-कमलेश भारतीय आज एक साहित्यिक समारोह में जालंधर हूं और सोच रहा हूं कि कोरोना के बाद संभवतः यह पहला साहित्यिक समारोह है जिसमें भाग लेने पहुंचा हूं । डेढ़ दो साल तो सारी गतिविधियां बुरी तरह कोरोना ने लील ली थीं और इसीलिए सन् 2020 में कोई बड़ा साहित्यिक आयोजन नहीं हुआ । यहां तक कि हरियाणा साहित्य अकादमी ने भी अवाॅर्ड की राशि घर चैक के रूप में भेजनी शुरू कर दी । अन्य राज्यों की अकादमियों ने भी शायद ऐसे ही कदम उठाये हों । अब जालंधर में पंजाब कला साहित्य अकादमी ने यह हौंसला किया । सिमर सदोष इसे पच्चीस साल से आयोजित करते आ रहे हैं और अब तो पंकस के अवाॅर्ड बड़ी प्रतिष्ठा के अवाॅर्ड हो चुके हैं । इनके हौंसले को सलाम । सिमर सदोष से पहले जालंधर दूरदर्शन के समाचार संपादक व प्रसिद्ध उपन्यास ‘धरती धन न अपना’ के लेखक जगदीश चंद्र वैद भी जालंधर में साहित्यिक आयोजन करते रहे और उनके बाद यह मोर्चा सिमर सदोष ने संभाला । यह साहित्यिक यात्रा चलती रहे । इधर हिमाचल में पूर्व आईएएस अधिकारी व रचनाकार विनोद प्रकाश शलभ और कथाकार एस आर हरनोट ने भी मिलकर शिमला में हिमाचल के वरिष्ठ लेखकों को ‘नवल प्रयास’ की ओर से सम्मानित किया था जिसमें मुझे भी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया तो सभी रचनाकारों के चेहरों पर जो खुशी देखी वह भूल नहीं पाया । सम्मान पाकर कौन गर्व महसूस न करेगा ? इस तरह नये रचनाकारों में भी उत्साह व आशा का संचार होता है । हिमाचल में हरनोट व गुप्ता की जोड़ी अनेक कार्यक्रम कर चुकी है और यह सिलसिला बना रहे , यही दुआ है । इसी प्रकार आर डी शर्मा भी शिमला में सक्रिय है और आयोजन करते रहते हैं । व्यंग्य यात्रा ने भी प्रतिवर्ष दिए जाने वाले रवींद्रनाथ त्यागी सम्मान शीर्ष और सोपान सम्मान 2020 तथा 2021 का अयोजन दिल्ली के हिंदी भवन में 4 सितम्बर किया। इसी दिन व्यंग्य यात्रा आलोचना एवं रचना पुरस्कार दिए गए। हरियाणा में एक समय जब हरियाणा साहित्य अकादमी ने पुरस्कार बंद कर दिये थे तब राज्यकवि उदय भानु हंस ने साहित्य कला संगम बना कर ‘हंस पुरस्कार’ देने शुरू किये और जब तक वे जीवित रहे और स्वास्थ्य ने उनका साथ दिया वे प्रतिवर्ष ‘हंस पुरस्कार’ प्रदान करते रहे और बाकायदा नकद राशि भी देते । देखते देखते ‘हंस पुरस्कार’ हरियाणा के लेखकों में प्रतिष्ठा का सम्मान बन गया । अब उनके जाने के बाद एक बार हम इसका आयोजन उनके बाद कर पाये क्योंकि मुझे ही उनकी संस्था का जिम्मा सौंपा गया पर ऐसे साहित्यिक आयोजन बड़ा समय और श्रम मांगते हैं । इसलिए इसे निरंतर न कर पाये । पर एक बात तय है कि ऐसे आयोजन होते रहने चाहिएं और इनके बहाने दूर दराज से साहित्यकार मिल पाते हैं व विचार विमर्श कर पाते हैं । इसी प्रकार हरियाणा में कैथल साहित्य सभा भी वर्षों से सक्रिय है और हर वर्ष न केवल पुरस्कार प्रदान करती है बल्कि इस बहाने अनेक लेखकों की नयी पुस्तकों का लोकार्पण भी हो जाता है । डाॅ चंद्र त्रिखा ने भी अपने बेटे धीरज त्रिखा के नाम पर पत्रकारिता पुरस्कार शुरू कल रखा है जो सौभाग्य से सबसे पहले मेरी झोली में आया । सिरसा में भी साहित्यिक आयोजन होते रहते हैं और सबसे चर्चित आयोजन छत्रपति पुरस्कार का होता है जिसमें एक चर्चित पत्रकार को प्रदान किया जाता है और इसकी बड़ी प्रतिष्ठा बन चुकी है । व्यंग्य यात्रा ने भी प्रतिवर्ष दिए जाने वाले रवींद्रनाथ त्यागी सम्मान शीर्ष और सोपान सम्मान 2020 तथा 2021 का अयोजन दिल्ली के हिंदी भवन में सितम्बर में किया। इसी दिन व्यंग्य यात्रा आलोचना एवं रचना पुरस्कार दिए गए। इन सब आयोजनों में एक सुझाव है कि पुस्तक प्रदर्शनियों अवश्य एक जरूरी हिस्सा बनाई जानी चाहिएं तभी साहित्य भी प्रचलित होगा ।-पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी। Post navigation परिवारवाद से बड़ा संकट सत्ता का अहंकार है साहब हरियाणा में ‘‘कानून व्यवस्था का निकला दिवाला अपराधी बेखौफ, जनता भयभीत : रणदीप सिंह सुरजेवाला