भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। किसान आंदोलन भाजपा सरकार के गले की फांस बन गया है, जिसे न खाते बने न उगलते। सरकार के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री आधे से अधिक हरियाणा में जा नहीं सकते। उनके सभी कार्यक्रम अब गुरुग्राम में होने लगे हैं। यदि गुरुग्राम को अघोषित राजधानी कहा जाए तो शायद अनुचित नहीं होगा।

गुरुग्राम की जनता त्रस्त है रोज-रोज वीआइपी के आने से। कभी राज्यपाल यहां आते हैं, मुख्यमंत्री का आवागमन तो लगा ही रहता है, अन्य मंत्री भी आते हैं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी मीटिंगें यहीं करते हैं और इन सबमें गुरुग्राम के अधिकारी प्रोटोकॉल के तहत लगे रहते हैं।

आम जनता दूर-दूर से आते हैं। पता लगता है कि अधिकारी कार्यालय में नहीं हैं, वीआइपी का आगमन हुआ है। इससे जनता में आक्रोश पनपने लगा है। उनका कहना है कि पहले कभी वीआइपी आता था तो भेंट देकर जाता था और अब कष्ट देकर जाता है। क्या भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जो गुरुग्राम में ही निवास करते हैं और मुख्यमंत्री जिनके बारे में भी कह सकते हैं कि वे गुरुग्राम के ही बाशिंदे हैं, यह सोचेंगे कि किसान आंदोलन से आंख चुराने के लिए गुरुग्राम की जनता का कितना दोहन वह कर रहे हैं।

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