– किसान जिस मुद्दे को लेकर चले थे उस मुख्य मुद्दे को हमारी सरकार ने मान लिया है, यदि उसके बाद भी किसान घर वापसी नहीं करते हैं तो आंदोलन पर विश्वसनीयता का प्रश्न चिन्ह लगता है- अनिल विज
– किसानों से बातचीत के लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं और सरकार बातचीत के लिए तैयार है- विज
– प्रजातंत्र में सारे मसले बातचीत से ही हल होते हैं- अनिल विज

चंडीगढ़, 26 नवंबर- हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि किसानों के आंदोलन को आज एक साल हो गया है और किसानों को प्रधानमंत्री का धन्यवाद करना चाहिए कि उन्होंने एक ही बार में इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी।

श्री विज ने कहा कि “किसानों ने कहा था कि हम यह तीनों कानून खत्म करा कर ही जाएंगे और प्रधानमंत्री ने इन्हीं बात को मानते हुए गत 19 नवंबर को इन तीनों कानूनों को खत्म करने की घोषणा कर दी, इस बात को लेकर किसानों को जश्न मनाना चाहिए क्योंकि यह इनकी मुख्य मांग थी, जिसको प्रधानमंत्री ने मान लिया है”।

उन्होंने कहा कि “आंदोलन के कुछ मापदंड होते हैं और किसान जिस मुद्दे को लेकर चले थे उस मुख्य मुद्दे को हमारी सरकार ने मान लिया है, यदि उसके बाद भी आप (किसान) घर वापसी नहीं करते हैं तो आपके आंदोलन पर विश्वसनीयता का प्रश्न चिन्ह लगता है।

श्री विज ने कहा कि “मांगे हमेशा रहेगी, सारी मांगे कभी खत्म नहीं हुआ करती है, हमारी सरकार किसानों का हित सोचने वाली सरकार है और पहले भी 11 दौर की बातचीत किसानों के साथ हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इन तीनों कानूनों को अब कैबिनेट में भी पास कर दिया गया है और आने वाली 29 तारीख को लोकसभा में भी यह बिल पेश कर दिए जाएंगे, किसानों को कहीं पर तो अपने विश्वास को रखना चाहिए।

उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत से प्रश्न करते हुए कहा कि “जब एक प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम संदेश में घोषणा करता है तो उस पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाना चाहिए, देश के प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा पर विश्वास करना चाहिए और आपको (किसान नेता राकेश टिकैत) यह जानना चाहिए कि प्रधानमंत्री के राष्ट्र  के नाम संदेश का मतलब क्या है”।

राकेश टिकैत को प्रधानमंत्री का एक बार धन्यवाद करना चाहिए- विज
श्री विज ने किसान नेता राकेश टिकैत से प्रश्न करते हुए कहा कि “जब आपकी इतनी बड़ी बात मान ली है आपने कभी भंगड़ा नहीं डाला, आपने कभी जलेबी नहीं बाटी, आपने कभी ढोल नहीं बजाए, कम से कम एक बार प्रधानमंत्री की इस घोषणा को लेकर यह चीजें कर ले और प्रधानमंत्री का धन्यवाद कर दें”।

उन्होंने कहा कि बातचीत के लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं और सरकार बातचीत के लिए तैयार है और इसीलिए प्रधानमंत्री ने एक ही बार में इनकी (किसानों की) बात को मान लिया है लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत इस निर्णय के बाद यह काम करने से चूक गए क्योंकि इन्होंने प्रधानमंत्री का एक बार भी धन्यवाद नहीं किया और आज इनको आंदोलन करते हुए एक साल हो गया है इसलिए इन्हें खुले दिल से प्रधानमंत्री का धन्यवाद कर देना चाहिए क्योंकि जो मुद्दा यह लेकर चले थे उस मुद्दे को प्रधानमंत्री ने मान लिया है। उन्होंने कहा कि “किसान नेता राकेश टिकैत को इन तीनों बिलों को वापस लेने के लिए एक बार तो नरेंद्र मोदी जिंदाबाद बोलना चाहिए क्योंकि उनका सबसे बड़ा मसला हल हो गया है अगर यह नहीं बोलते हैं तो इनका कोई हिडन एजेंडा है”।

प्रजातंत्र में सारे मसले बातचीत से ही हल होते हैं- विज
गृह मंत्री ने कहा कि “हम चाहते हैं कि यह मामला खत्म होना चाहिए और अपने प्रयास के माध्यम से मैंने पत्र भी लिखे हैं क्योंकि प्रजातंत्र में सारे मसले बातचीत से ही हल होते हैं लेकिन इन्हें (किसानों को) कई बार सरकार ने बुलाया, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बुलाया, प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं एक फोन कॉल की दूरी पर हूं, क्योंकि प्रजातंत्र में लाठियों व डंडों से फैसले नहीं हुआ करते, फैसले बातचीत से ही हल हुआ करते हैं और इन्हें बातचीत के लिए आगे आना चाहिए लेकिन ये बातचीत के लिए आगे नहीं आए”।  

“सरकार बातचीत के लिए कभी पीछे नहीं रही है और सरकार की तरफ से कोई संशय नहीं करना चाहिए”-विज
श्री अनिल विज ने कहा कि “सरकार बातचीत के लिए कभी पीछे नहीं रही है और सरकार की तरफ से कोई संशय नहीं करना चाहिए, अब इनके (किसानों के) क्या मुद्दे हैं, आपस में इतने सारे यह संगठन हैं, यह एक मुद्दे पर एक हो पाते हैं या नहीं हो पाते हैं क्योंकि यह बातचीत नहीं करना करना चाहते, यह आंदोलन को लंबा खींचना चाहते हैं”। उन्होंने कहा कि “पहले यह कहते थे कि तीनों बिलों को वापस ले लो, हम घर चले जाएंगे, अब तीनों बिल वापस ले लिए हैं तो यह घर नहीं जाते, धन्यवाद नहीं करते, इनके मन की बातें यही जानते हैं और सरकार अपनी तरफ से खुले दिल से बातचीत के लिए तैयार है।

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