भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम नगर निगम में भ्रष्टाचार के चर्चे आम हैं। कहा जाता है कि काम होता नहीं और बिल बन जाते हैं, पेमेंट हो जाती है, कभी बनी हुई सड़क को बनाने का टेंडर छोड़ दिया जाता है। तात्पर्य यह है कि कोई न कोई रास्ता ढूंढकर बिल बनाए जाते हैं। ऐसी चर्चा जनता और पार्षदों में पिछले दिनों खूब चली, जिसके परिणाम स्वरूप निगम की सामान्य बैठक में पास हुआ कि पिछले पांच साल वार्डवाइज जो काम हुए हैं, वह पार्षदों को दिए जाएंगे।

चर्चा बाद में यह भी चली कि पार्षदों को कहा जाएगा कि वह पांच साल के विकास कार्यों का ब्यौरा अपने कार्यालय पर चस्पा करेंगे, जिससे पार्षदों को आगामी चुनाव में इसका लाभ मिल सके कि उन्होंने इतने काम जनता के लिए कराए हैं।

बिल पास होने के अगले दिन ही ठेकेदारों में चर्चा थी कि यह सब एकाध पार्षद के कहने से बनाया गया है। ऐसा होना संभव नहीं है, क्योंकि हमाम में सभी नंगे हैं। पार्षद भी कुछ कामों में हिस्सेदार होते हैं। अब प्रश्न यह था कि कुछ ऐसा संदेह पार्षदों को हुआ कि अनेक कार्यों के एस्टीमेट बनाकर उनकी जानकारी के बिना ही बिल पास कर पेमेंट करा दी जाती है, जिस कारण यह बिल लाया गया।

इस पर अधिकारियों ने एक सगूफा चला दिया कि पार्षदों को यह अपने कार्यालय पर चस्पा करने पड़ेंगे। हालांकि इसका कोई नियम नहीं बना था लेकिन बात जनता के गले उतरने वाली थी, जनता भी चाहती है कि उन्हें यह तो ज्ञात है कि कौन-से कार्य धरातल पर हुए हैं परंतु यह तो ज्ञात नहीं कि कौन से कार्य केवल बिलों में हो गए हैं। फिर हो चुके कामों का यह भी ज्ञात है कि यह काम हुआ लेकिन यह ज्ञात नहीं कि इसकी पेमेंट कितनी हुई। अत: अधिकारियों का यह लगा कि जनता जरूर इनसे कहेगी कि यह अपने कार्यालयों पर प्रदर्शित करो और यह बात पार्षदों को पसंद आने वाली नहीं है। ऐसा अधिकारियों के ग्रुप में सुना गया कि यदि यह ऐसा कर देंगे तो अगले चुनाव में चुनाव लडऩे के काबिल नहीं रहेंगे। सो परिणाम वही रहा जो अधिकारी चाहते थे। यह बिल ठंडे बस्ते में चला गया, न पार्षदों ने मांग की और न ही अधिकारियों ने वह बताया। 

अब इन सब बातों में वास्तविक सच्चाईयां क्या हैं, यह तो जांच करने से ही पता चल सकता है और जांच करने का न तो हमारे पास अधिकार है और न ही सामथ्र्य लेकिन यह बात मेयर टीम को पसंद आनी चाहिए कि अगला चुनाव उन्हें लडऩा है और जैसा कि बार-बार वह दावा करते रहते हैं कि हमने करोड़ों के काम करा दिए, वह बात सरकारी आंकड़ों के साथ उनके कार्यालय पर प्रदर्शित होने में उन्हें क्या ऐतराज हो सकता है लेकिन हमारी सूचनाओं के अनुसार न तो मेयर टीम ने उसके पश्चात इसके लिए निगम कमिश्नर को कहा और न चीफ इंजीनियर, एसई या अन्य किसी कमिश्नर को कहा कि वह डाटा हमें उपलब्ध कराएं और यही प्रश्न हमने शीर्षक में उठाया है कि क्या यह प्रदर्शित करने से भ्रष्टाचार की परतें खुल जाएंगी?

मैं पत्रकार होने के नाते निगम कमिश्नर और मेयर को प्रार्थना करता हूं कि जो बिल बैठक में पास हुआ, उसी के अनुसार 3 वार्डों में वार्डवाइज कामों की लिस्ट कितने के काम हुए का ब्यौरा हमें उपलब्ध कराएं और मैं उनको और गुरुग्राम की जनता को आश्वस्त करना चाहूंगा कि यदि निगम कमिश्नर ने यह ब्यौरा हमें उपलब्ध करा दिया तो हम प्रतिदिन एक वार्ड का पांच साल का लेखा-जोखा छापते रहेंगे कि कहां-कहां, कितने-कितने काम हुए और उनकी कितनी-कितनी पेमेंट हुई। इससे जनता को यह भी ज्ञात हो जाएगा कि उनके क्षेत्र में जो काम हुए हैं वह उचित हैं, ताकि हमारी संभावना कि भ्रष्टाचार दबाने के लिए दबाया है, यह गलत सिद्ध हो सके।

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