कांग्रेस की सरकार आते ही ‘अटैची कांड’ की होगी जाँच, नौकरी बेचने वाले दलालों को देंगे सजा! कुमारी शैलजा

चंडीगढ़, – 17 नवंबर, 2021 को हरियाणा के ‘‘महाव्यापम नौकरी घोटाले’’ के उजागर होने के लगभग एक महीने बाद एक बात साफ है – नौकरियों की दलाली खा रहे ‘‘दुर्योधनों’’ को ‘‘धृतराष्ट्र’’ की तरह मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर का समर्थन व संरक्षण है। खट्टर सरकार अपराधियों को जाँच के दायरे से बचा ‘‘ऑपरेशन एयरलिफ्ट’’ चला रही है।

भाजपा-जजपा सरकार ‘अटैची कांड’ पर ‘‘पर्दा डालने’’-‘‘दबाने’’-‘‘छिपाने’’-‘‘भटकाने’’-‘‘दलालों को बचाने’’ में जी-जान से लगी है। हरियाणा के नौजवान अब खुलेआम कह रहे हैं:-

o पहले नौकरियों में चोरी, अब खुलेआम सीनाजोरी!
o चोरों ने चोरों से कहा – ‘सब चंगा सी’!
o कर रही है लीपापोती – खट्टर सरकार की नीयत खोटी!

घोटाले की परतों को दफन करने की फ़िराक में लगी खट्टर सरकार व विजलैंस विभाग को 3 सप्ताह से सांप सूंघा हुआ है। प्रदेश के लाखों युवा खून के आँसू रो रहे हैं और मुख्यमंत्री उत्सव मना रहे हैं। जाँच को रफा-दफा करने में आज तक ऐसी निर्लज्जता और बेहयाई का कोई उदाहरण देश में नहीं है।

कमाल की बात तो यह है कि कल यानि 14 दिसंबर को (संलग्नक A1) HPSC ने 10 नए पदों की भर्ती की डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन का शेड्यूल जारी कर दिया। इन सबकी परीक्षाएं 14 सितंबर, 2021 को HPSC द्वारा ली गई थीं, जो HCS (Preliminary) के 12 सितंबर, 2021 को हुए पेपर के दो दिन बाद थी। इन परीक्षाओं में गोपनीयता समेत सब चीजों का कर्ता-धर्ता भी अनिल नागर था। यही नहीं, अब HSSC के दोषी भी खुद ही को निर्दोष बता क्लीन चिट दे रहे हैं। खट्टर सरकार में अपराधी ही जज बन बैठे हैं।

17 नवंबर, 2021 से आज तक यानि 29 दिन में मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर की प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष सहमति के साथ ‘अटैची कांड’ में ‘‘ऑपरेशन कवरअप’’ व ‘‘ऑपरेशन क्लीनचिट’’ के निष्कर्ष सामने हैंः-

HPSC के चेयरमैन, श्री आलोक वर्मा इस संवैधानिक पद पर नियुक्ति से पहले मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर के आवास पर लंबे समय तक ADC (Aide de camp) रहे। जहाँ घोटाला हो, उसके मुखिया जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। पर आज तक HPSC चेयरमैन श्री आलोक वर्मा व HPSC सदस्यों को जाँच के लिए न बुलाया और न शामिल किया।

HPSC चेयरमैन, श्री आलोक वर्मा ने 9 दिसंबर, 2021 को इंटरव्यू देकर कहा कि HPSC पेपरों की गोपनीयता, चेकिंग इत्यादि का सारा काम HPSCके सेक्रेटरी, जो आईएएस अधिकारी हैं, की बजाय डिप्टी सेक्रेटरी, अनिल नागर को दिया गया था, क्योंकि सेक्रेटरी ने व्यक्तिगत कारणों से यह काम करने से इंकार कर दिया। क्या अब यह साफ नहीं कि वो ‘‘व्यक्तिगत कारण’’ पेपर लीक कांड में शामिल न होना और घोटालेबाजों के साथ मिलीभगत में न जुड़ना रहे होंगे?

