प्रशासन से आग्रह की चुनाव प्रक्रिया को जारी रखा जाएपूर्व में भी साजिश के तहत रिसीवर नियुक्त करवाया था मठाधीश नहीं छोड़ना चाहते अपना वर्चस्व, भूखंड खरीदने के लिए कमीशन के साथ गैप का पैसा भी चाहिए मठाधीशों कोतीन साल पूर्व सर्व ब्राह्मण समाज के बैनर तले युवा ब्राह्मणों द्वारा कराए गए आयोजन को असफल करने की गई थी साजिश अशोक कुमार कौशिक नारनौल। श्री गौड़ ब्राह्मण सभा रजिस्टर्ड नारनौल की चुनावी प्रक्रिया में व्यवधान डालने की साजिशे शुरू हो गई है। बुधवार को समाज के कुछ लोगों ने फर्म एवं सोसाइटी रजिस्ट्रार नारनोल को कुछ शिकायत की । इस शिकायतबाजी को लेकर उक्त अधिकारी ने संस्था के प्रधान एवं चुनाव अधिकारियों के साथ-साथ शिकायत कर्ताओ को गुरुवार को बुलाकर सभी की बात को सुना। वार्ड नंबर 28 से पिछली बार निर्विरोध निर्वाचित कोलीजियम मेंबर अशोक कुमार कौशिक ने जिला प्रशासन से मांग की है कि चुनाव कार्यक्रम को बगैर किसी व्यवधान के संपन्न होने दे। श्री कौशिक ने कहा की पूर्व में भी कुछ लोगों ने षड्यंत्र के तहत अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए रिसीवर नियुक्त करवाया था। अब उन्ही के इशारों पर चुनावी कार्यक्रम को रोक कर, रिसीवर नियुक्त कराने की पुन: साजिश की जा रही है ताकि उनकी मनमानी अतीत की तरह कायम रहे । तीन साल पूर्व भी इन मठाधीशों ने सर्व ब्राह्मण समाज के बैनर तले युवा ब्राह्मणों द्वारा कराए गए आयोजन को असफल करने की साजिश की थी। उस समय के मंत्री वह ब्राह्मण नेता पंडित रामविलास शर्मा को गुमराह किया गया था और एन वक्त पर उनसे इंकार करवा दिया गया था तब ब्राह्मणों के एक शिष्टमंडल ने महेंद्रगढ़ के विधायक तत्कालीन मंत्री रामविलास शर्मा को समझाने का भरपूर प्रयास किया था पर उन्होंने मना कर दिया। यह दिगर बात है की उन्होंने अपने गुप्तचर विभाग के इनपुट पर आयोजन में भाग लिया। इतना ही नहीं ये मठाधीश प्रथम कॉलेजियम मेंबर चुनाव के दौरान युवा उत्साही ब्राह्मणों के खिलाफ एकजुट हो गए थे। तब वर्तमान प्रधान ने भी इन मठाधीशो का खुलकर साथ दिया था। श्री कौशिक ने ब्राह्मणों का खुला आह्वान किया है कि उन्हे समाज के हित में गुटबाजी को छोड़कर सभा के उत्थान के लिए एकजुट होना चाहिए। अतीत में सभा में जो तीन चार गुट बने हुए थे और जो हर बार एक दूसरे को नीचा दिखाने, अपना वर्चस्व कायम करने के लिए लगे रहते थे। उसे आज खत्म करने की सख्त आवश्यकता है। मठाधीशों की मनमानी के फलस्वरूप श्री गौड़ ब्राह्मण सभा के लिए आज तक कोई भूखंड नहीं खरीदा गया, क्योंकि गुटबाजी में शामिल लोग नहीं चाहते थे कि दूसरे गुट के लोग इसका श्रेय ले। इसके साथ ही मठाधीशों की मंशा थी कि कमीशन के साथ-साथ भूमि खरीदने में गैप का पैसा भी उन्हें मिलना चाहिए। उन्होंने समाज के लोगों से