– आरटीआई में हुआ खुलासा: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के एचटेट में करोड़ों के घालमेल की आशंका, टेंडर से जुड़ी जानकारी हुई गायब
बोर्ड अधिकारियों ने 2016-17 में 73844741 खर्चे तो 2017-18 में 130768484 खर्च डाले, एक साल के अंतराल में करीब 6 करोड़ का लगा चूना
-पुरानी कंपनियों को ही एचटेट का दिया जा रहा ठेका, विजिलेंस जांच हुई तो उजागर होगा बड़ा घोटाला
-स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने मांगी थी शिक्षा बोर्ड से आरटीआई में जानकारी

भिवानी, 23 नवंबर। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की एचटेट परीक्षा के आयोजन में करोड़ों के घालमेल की आशंका से जुड़ा मामला उजागर हुआ है। आरटीआई में मांगी गई जानकारी के बाद यह भी उजागर हुआ है कि बोर्ड ने एचटेट परीक्षाओं के आयोजन के लिए कराई परीक्षाओं में साल दर साल करीब 6 करोड़ रुपयों का चूना लगा डाला। हैरत की बात यह भी है कि 2016 से बोर्ड द्वारा पुरानी कंपनियों को ही एचटेट कराने का ठेका दिया जा रहा है। जबकि एचटेट के टेंडर से जुड़ी जानकारी भी बोर्ड के रिकार्ड से गायब हो गई हैं, क्योंकि आरटीआई में इसका जवाब भी अधिकारियों ने यही दिया है कि उनके पास इसका कोई रिकार्ड नहीं है। अगर बोर्ड में पिछले पांच सालों से जुड़े एचटेट में खर्च हुए करोड़ों की विजिलेंस जांच होती है तो कर्मचारी भर्ती घोटाले के बाद बोर्ड का यह सबसे बड़ा घोटाला उजागर होगा।

 स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत अगस्त माह में 2016 से लेकर 2021 तक आयोजित हुई एचटेट की परीक्षाओं की टेंडर कराने से लेकर इसके आयोजन पर खर्च हुए बजट व एजेंसियों से जुड़ी जानकारी मांगी थी। जिसके जवाव में कई चौकानें वाली बातें सामने आई। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि बोर्ड द्वारा दिए गए जवाब में 2016-17 में एचटेट पर 73844741 बजट खर्च दर्शाया है। जबकि 2017-18 में इसी परीक्षा पर 130768484 खर्च डाले। जबकि अगले ही साल एचटेट पर करीब 6 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए जाने से बोर्ड अधिकारियों की भूमिका पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जबकि हर बार उन्हीं एजेंसियों को एचटेट का ठेका दिया गया, जो पहले भी कई अनियमितताओं की वजह से विवादों में आ चुकी हैं, जबकि टेंडर से जुड़ी जानकारी भी आरटीआई के जवाब में बोर्ड से गायब बताई गई है। 

विजिलेंस जांच की उठाई मांग बृजपाल सिंह परमार ने आरटीआई में मिले तथ्य और कई अहम जानकारी छिपाए जाने पर बोर्ड अधिकारियों की भूमिका की विजिलेंस से जांच कराए जाने की मांग उठाई है। बृजपाल ने कहा कि 2016 से लेकर अब तक हुई एचटेट परीक्षाओं में सीसीटीवी, जैंबर, फ्रेसकिंग(डंडा), अंगूठा जांच, सिग्रेचर चार्ट, डॉटा वेरिफिकेशन, ओएमआर सीट पर भी बजट की बंदरबांट हुई हैं, जिसमें एजेंसियों के साथ बोर्ड अधिकारियों की मिलीभगत जांच में उजागर हो जाएगी। 

आरटीआई में ये मांगे थे बोर्ड से जवाबस्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से आरटीआई में पूछा था कि एचटेट परीक्षा के लिए टेंडर से जुड़े जानकारी का विज्ञापन, विडियोग्राफी, टेंडर कराने की कमेटी में कौन-कौन अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे। कितनी फर्में आई और कितनी फर्मों ने भाग लिया और क्या-क्या कोटेशन दी। लेकिन इन सभी के जवाब में बोर्ड ने रिकार्ड उपलब्ध नहीं होने की बात कही है। जबकि बोर्ड ने एक ही आरटीआई में दोहरे जवाब भी दिए हैं। जिससे बोर्ड अधिकारियों की नियत पर भी सवाल उठ रहे हैं कि वे घपला उजागर होने की आशंका से भयभीत होकर मामला दबाने में जुटे हैं। 

2016 से अब तक हुए एचटेट में खर्च हुआ ये बजट2016-17 में 73844741 में खर्च दर्शाये हैं। जबकि 2017-18 में 130768484 खर्च किए हैं। इसी तरह 2018-19 में महज 84084454 खर्च दिखाया है। 2019-20 में फिर 135752277 रुपयों का बजट खर्च दिखाया है। 2020-21 में 105349011 का बजट खर्च दर्शाया है। 

ओएमआर सीट और डॉटा वेरिफिकेशन पर भी मोटा बजट खर्च बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि आरटीआई की जानकारी में 2016 के एचटेट की ओएमआर सीट व डॉटा वेरिफिकेशन पर बोर्ड ने 1797583 रुपये खर्च किए। जेंबर पर 8334491 रुपये खर्च किए। एचटेट-2017 में जेंबर पर 19446281 खर्चे। एचटेट-2018 में 8468734 रुपये खर्च किए। एचटेट-2019 में 8966708 रुपये का बजट खर्च कर डाला। 

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