17 नवंबर, 2021 की FIR व सभी रिमांड दरख्वास्तों में HPSC घोटाले के मुख्य आरोपी के तौर पर जसबीर भलारा व सेफडॉट ई. सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड नामज़द हैं। यह भी सामने आया कि HPSC के पूर्व चेयरमैन ने गड़बड़ियों के चलते इस फर्म को हटा दिया था, पर श्री आलोक वर्मा ने इन्हें फिर काम दे दिया। इसके बावजूद पुलिस या विजिलैंस ने जसबीर भलारा या सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को न तो गिरफ्तार या रेड किया और न ही जाँच के लिए बुलाया या शामिल किया। उल्टा, श्री आलोक वर्मा इंटरव्यू दे जसबीर भलारा और उसकी कंपनी को क्लीन चिट दे रहे हैं। श्री आलोक वर्मा और जसबीर भलारा के बीच यह रिश्ता क्या कहलाता है? खट्टर सरकार में वो कौन है, जो विजिलैंस को जसबीर भलारा और उसकी कंपनी की गिरफ्तारी और उसकी जाँच करने से रोक रहा है?

अनिल नागर की 6 दिसंबर, 2021 के बर्खास्तगी के आदेश में साफ लिखा है कि अनिल नागर की देखरेख में रखे भर्तियों के रिकॉर्ड की कोई वैधता नहीं बची। इसके बावजूद भी अनिल नागर की देखरेख में 14 सितंबर, 2021 को हुए 10 अलग-अलग पदों के पेपरों की भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश HPSCद्वारा कल कैसे जारी कर दिया गया (संलग्नक A1 देखें)? साफ है कि पूरा मामला अब रफा दफा कर दिया गया है।

17 नवंबर, 2021 की FIR, रिमांड दरख्वास्तों व 6 दिसंबर, 2021 के अनिल नागर के बर्खास्तगी आदेशों से डेंटल सर्जन व HCS प्रिलिमिनरी का घोटाला, रिश्वतखोरी और घालमेल भी साफ है। पर खट्टर सरकार और HPSC ने मिलकर आज तक उन पेपरों को भी रद्द नहीं किया।

‘‘मुख्यमंत्री भर्ती घोटाला क्लीनचिट अभियान’’ में खट्टर साहब द्वारा ईमानदारी का प्रमाण पत्र खुद ही लेने में HSSC चेयरमैन व मेंबर भी पीछे नहीं हैं। 17नवंबर, 2021 की FIR व विजिलैंस की रिमांड दरख्वास्तों में साफ तौर से HSSC के VLDA, ANM, स्टाफ नर्स में भर्ती के लिए लाखों रु. की रिश्वत का घोटाला उजागर हुआ। पर HSSC चेयरमैन ने भी कल इंटरव्यू देकर खुद को ‘क्लीन चिट’ दे डाली व कह दिया कि रिश्वत देने वाले कैंडिडेट्स या तो इंटरव्यू में आए ही नहीं या फिर फेल हैं। सवाल सीधा है कि अगर रिश्वत देने वाले कैंडिडेट्स ने पेपर दिए ही नहीं या इंटरव्यू दिए ही नहीं, तो फिर लाखों रु. की रिश्वत किस चीज के लिए दी गई?इस पूरे मामले में तो HSSC चेयरमैन, मेंबर व सारे स्टाफ की भी व्यापक जाँच होनी चाहिए। पर विजलैंस ने तो HSSC में झांका तक नहीं, जाँच को दूर की बात है, और ‘‘दोषियों’’ ने ‘‘खुद को निर्दोष’’ घोषित कर दिया। इसे कहते हैं, ‘‘अंधेर नगरी – चौपट राजा’’।

HSSC व HPSC में रिश्वत देकर भिन्न-भिन्न पदों पर नौकरी पाने वाले (HCS, Dental Surgeon, ANM, Staff Nurse, VLDA) अनेकों कैंडिडेट्स के नाम और पेपर सामने आए। आज तक खट्टर सरकार और विजिलैंस विभाग ने न किसी को गिरफ्तार किया और न किसी की जाँच की। रिश्वत देने वाले यह सारे कैंडिडेट्स भी तो आरोपी हैं, तो फिर इनके नाम उजागर क्यों नहीं किए गए?