सीधा सवाल किया की आज जब फिर से कॉलेजियम मेंबरों के लिए चुनाव प्रक्रिया घोषित कर दी गई तो इसमें क्यों रुकावट डालने की साजिश की जा रही है? क्या नियुक्त किए गए चुनाव अधिकारी ब्राह्मण समाज से नहीं है? या आप चाहते हैं कि ब्राह्मण सभा का नेतृत्व गैर ब्राह्मण पूर्व की तरह रिसीवर बनकर करें। चुनाव अधिकारी मनीष वशिष्ठ की बड़ी बहन के देवर राजकुमार कौशिक है जबकि दूसरे चुनाव अधिकारी संजय कौशिक के चाचा प्रभास छक्कर शिकायतकर्ता है। श्री कौशिक ने आरोप लगाने वालो से पूछा है कि कुछ मठाधीश आज भी नहीं चाहते की वर्तमान कॉलेजियम मेंबर या कार्यकारिणी भूखंड खरीदे और उनका कार्यकाल खत्म करवा दिया गया तब आपने उन अड़चनों को जानने की कोशिश क्यों नही की? समाज के लोगों ने भूखंड नही खरीदने वाले और समाज में कोई बड़ा आयोजन न करने वालों से आज तक कोई सवाल क्यों नहीं कीये? पुष्ट सूत्रों के अनुसार जमीन खरीदने के लिए एक परसेंट कमीशन देना इन मठाधीशों को देना तय हो गया था लेकिन बात इस जगह आके गड़बड़ा गई कि वह गैप का पैसा भी चाहते थे। दूसरा जब रिसीवर नियुक्त किया गया था और गैर ब्राह्मण ने सभा का संचालन किया तब इनमें ब्राह्मणतव क्यों नहीं जगा? आज सवाल उठाने वालों ने तब सवाल क्यों नहीं कीये जब तीन वर्ष पूर्व युवा ब्राह्मणों ने एक बड़ा आयोजन करने की ठानी थी और कुछ मठाधीशो ने उसे असफल करने की साजिश की थी तब आवाज क्यों नहीं उठाई गई? उस आयोजन को असफल करने के लिए तत्कालीन मंत्री एवं महेंद्रगढ़ के विधायक पंडित रामविलास शर्मा को गुमराह करने से रोकने की साजिश की गई थी तब आवाज क्यों नहीं उठी? आवाज तो तब भी उठनी चाहिए थी? अब जब चुनाव प्रक्रिया शुरू की गई है और वोटर लिस्ट तथा वार्ड बंदी को संशोधित करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई। उसमें नए मतदाताओं के नाम जोड़े जाए तथा मृतक मतदाताओं के नाम हटाए जाए तथा सही तरीके से वार्ड बंदी की जाए। कार्यकारिणी ने इस कमेटी में मास्टर किशन लाल, जयप्रकाश ढाणी फैजाबाद, पुरुषोत्तम गौड़ व संजय कौशिक शामिल किया गया। फैक्ट्री ने इस पर अपनी सहमति जता रिपोर्ट दी और जिसे साइट पर अपलोड कर दिया गया। जब रजिस्ट्रार सोसाइटी एक्ट में साफ अंकित है की पहली बार कॉलेजियम मेंबर चुनाव कराए जाने पर चुनाव प्रक्रिया पूर्ण होने के तीन बरस तक कार्यकाल माना जाएगा बैगर एक्ट की पूरी जानकारी हासिल कीये उस पर सवाल क्यों खड़े किए जा रहे हैं? नियमानुसार वर्तमान कार्यकारिणी और कॉलेजियम मेंबरों का 3 जनवरी तक कार्यकाल है। रही बात हिसाब न देने की, जो लोग हिसाब नहीं देने की आवाज उठा रहे हैं कृपया करके वह यह भी बताने का कष्ट करेंगे कि वह अब तक कितनी बार सभा की बैठकों में भाग लेते रहे और उन्होंने इस बारे में कितनी बार सभा की बैठकों में अपनी आवाज