पर धरने के 336वें दिन दिल्ली बॉर्डर पर उमड़ी भीड़ से गदगद नजर आए किसान चरखी दादरी जयवीर फोगाट 27 नवम्बर, द्वारा चलाए जा रहे आन्दोलन को एक वर्ष पूरा होने पर दिल्ली बार्डरों पर जुटे किसान-मजदूरों के अथाह जन सैलाब ने सरकार की आंखे खोलने का काम किया है। यह बात कितलाना टोल पर धरने को सम्बोधित करते हुए सांगवान खाप चालीस के झोझू कन्नी प्रधान सुरजभान सांगवान ने कही। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह पहले से ही किसान, मजदूर, युवा एवं महिलाएं ट्रेक्टरों, बसों व निजि वाहनों के माध्यम से लगातार दिल्ली बार्डरों सिघुं, टिकरी, गाजीपुर व शाहजहांपुर पहुंचने शुरू हो गए थे और 26 नवम्बर को वहां उक्त बार्डरों पर रिकार्ड तोड़ हाजरी दिखाकर सरकार को यह जता दिया है कि अब तीनों कृषि कानूनों के रद्द करने की की घोषणा के बाद किसानों के बाकी बचे मुद्दों को हल करने में विलम्ब किया तो उसे राजनीतिक नुकसान उठाने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा इस सम्बन्ध में जो भी आगामी निर्णय लेगा, सभी खापें, किसान संगठन व अन्य सामाजिक संगठन उसे पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं रखेंगे। उन्होंने टोल धरने व अपनी खाप की तरफ से दिल्ली बार्डरों पर जाने वालों के लिए आभार प्रकट किया। किसान सभा के ईश्वर दातोली ने कहा कि अब 36 बिरादरी के मेहनत करने वाले लोग एकजुट हो गए हैं और वे संगठित होकर अपने भविष्य के अंधकार के बादलों को फाड़ सकते हैं। उन्होंने इस आन्दोलन से मूल्यवान सबक सीखे हैं जो भविष्य में काम आंएगे। कितलाना टोल पर लगातार चल रहे धरने के 336 वें दिन की अध्यक्षता सांगवान खाप चालीस से सुरजभान सांगवान, सर्वजातीय श्योराण खाप पच्चीस से बिजेंद्र बेरला, किसान सभा से ईश्वर दातोली, जाटू खाप से मास्टर राजसिंह जताई, चौ० छोटू राम डा० अम्बेडकर मंच से बलबीर सिहं बजाड़, युवा कल्याण संगठन से कमलसिंह प्रधान, रिटायर्ड कर्मचारी संघ से शब्बीर हुसैन, महिला मोर्चा से प्रेम शर्मा, कितलाना, ओमली बिलावल व कृष्णा डोहकी ने संयुक्त रूप से की। मंच संचालन किसान सभा के कामरेड ओमप्रकाश ने किया। इस अवसर पर सुरेन्द्र कुब्जानगर, दिलबाग ढुल, गंगाराम श्योराण, सुबेदार सतबीर सिंह, समुन्द्र सिंह कितलाना, सुबेदार कंवरशेर चन्देनी, राजबीर बोहरा, नरेन्द्र धनाना, विनोद नम्बरदार डोहकी, बेलीराम अनुसूचित जाति, अमीन खान, बिमला कितलाना, बलजीत मानकावास, मंगल सूई, भरथू मानकावास, ओमप्रकाश प्रजापति डोहकी, जयसिंह सिहाग व मन्शाराम साहूवास इत्यादि मौजूद थे। Post navigation किसान-मजदूरों का एक साल का संघर्ष रंग लाया : राजू मान महान समाज सुधारक थे महात्मा ज्योतिबा फूले : कामरेड ओमप्रकाश