा का शंहशाह मान बैठे मनोहरलाल खट्टर को इस बात की गहरी टीस है कि उनकी इच्छा के विरूद्ध दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल के लोगों ने अपने एकजुट संघर्ष के बल पर ना केवल एम्स निर्माण के लिए सरकार को मजबूर किया अपितु उनकी लाख कोशिशों के बाद भी किसानों ने अपनी बेशकीमती जमीन जिसकी कीमत डेढ़ करोड़ रूपये प्रति एकड के आसपास है, उसे भी माजरा के किसानों ने 40 लाख रूपये प्रति एकड देकर खट्टर जी की सभी तिकड़मों को तारपिडो कर दिया। अब खट्टर जी सत्ता दुरूपयोग से सुनियोजित ढंग से मनेठी माजरा एम्स निर्माण के प्रति कछुआ गति अपना रहे है ताकि एम्स निर्माण में देरी करके अपने मन की टीस पर मरहम लगाया जा सके। विद्रोही ने एम्स निर्माण पर भाजपा खट्टर सरकार के ऐसे रवैये की कठोर आलोचना करते हुए मांग की कि सरकार जन भावनाओं का आदर करके किसानों को समझौते अनुसार मुआवजा देकर जमीन अधिग्रहित करके उस पर कब्जा लेकर राजस्व रिकार्ड में जमीन एम्स के नाम पर करके निर्माण की अन्य आवश्यक कानूनीे औपचारिकताओं को तत्काल पूरा करे।

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