गुरु का स्थान इस ब्रह्मांड में सर्वश्रेष्ठ माना गया. गुरु का गुरुत्व अपने शिष्यों का करता है कल्याण. हनुमान मंदिर में मनाया ज्योति गिरी का जन्मोत्सव. मंदिर परिसर में मध्य रात्रि श्रद्धालुओं ने काटा केक फतह सिंह उजाला पटौदी । संतो के आचरण को ही हमें अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए । इतना ही नहीं संत, साधु, सन्यासी जो भी कोई क्रिया करें उस क्रिया का अंधानुसरण नहीं किया जाना चाहिए । इसके विपरीत उनके द्वारा जो कुछ भी बताया जाए, ज्ञान दिया जाए, मार्गदर्शन किया जाए, हमें उस पर ही अमल करना चाहिए। गुरु में एक ऐसा गुरुत्व होता है जोकि अपने शिष्यों और अनुयायियों का कल्याण करता है। इस ब्रह्मांड में गुरु का स्थान सर्वश्रेष्ठ स्थान माना गया है । गुरु की कृपा और आशीर्वाद जिसे भी प्राप्त हो, उसके जीवन में आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का अपने आप ही समाधान भी होता चला जाता है। यह बात रविवार को क्षेत्र के सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला में स्थित हनुमान मंदिर परिसर में महंत लक्ष्मण गिरी गौशाला बुचावास के संचालक महंत विट्ठल गिरी महाराज ने कही। रविवार को यहां हनुमान मंदिर परिसर मे महाकाल संस्थान के अधिष्ठाता और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ज्योति गिरी महाराज का 56 वां जन्मोत्सव अनुयायियों और महाकाल के भक्तों के द्वारा श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। मध्य रात्रि को महामंडलेश्वर ज्योति गिरी महाराज जो कि अपरिहार्य कारणों से अज्ञातवास के लिए प्रस्थान कर चुके हैं, उनके चित्र के समक्ष केक काटकर उनके दीर्घायु होने की श्रद्धालुओं के द्वारा कामना की गई। इसी मौके पर मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के द्वारा जन्मोत्सव के उपलक्ष पर रंगीन आतिशबाजी भी चलाई गई । वही मंदिर परिसर को रंगीन रोशनीयों से सजाया गया । इस मौके पर हवा पुरी महाराज, महाकाल गौशाला हेड़ा हेड़ी के महंत राज गिरी, सुशील गिरी , गोपाल गिरी के अलावा आचार्य राधे पंडित, विजय मुरथल, उमेश सोनी, मुकेश कुमार, रजवा प्रधान, राजेंद्र थानेदार, सुपडी प्रधान, विक्रम प्रधान, ईश्वर चौहान, कालू, लखन सिंह , फतह सिंह उजाला, जगजीत सहित महिला श्रद्धालुओं के द्वारा भी मंदिर परिसर में हवन यज्ञ में आहुतियां अर्पित की गई। इसी मौके पर मंदिर परिसर में ही आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का प्रसाद वितरण किया गया । महामंडलेश्वर स्वामी ज्योति गिरी महाराज के मार्गदर्शक बुजुर्ग सन्यासी हवा पुरी महाराज और महाकाल गौशाला हेड़ाहेडी के संचालक महंत राज गिरी ने कहा कि गुरु कृपा जिस भी व्यक्ति पर बनी रहेगी, उसके जीवन में आने वाले कष्ट का अपने आप ही समाधान भी होता चला जाएगा। गुरु के प्रति श्रद्धा भाव और निष्ठा ही शिष्य की वास्तविक पहचान होती है। गुरु कहीं भी हो, वह परोक्ष-अपरोक्ष रूप से अपना आशीर्वाद अपने अनुयायियों, शिष्यों और शुभचिंतकों पर हमेशा बनाए रखते हैं। Post navigation वैज्ञानिक सोच वाले सैनिक योद्धा थे सीडीएस बिपिन रावत: जरावता गोकुलपुर प्राचीन शिव मंदिर में 200 यूनिट ब्लड डोनेट