-कमलेश भारतीय संविधान दिवस पर हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता जताई है कि यदि कश्मीर से कन्याकुमारी तक आज के राजनैतिक दलों को देखा जाये तो भारत एक ऐसे संकट की तरफ बढ़ रहा है , जो संविधान के प्रति समर्पित आस्था रखने वाले लोगों के लिए चिंता का विषय है – और यह है पारिवारिक पार्टियां । राजनीतिक दल -पार्टी फाॅर फैमिली और आगे कहने की जरूरत नहीं लगती मुझे । यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है । संविधान हमें जो कहता है , यह उसके विपरीत है । यह सब कहा तब जब पंद्रह विपक्षी दलों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया । यह कैसा संविधान दिवस जिसका बहिष्कार किया गया ? प्रधानमंत्री ने बिना नाम लिए कांग्रेस की आलोचना करते कहा कि जो पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार चलाता रहे, यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है । इसके जवाब में विपक्ष ने कटाक्ष किया कि केंद्र संविधान की मूल भावना पर आघात कर रहा है । अधिनायकवादी तरीके से काम कर रहा है । प्रधानमंत्री जी , संविधान को जितनी क्षति सन् 2014 से पहुंची है उतनी इससे पहले नहीं पहुंची । संवैधानिक परंपराओं का आपकी भाजपा पार्टी ने कितना उल्लंघन किया , मज़ाक बनाया , इसके कितने ही उदाहरण हैं । कांग्रेस मुक्त भारत की घोषणा को साकार करने के लिए आपने कितनी बार इसकी राज्य सरकारों की गिराने के लिए संविधान को ताक पर रखा तब संविधान की गरिमा का ध्यान नहीं आया ? गोवा हो या मणिपुर या उत्तराखंड या फिर राजस्थान कहां भूल आये थे संविधान? कहां रखी थी इसकी गरिमा? महाराष्ट्र में कैसे सरकार बनाने की कोशिश की थी तब संविधान की कसम याद नहीं आई थी ? फिर जिस परिवारवाद के आप खिलाफ हैं , उसी परिवारवाद का पोषण कर तो रहे हो । सिंधिया परिवार को पूरा महत्त्व देकर । क्या यह खतरा नहीं लोकतंत्र पर ? अब किसान आंदोलन में क्या कमी छोड़ी? किसानों पर कितने जुल्म ढाये, लाठीचार्ज किये , केस दर्ज किये कुछ हिसाब किताब है ? कितने रास्ते बंद किये और कितनी कीलें ठोकीं ? किसान गर्मी, सर्दी और बरसात में बैठे रहे और आप राजहठ में फोन काॅल की दूरी पर क्यों बैठे रहे ? साहब सबसे बड़ा खतरा परिवारवाद से नहीं बल्कि राजहठ और सत्ता के अहंकार से है जो आपके नेताओं और समर्थकों में सिर चढ़ कर बोलता है । लखीमपुर खीरी कांड इसका ज्वलंत प्रमाण कहा जा सकता है । भाजपा के केंद्रीय मंत्री के बेटे ने जो किया क्या वह संविधान में कहीं जायज है ? और आप उस मंत्री को अभी तक मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता नहीं दिखा रहे जबकि किसानों ने यह मांग उठाई है । जब तक जांच चल रही है उस मंत्री को बाहर कीजिए न । वे जांच को प्रभावित करने में लगे हैं और सुप्रीम कोर्ट इस कांड की जांच की रफ्तार से खफा है ।साहब खतरा कहीं और है और आप दिखा कहीं और रहे हो । जरा गौर कीजिए और संविधान दिवस पर संविधान की गरिमा बनाये रखने की कसम लीजिए ।–पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation मोदी-निर्मित महंगाई’ के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने उठाई आवाज! साहित्यिक समारोह और साहित्य का प्रचार प्रसार