चण्डीगढ़, 14 दिसंबर –  ‘आयरन मैन आफ इण्डिया’ सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश की स्वतंत्रता प्राप्ति में अग्रणी भूमिका निभाई थी और स्वतंत्रता के पश्चात भी देश की एकता, अखण्डता के लिए जो काम किया देश उसे सदैव याद रखेगा। यह बात हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारु दतात्रेय ने बुधवार को राजभवन में सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्य तिथि के अवसर पर उनकी मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर नमन करते हुए कही।

श्री दत्तात्रेय ने कहा कि सरदार पटेल एक सच्चे राष्ट्रवादी, भारतीय राजनीतिज्ञ (स्टेट्समैन) व देशभक्त थे। वे भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री बने। उन्होंने देश की 562 देशी रियासतों का भारत में विलय करवाया। इनका क्षेत्रफल भारत में 40 प्रतिशत था। हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी। हैदराबाद और तेलंगाना लिबरेशन में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

राज्यपाल श्री दत्तात्रेय ने कहा कि सरदार पटेल ने गृहमंत्री के रूप में भारतीय नागरिक सेवाओं (आई.सी.एस.) का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं (आई.ए.एस.) बनाकर नैकरशाही को राजभक्ति से देशभक्ति की ओर मोड़ा।

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में हुआ। गुजरात का खेड़ा खण्ड (डिविजन) उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधी जी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया। अंत में सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी। इसी प्रकार उन्होंने भारत छोड़ों आंदोलन में भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया।

श्री दत्तात्रेय ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बेरिस्टर की सर्विस छोड़कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिद्धान्तों को आदर्श मानकर स्वतंत्रता प्राप्ति के आंदोलन में भाग लिया। सरदार पटेल ने त्याग, तप राष्ट्रीयता और बलिदान की भावना से एक सच्चे देश-भक्त के रूप में काम किया जिसकी बदोलत भारत आज एक सुदृढ़, समृद्ध और अखण्ड देश है। आज की युवा पीढ़ी को चाहिए कि वे सरदार पटेल के संघर्षमयी जीवन, राष्ट्रवादिता के जीवन से प्रेरणा लें और राष्ट्रीय एकता के लिए काम करें यही लौह पुरूष सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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