17 नवंबर, 2021 की FIR व रिमांड दरख्वास्तों में रिश्वत लेकर हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित HTET परीक्षा पास करवाने का खुलासा भी हुआ। पर न तो खट्टर सरकार व विजिलैंस विभाग द्वारा स्कूल शिक्षा बोर्ड की जाँच की गई, और न ही HTET परीक्षा पास करवाने के लिए रिश्वत लेने वाले और रिश्वत देने वाले किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया या फिर उसकी जाँच हुई। पूरा मामला रफा दफा।

लीपापोती की कड़ी में अब HSSC द्वारा आनन-फानन में पुरुष कॉन्सटेबल का परीक्षा का नतीजा निकाल दिया। याद रहे कि यह परीक्षा 3 दिन में (31अक्टूबर, 1 नवंबर, व 2 नवंबर) डबल शिफ्ट में ली गई थी और 24 अलग-अलग पेपर दिए गए थे, 4 पेपर मॉर्निंग शिफ्ट में और 4 पेपर ईवनिंग शिफ्ट में। इनमें से 22प्रश्नपत्रों की कॉपी संलग्नक A2 से A23 हैं। HSSC द्वारा 22 सितंबर, 2021 को आदेश जारी कर यह कहा गया कि अब इन 24 अलग-अलग पेपरों की normalisation होगी (संलग्नक A24)। घोटाला यह भी है कि 24 पेपर की normalisation अपनेआप में असंभव है और इसीलिए HSSCद्वारा न तो लिखित पेपर के raw marks और न ही normalised marks और न ही combined cut-off जारी की जा रही। यहां तक कि अब constable का Physical Screening Test भी HSSC प्राईवेट एजेंसी से करवाएगी और उसकी वीडियोग्राफी भी नहीं होगी।

HSSC द्वारा पुलिस की सब इंस्पेक्टर पुरुष व महिला भर्ती में भी 41 पुरुष उम्मीदवारों और 9 महिला उम्मीदवारों का फर्जीवाडा स्वीकार किया गया है। पर किसी के खिलाफ कोई FIR नहीं। HSSC ने यह भी स्वीकार किया है कि 516 पुलिस कमांडो की भर्ती में पेपर के समय दिए गए फिंगरप्रिंट्स कागज चेक करवाने के समय बायोमीट्रिक से नहीं मिल रहे। परंतु पुलिस कॉन्सटेबल मेल और सबइंस्पेक्टर भर्तियों में पेपर के फिंगरप्रिंट और कागज चेकिंग के समय बायोमीट्रिक के मिलान का प्रावधान ही नहीं किया गया। ऐसा क्यों? कमाल की बात यह है कि फिंगरप्रिंट्स और बायोमीट्रिक मिलान की जिम्मेदारी का ठेका भी प्राइवेट एजेंसी को दे दिया गया है। जब, जैसे घालमेल हो, पर्दा डाल दिया जाएगा।

विजिलैंस विभाग की लीपा पोती पूर्ण कार्यवाही से भी साफ है कि पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल जाँच की ही भ्रूण हत्या कर दी गई है। विजिलैंस विभाग द्वारा आरोपी अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन के गांव कोंड (भिवानी); शिव कॉलोनी, सोनीपत; सोलन, हिमाचल प्रदेश; गांव रिठाल, जिला रोहतक; नोएडा व यूपी के अन्य ठिकानों पर आरोपियों को ले जाकर न रेड की गई और न सबूत बरामद किए गए। विजिलैंस विभाग द्वारा न तो आरोपियों का नए सबूतों के साथ दोबारा रिमांड मांगा गया और न ही रिमांड की दरख्वास्त खारिज होने की अपील अदालत में दायर की गई। विजिलैंस विभाग ने तो FIR में नामज़द जसबीर भलारा सहित अन्य आरोपियों को न गिरफ्तार किया, न जाँच में शामिल किया। यहां तक कि रिश्वत देकर नौकरी लेने वाले कैंडिडेट्स की भी जाँच नहीं हुई और न ही HPSC, HSSC या शिक्षा बोर्ड की जाँच हुई। आखिर में रिमांड कोर्ट ने साफ तौर से कहा कि विजिलैंस विभाग जाँच पड़ताल और बरामदगी के बारे गंभीर ही नहीं है।

साफ है – पर्दा गिर गया, जाँच बंद और सब चंगा सी!

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