हरियाणा सरकार ने पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा संस्थानों में दाखिलों के लिए मिलने वाले आरक्षण में बड़ा बदलाव किया है. सरकार ने 8 लाख रुपये की सीमा को घटाकर छह लाख कर दिया है. पंचकूला. हरियाणा सरकार ने पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा संस्थानों में दाखिलों के लिए मिलने वाले आरक्षणकी व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है. राज्य में अब संवैधानिक अथवा उनके समकक्ष पदों पर काम करने वाले पिछड़े वर्ग के लोगों (सांसद, मंत्री अथवा विधायक) के बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा. वहीं, हरियाणा सरकार के अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है. यह अधिसूचना आरक्षण अधिनियम 2016 में संशोधन करते हुए जारी की गई, ताकि पिछड़े वर्ग से नवोन्नत व्यक्तियों को आरक्षण के लाभ के दायरे से अलग कर दिया जाए. बता दें कि हरियाणा सरकार ने नए सिरे से क्रीमीलेयर तय की है. केंद्र सरकार ने आठ लाख रुपये से कम वार्षिक आय वालों को आर्थिक रूप से कमजोर की श्रेणी में रखा है. वहीं, हरियाणा ने क्रीमीलेयर में वार्षिक आय सीमा घटाकर छह लाख रुपये कर दी है. इसमें सभी स्रोतों से प्राप्त आय को सकल वार्षिक आय की गणना करने के लिए जोड़ा जाएगा. यह परिवर्तन पिछड़ा वर्ग के लिए किया गया है. अब साफ है कि छह लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय होने पर पिछड़ा वर्ग को हरियाणा में आरक्षण नहीं मिलेगा. जानें क्या है अधिसूचना हरियाणा सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार किसी परिवार, जिनके स्वामित्व में राज्य भूमि-जोत की अधिकतम सीमा अधिनियम 1972 की धारा 26 के अधीन अनुज्ञेय भूमि से अधिक भूमि का स्वामित्व है, उनके बच्चों को भी आरक्षण सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा. इसके अलावा जिन परिवारों की सभी स्रोतों से छह लाख रुपये और लगातार तीन साल की अवधि के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक की संपदा है, अब उनके बच्चों को भी आरक्षण के लाभ के दायरे से बाहर कर दिया गया है. यही नहीं, हरियाणा सरकार की ओर से सभी प्रशासनिक अधिकारियों को अपने इस फैसले की जानकारी भेज दी गई है. वहीं, अधिसूचना के अनुसार संवैधानिक पदों पर नियुक्त व्यक्ति जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, संघ लोक सेवा आयोग और राज्यों के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य, भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और इसी तरह के अन्य संवैधानिक पदों को धारण करने वाले व्यक्तियों के पुत्र और पुत्रियां आरक्षण का लाभ नहीं ले सकेंगे. बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त 2021 को प्रदेश सरकार की तरफ से क्रीमीलेयर को लेकर 17 अगस्त 2016 और 28 अगस्त 2018 को जारी अधिसूचनाओं को निरस्त कर दिया था. इस बाबत इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हरियाणा पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम के प्रविधानों के अनुसार तीन महीने के अंदर नई अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद प्रदेश सरकार ने नए सिरे से क्रीमीलेयर तय की है. इस वजह से 8 लाख की सीमा को घटाकर 6 लाख कर दिया गया है. इस वजह से सरकार ने उठाया कदम राज्य में अब संवैधानिक अथवा उनके समकक्ष पदों (सांसद, मंत्री अथवा विधायक) पर काम करने वाले पिछड़े वर्ग के लोगों के बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं देने के पीछे हरियाणा सरकार की सोच यह भी है कि ऐसा करने से पहले से साधन संपन्न लोग सरकार की इस सुविधा का लाभ नहीं लेंगे और उनके स्थान पर पिछड़े वर्ग के वास्तविक जरूरतमंद लोगों को इसका फायदा मिल सकेगा. जबकि इस श्रेणी में सरकार की ओर से 27 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाता है. Post navigation हरियाणा की गौशालाओँ में नस्ल सुधार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता – ओमप्रकाश धनखड़ डॉ. आर सी मिश्रा ने पहुंचे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, निर्माण कार्यों का किया निरीक्षण