अन्नकूट प्रसाद के लिए यथा सामर्थ खाद्य सामग्री की भेंट.
पहले भगवान विश्वकर्मा को भोग फिर प्रसाद का वितरण

फतह सिंह उजाला

पटौदी। कोई भी त्यौहार हो ,उत्सव हो, आयोजन हो या पारंपरिक खेलकूद । इसकी पृष्ठभूमि ग्रामीण अंचल ही रही है । ग्रामीण अंचल में आज भी भारतीय सनातन संस्कृति के सभी प्रकार के त्यौहार उत्सव को अनादि काल से चली आ रही परंपरा के मुताबिक ही मनाया जाता है ।

शुक्रवार को पटौदी क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में भी अन्नकूट पर्व धूम धाम और पूरे श्रद्धा भाव के साथ मनाया गया । दीपावली के अगले दिन शुक्रवार को पटौदी क्षेत्र के विभिन्न प्रमुख मंदिरों में शामिल इच्छापुरी शिव मंदिर ,बाबा हरदेवा मंदिर जाटोली ,प्राचीन शिव मंदिर अनाज मंडी हेली, मंडी श्री श्याम मंदिर टोडापुर , साईं बाबा मंदिर टोडापुर, बाबा बरखंडी मंदिर मेहचाणा, डेडावाला मंदिर, पाटौदी आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय, बोहड़ाकला स्थित महाकाल मंदिर, श्री श्याम मंदिर टोडापुर, विश्वकर्मा मंदिर के साथ-साथ विभिन्न गांव में सभी मंदिरों में शुक्रवार को सुबह से ही अन्नकूट का प्रसाद बनाने अथवा तैयार करने का सिलसिला सामूहिक रूप से आरंभ हो गया। वैसे तो दिवाली पूजन के बाद ही गुरूवार देर शाम से ही श्रद्धालुओं के द्वारा अंन्नकूट प्रसाद में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने और पुण्य अर्जित करने के लिए यथा सामर्थ खाद्य सामग्री भेंट करने का सिलसिला बना रहा ।

पटौदी क्षेत्र के सभी विख्यात और चर्चित मंदिरों में अंन्नकूट प्रसाद को तैयार किया गया और इसका वितरण भी किया गया । सभी श्रद्धालु अन्नकूट का प्रसाद जल्द से जल्द ग्रहण कर पुण्य के भागीदार और भगवान का  आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लालायित दिखाई दिए । अंन्नकूट के प्रसाद में सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला और वितरण किए जाने वाला प्रसाद बाजरे की खिचड़ी और कढ़़ी , यह बस दो खाद्य सामग्री ऐसी हैं जिन्हें की सभी श्रद्धालु बहुत ही श्रद्धा भाव और चाव के साथ में ग्रहण कर कृतार्थ मानते हैं । शुक्रवार को दोपहर में विभिन्न मंदिरों में आरंभ हुआ अंन्नकुट प्रसाद का सिलसिला सायं काल तक चलता रहा । कई मंदिरों में तो श्रद्धालु उम्मीद के मुताबिक अधिक पहुंच गए , लेकिन आयोजकों ने श्रद्धालुओं को निराश नहीं होने दिया और सभी को अन्नकूट का प्रसाद प्रदान किया गया

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