गीता ज्ञान, गीता ही समाधान, गीता स्वाभिमान : स्वामी ज्ञानानंद

वर्तमान विश्व व समाज की सभी समस्याओं का हल श्रीमद्भागवत गीता में निहितः स्वामी ज्ञानानंद महाराज।
अपेक्षाओं से ऊपर उठकर कार्य करने की आवश्यकता: प्रो. सोमनाथ सचदेवा।
कुवि में श्रीमद्भगवद्गीता की प्रासंगिकता विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 11 नवम्बर :- गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि गीता महोत्सव से पूर्व आजादी का अमृत महोत्सव के तहत् इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। महाभारत की भूमि में भगवान कृष्ण ने पांच हजार वर्ष पहले जब दुनिया को गीता का संदेश दिया था। श्रीमद्भगवद्गीता उस समय भी प्रासंगिक था और आज उससे भी अधिक प्रासंगिक है। वर्तमान विश्व व समाज की सभी समस्याओं का हल श्रीमद्भगवद्गीता में निहित है। इस ग्रन्थ को जीवन में अपनाकर ही विश्व का कल्याण संभव है। वे गुरूवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में श्रीमद्भगवद्गीता अध्ययन केन्द्र व युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग की ओर से विश्व शांति स्थापना में श्रीमद्भगवद्गीता की प्रासंगिकता विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस मौके पर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने शिक्षिका सरिता आर्य की पुस्तक का विमोचन भी किया।

स्वामी ज्ञानानंद जी ने कहा गीता समाधान है, संविधान है गीता स्वाभिमान है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता व्यक्ति को जीवन में सही निर्णय लेने में मदद करती है। जब व्यक्ति के निर्णय सही होते है तो तभी परिणाम भी सही मिलते हैं। आज दुनिया में जिस तरह से मूल्यों का क्षरण हुआ है, ऐसे समय में पूरी मानवता को मजबूत व सशक्त बनाने के लिए विश्व के प्रत्येक व्यक्ति के लिए गीता का अध्ययन जरूरी है। उन्होंने कहा कि सुविधाओं के साथ समस्याएं बढ़ रही हैं।

स्वामी ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता से प्रेरणा लेकर सकारात्मक सोच के साथ जीना चाहिए। गीता में मानसिक शान्ति से लेकर विश्व शान्ति निहित है। उन्होंने कहा कि हमारा कर्तव्य है कि गीता को व्यावहारिक जीवन में धारण करें तथा गीता के संदेश एवं संस्कार को जन-जन तक पहुचाएं। उन्होंने कहा कि हमारी परम्परा हमारा स्वाभिमान है इसलिए हमारा कर्तव्य है कि इस विरासत को संभाले व बच्चों को इस विरासत संभालने के लिए प्रेरित करें। स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा को इस आयोजन के लिए बधाई दी।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि वेंदों का सार गीता के अंदर है। उपनिषदों का सार भी गीता में है। हमारे युवा, हमारे लोग छोटी-छोटी बातों से व्यथित हो रहे हैं, डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। यह अपेक्षाओं के कारण होता है। हम काम बाद में करते हैं अपेक्षा पहले करते हैं इसलिए अपेक्षाओं से ऊपर उठकर कार्य करना चाहिए। हमें कर्म करना चाहिए फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। समत्व ही योग है। उन्होंने कहा कि गीता को केवल पढ़ने से कुछ नहीं होगा, बल्कि गीता को आचरण में ढालने की जरूरत है। तथा गीता को आचरण में ढालने के लिए अभ्यास करें। आजकल सभी देश विस्तारवादी नीति अपना रहे हैं। सब जगह अशांति फैल रही है। इस अंशाति को दूर करने के लिए गीता की प्रासंगकिता को पहचानना होगा व इसको अपने जीवन में धारण उस पर अमल करना होगा।

इस्कान के गोपाल कृष्ण महाराज ने कहा कि वर्तमान में पूरे विश्व में अंशाति बढ़ रही है जिससे हमारे समाज तथा मन में सकारात्मकता की कमी आ रही है जिसका मुख्य कारण अज्ञानता है। उन्होंने कहा कि गीता पूरे मानव समाज को दिशा दिखाने वाला ग्रन्थ है जिससे आत्मसात करके इस अज्ञानता को दूर किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गीता का 80 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है जिससे इस महान ग्रन्थ की दिव्यता प्रदर्शित होती है।जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. सुधीर आर्य ने कहा कि पूरे विश्व पर युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। आज सब देश अपने आपको शक्तिशाली बनाना चाहते हैं। विश्व शान्ति के लिए व युद्ध से बचने के लिए हमें गीता को जीवन में धारण करना होगा। अहिंसा, त्याग, शान्ति, सहयोग, दया, सत्य, किसी की चुगली न करना, सीखना, धैर्य को धारण करना, नीति के अनुसार चलना सब गीता में निहित है। पूरे संसार में पाप का कारण लोभ है। समाज में विकृतियां पैदा होती जा रही हैं और उसका कारण हम लोग ही हैं। गीता किसी व्यक्ति की वस्तु नहीं ये सभी को साथ लेने वाला ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि गीता को विश्वविद्यालय में लागू करना चाहिए ताकि विद्यार्थियों को विश्व कल्याण के बारे में पता लग सके।

विशिष्ट अतिथि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने कुरुक्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं है तथा गीता के कारण कुरुक्षेत्र की विश्व पटल पर अमिट पहचान बन चुकी है।

कार्यक्रम में मंच का संचालन युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने किया। इस कार्यक्रम में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, मारीशस, यूएसए से भी बधाई संदेश की लघु फिल्म प्रदर्शित की गई। कार्यक्रम में देश-विदेश से बड़ी संख्या में गीता विद्वतजन ऑनलाइन माध्यम से भी इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन से जुडे़।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, साक्षी महाराज, प्रो. आरके देसवाल, डॉ. भगत सिंह, प्रो. राजपाल, प्रो. विभा अग्रवाल, डॉ. विजय कुमार, डॉ. परमेश कुमार, डॉ. कुसुम, प्राचार्य डॉ. जोशी सहित गीता विद्वतजन, इस्कान के विद्यार्थी व बड़ी संख्या में शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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