माईकल सैनी आप नेता गुरुग्राम

गत दिनों पूर्व से गुरुग्राम खुले में नमाज प्रकरण चलना और फिर खुलकर उसका विरोध होने का मामला इतना गरमाकर तूल पकड गया कि यह खबरें अब देश तक ही सीमित नहीं रही अपितु अंतरराष्ट्रीय हो चली हैं कमोवेश ऐसा ही संघ व भाजपा सरकारें चाहती भी होंगीं कि खुले में नमाज के विरोध के सहारे ही सही साम्प्रदायिकता का जहर घोलकर ही सही भाजपा के लिए माहौल तो तैयार किया जाए ताकि सत्ता पर मजबूत पकड़ के साथ काबिज रहा जा सके लंबे समय तक मगर दुर्भाग्य से किसी ने यह नहीं सोचा कि इन सब घटनाक्रमों से हमारे शहर की छवि कितनी कलंकित हो सकती है , कितना बदनुमा दाग लग सकता है , व्यापार उद्योग और निवेश नहीं आने से कितना प्रभावित हो जाएगा प्रदेश , आमजन के मनोभाव किस हद तक विकृत हो सकते हैं शत्रुता का भाव रखेंगे और माहौल ऐसा ही बना रहा तो बच्चों की शिक्षा पर कितना बड़ा ग्रहण लग सकता है , आखिर किस प्रकार के भविष्य का निर्माण करना चाहते हैं देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने वाले लोग ?

देश के विकास के विषय में कोई योजना तैयार न कर पाने वाले असमर्थ (अक्षम ) लोग आज देश को बर्बादी की ओर धकेल रहे हैं नफरत फैलाकर अमन-चैन-भाईचारे को खराब कर देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी भारत की छवि को खराब करने में लगे हैं इन देश शत्रुओं को न जाने किसकी शह मिली हुई है और किनका सरंक्षण प्राप्त कि इनकी संख्या दिनोदिन घटने के स्थान पर बढ़ती ही जा रही हैं आख़िर कोई इनसे पूछने वाला क्यों नहीं कि इस कट्टरपंथी सोच से वह कैसा विकास करना चाहते हैं देश का और कोनसा भला होने वाला है इस साम्प्रदायिकता से ?

खबरों में प्रकाशित हो रहे विदेशी नेताओं के बयान उनके राजनयिकों की प्रतिक्रियाएं हमारे देश के आंतरिक मामलों में उनके हस्तक्षेप शोभनीय तो हर्गिज नहीं परन्तु क्या करें कुछ लोगों की गलत गतिविधियों के चलते सहन करना पड़ रहा है मजबूरीवश अन्यथा क्या मजाल के कोई अदना सा देश हमारे देश को नसीहतें दे सके । खैर

बात खुले में नमाज के मुद्दे पर करते हैं तो गुरुग्राम प्रशासन ने 37 जगह मुस्लिम समुदाय के लोगों को नमाज पढ़ने के लिए इजाजत दी थी और हरियाणा के मुख्यमंत्री जी ने भी करीब पांच एकड़ जगह अभिहाल देने की घोषणा की है और नमाज के विरोध करने पर सख्त एतराज जताया था परन्तु फिर भी विरोध हुआ और उन्हीं की पार्टी के कार्यकर्ताओं अथवा संघ नेताओं द्वारा किया गया , एक तरफ तो सरकारी तोहफा दिया जा रहा है और वही दूसरी ओर संघ कार्यकर्ताओं को विरोध स्वरूप नेतागिरी निखारने का मौका दिया जा रहा है तथा सहानुभूति लूटने के लिए कार्यवाही के नाम पर मामूली धाराएँ लगा वाह वाही लूटी जा रही हैं यह कहकर कि हमने कार्यवाही की है और हम समानता के पक्षधर हैं – अब सवाल यह उठता है कि अखित दोहरी चाल क्यों चल रही है भाजपा सरकार तथा ऐसा करके कब तक मूर्ख बनाती रहेगी जनता को ?

तरविंदर सैनी (माईकल ) आम आदमी पार्टी नेता गुरुग्राम का मानना है कि यदि इस मामले पर राजनीति करने वाले किसी भी समुदाय के लोग हों उन्हें बक्शा नहीं जाना चाहिए और हर कीमत पर शीघ्रता से मामले को समाप्त कर क्षेत्र में शांति बहाली के लिए सरकार को कठोर कदम उठाना चाहिए नहीं तो लोगों में प्रतिस्पर्धा शुरू होने का भय है सिख समुदाय की तर्ज पर अनेकों नेता भी वोटबैंक की घटिया राजनीति करने के लिए , अपने यहां आमंत्रित करेंगे जिससे हिंदू संगठनों और नमाजियों के आयोजकों के मध्य संघर्ष होने की संभावना बढ़ जाएगी और यदि ऐसा हुआ तो क्षेत्र की शांति को आग लगाने वाले किसी खूनी संघर्ष को भी अंजाम दे सकते हैं फिर नतीजा जो निकलेगा उसे विनास कहते हैं इसलिए समय रहते चेते सरकार और मानवता को जीवित रखने के लिए अपनी तुच्छ मानसिकता को त्याग कर लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत निर्णय लेना चाहिए ।।

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