को उठाया? कार्रवाई रजिस्टर में दर्ज करवाया? जब आप उपयुक्त मंच पर विरोध दर्ज कराने के लिए सक्षम नहीं है तो सोशल मीडिया पर पर ही विरोध क्यों? विरोध करने वाले समाज के भाइयों को इस बात पर अपना स्पष्टीकरण अवश्य देना चाहिए। मैं ब्राह्मण समाज के युवा व बुजुर्ग लोगों से खुले मंच से आह्वान करता हूं क्या यह मठाधीश ही सभा को चलाएंगे? युवाओं को इसमें भाग लेने का कोई अधिकार नहीं? इन मठाधीशो से भी तो पूछा जाना चाहिए इन लोगों ने कितने बड़े आयोजन कीये। समाज के पारिवारिक विवादों पर इनका क्या योगदान रहा कितनी गरीब कन्याओं का इन्होंने विवाह करवाया, कितने गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए योगदान दिया? बिना किसी सकारात्मक समाज उत्थान के कार्य के, उत्थान की थोथी बात करें, वह भी केवल अपनी राजनीतिक रंजिशबश शिकायत बाजी व सोशल मीडिया पर बयान बाजी की जितनी निंदा की जाए वह कम है। उन्होंने खुले मंच से विरोध करने वाले ब्राह्मण भाइयों से सवाल किया है कि आज वह केवल गौड़ ब्राह्मण का नारा दे रहे हैं जब वह सदस्य बने थे तब उन्होंने छानबीन करने की कोशिश क्यों नहीं कि की इस सभा में गौड़ ब्राह्मणों के अलावा कितने ब्राह्मण भाई सदस्य हैं। तब अपना विरोध दर्ज क्यों नहीं करवाया? रही बात चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोलेजन सदस्य की नामांकन फीस अधिक रखने और उसके वापिस ने करने के बारे में मेरा मत है की चूंकि ब्राह्मण समाज अधिक संपन्न नहीं है इसलिए इस कॉलेजियम मेंबर नामांकन फीस के गाने कुछ धनराशि तो सभा के हित में इकट्ठा होगी यदि जो भाइ की जेब ₹2100 देने में भी असमर्थ है तो वह क्यों कोरी नेतागिरी कर रहा है? लीडरशिप के लिए ₹2100 कोई मायने नहीं है हमने तो पिछली बार सहर्ष सभा को चुनाव के बाद ये राशि देने की घोषणा की थी। दूसरा नारनौल की सैनी सभा में ही कॉलेज हम मेंबरों के चुनाव के में रखी गई फीस ₹21 नॉन रिफंडेबल है इसी प्रकार गुरुग्राम बार एसोसिएशन में प्रधान पद के लिए 50000 पचास हजार की राशि non-refundable है जब-जब कानून के जानकार बुद्धिजीवी वर्गों के लोग इस पर सहमत हैं तो केवल श्री गौड़ ब्राह्मण सभा पर यह आपत्ति क्यों? फिर भी यदि कुछ भाई अपना राजनीतिक रंजिश निकालना चाहते हैं तो भी वह चुनाव प्रक्रिया में अवश्य भाग ले और अपने अधिक से अधिक समर्थक कॉलेजियम मेंबर को जीता कर अपनी कार्यकारिणी गठित करें और विरोधियों को अपनी ताकत का एहसास करवाएं आपका राजनीतिक विरोध भी सफल हो जाएगा और सभा का उत्थान हो जाएगा। हम सब सभा और ब्राह्मण वर्ग का उत्थान करें। ना की किसी मठाधीश की कठपुतली बने। कोरी सोशल मीडिया पर पर बयानबाजी से न तो सभा का कोई भला होगा न ब्राह्मण समाज का उत्थान ? 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