कमलेश भारतीय पत्रकारिता का स्तर निश्चित रूप से गिरा है और जो सच्चाई सामने आनी चाहिए वह खुल कर नहीं आ रही,यह कहना है एक राजनीतिक पत्रिका की बिहार ब्यूरो चीफ रश्मि अभय का । वे मूलतः पटना की रहने वाली हैं और उनकी पढ़ाई लिखाई वहीं से हुई है।इन्होंने एल एल बी करने के बाद पत्रकारिता में स्नातक किया । शादी के बाद वे पटना से दिल्ली आ गयीं जहां रहते रहते पच्चीस साल होने को हैं । -स्कूल काॅलेज में रहते किन गतिविधियों में भाग लेती रहीं ?-स्पोर्ट्स में । बैडमिंटन व कैरम बोर्ड मेरे खेल थे । -आपकी रूचि किस साहित्यिक विधा में है ?-कविता । -कितने संग्रह आ गये हैं अब तक ?-चार काव्य संग्रह आ चुके हैं । -रश्मि अभय नाम कैसे ?-अभय मेरे पापा का सरनेम है और रश्मि मेरा । दोनों जोड़ कर । -पत्रकारिता में किस क्षेत्र की कवरेज करना अच्छा लगता है ?-राजनीति क्योंकि एक एक राजनीतिक परिवार से होने के कारण मैनें इसे बहुत करीब से देखा है। -पत्रकारिता के बारे में क्या कहेंगी ?-पत्रकारिता का स्तर निश्चित रूप से गिरा है और वह सच्चाई सामने नहीं आ रही जो खुलकर आनी चाहिए । -साहित्य में कौन आपके पसंदीदा लेखक हैं जिनसे प्रेरणा लेती हैं?-पहले तो माँ से प्रेरित हुई । घर में साहित्यिक माहौल था । फिर अमृता प्रीतम और गुलज़ार मेरे पसंदीदा लेखक हैं । -अपने पति व परिवार के बारे में बताइए ?-मेरे पति प्रमोद कुमार एबीपी में हैं और एक बेटा है आकर्ष दिव्यम् जो इक्कीस साल का है और जनसंचार की पढ़ाई कर रहा है । -देवशील मेमोरियल की स्थापना कब और किस उद्देश्य से की ?-यह मेरी ओर से मेरे मम्मी पापा को श्रद्धांजलि है साथ ही एक छोटा सा प्रयास है मम्मी पापा के अधूरे सपनों को पूरा करने का।इसकी स्थापना की उद्घोषणा 23 अक्तूबर पापा के जन्मदिन के दिन हुई और 2 दिसंबर 2019 को इसका पहला कार्यक्रम पटना में हुआ। इस वर्ष भी को ‘देवशील मेमोरियल’ का कार्यक्रम 19 दिसम्बर को दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है । हमारी शुभकामनाएं रश्मि अभय को । Post navigation तिवारी की किताब से कांग्रेस में विवाद अग्रोहा धाम में महानसंतों के साथ-साथ देश-विदेश से प्रमुख लोग दर्शन के लिए आते हैं – बजरंग गर्ग