o सरकार समय रहते अगर किसानों की मांगों को स्वीकारती तो 700 से अधिक किसानों की जान नहीं जाती, उनके घरों में अंधेरा नहीं होता – दीपेंद्र हुड्डा
o आंदोलन में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले किसानों के परिवारों को मिले आर्थिक सहायता व सरकारी नौकरी – दीपेंद्र हुड्डा
o किसानों पर दर्ज मुक़दमे तुरंत वापस ले सरकार – दीपेंद्र हुड्डा
o गाँव हुंमायूपुर बखेता में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित दादी पिलासन वार्षिक मेला कार्यक्रम में सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने शिरकत की

रोहतक, 19 नवम्बर। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज रोहतक के कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत की। 3 कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा पर सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आजादी के बाद सबसे लम्बे और शांतिपूर्ण आंदोलन की सफलता के लिये देश के किसानों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने संबंधी प्रधानमंत्री की घोषणा से स्पष्ट हो गया है कि किसानों की मांगे जायज थीं। उन्होंने आंदोलन में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले 700 से अधिक किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार समय रहते अगर किसानों की मांगों को स्वीकारती तो इतनी जानें न जाती और इन घरों में अंधेरा न होता। दीपेंद्र हुड्डा ने मांग करी कि सरकार दिवंगत किसानों के परिजनों को सरकारी नौकरी तथा आर्थिक सहयोग दे, साथ ही किसानों पर दर्ज मुकदमें तुरंत वापस ले।

आज रोहतक के गांव हुमायूंपुर बखेता में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित दादी पिलासन वार्षिक मेले के दौरान एक कार्यक्रम में दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि देश के किसानों ने पिछले एक साल से हर प्रकार का दुःख, दर्द, अपमान, अत्याचार, सरकारी प्रताड़ना झेली। किसानों को और उनकी आवाज़ को कुचलने, रौंदने के हर प्रयास हुए। संसद में सरकार किसान शब्द तक सुनना पसंद नहीं करती थी। आंदोलनरत किसानों पर लाठी-डंडे, आंसू गैस के गोले, ठंड में ठंडे पानी की बौछारें बरसायी गयीं। इस दौरान 700 से ज्यादा किसानों के शव विभिन्न धरनों से अपने-अपने गांव लौटे, फिर भी किसानों ने अपना संयम नहीं खोया और वे संविधान के दायरे में शांति के साथ अपनी मांगों को लेकर डटे रहे।
उन्होंने कहा कि दुःख इस बात का है कि सरकार पूरी असंवेदनशीलता और हठधर्मिता से किसानों को नकारती रही और किसानों को किसान मानने तक से इनकार करती रही। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि संसद में जब उन्होंने दिवंगत किसानों को श्रद्धांजलि देने, किसानों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करने और उन्हें मदद देने की मांग उठायी तो सरकार का कोई सांसद, कोई मंत्री खड़ा तक नहीं हुआ, उल्टा वे किसानों की कुर्बानी की खिल्ली उड़ाते रहे। जब-जब उन्होंने किसानों के मुद्दों को संसद में उठाने का प्रयास किया उनका माइक बंद कर दिया गया। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि उन्हें इस बात का संतोष है कि अंततः सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार को अविलम्ब किसानों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए। हरियाणा में बड़े पैमाने पर किसान की खरीफ की फसल बेमौसमी बारिश व जलभराव से खेतों में ही गल गयी है। खेतों से पानी की निकासी न होने और खाद की भयंकर किल्लत के चलते रबी की बिजाई तक नहीं हो पा रही है। किसानों को अपने परिवार, बच्चों के साथ रात-रात भर खाद के लिये लाईनों में लगना पड़ रहा है। फिर भी उसे जरुरत भर की खाद नहीं मिल रही है। महंगे डीजल-पेट्रोल से किसान की लागत बढ़ती जा रही है, जबकि उसकी आमदनी घटती जा रही है। मंडियों में खरीद बंद करने से किसान को एमएसपी से कम भाव पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। ऐसे में सरकार को किसानों से जुड़ी सभी समस्याओं के समाधान के लिये ठोस कदम उठाने चाहिए।

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