तरविंदर सैनी (माईकल ) इनैलो नेता अभय चौटाला का ऐलनाबाद उपचुनाव में पुनः जीत दर्ज कर चुने जाना और सत्ताधारी दल भाजपा को कड़ी शिकस्त देकर हाशिए पर पहुंचाना खट्टर सरकार को आईना दिखाने समान है , अनुमन सरकारें उपचुनाव जीत ही लेती हैं मगर सालभर में दूसरा उपचुनाव हारना सरकार के खिलाफ लोगों का रोष है जिसे खट्टर साहब समझना नहीं चाहते हैं या फिर जानबूझकर अपनी गलतियों को दोहराए जा रहे हैं , मुख्यमंत्री जी बेशक प्रधानमंत्री मोदी जी और अमित शाह जी से अपनी पीठ थपथपा आएं खूब प्रशंसा पत्र ले आएं मगर लगता नहीं के प्रदेश की जनता इन्हें स्वीकारने के मूड में है लगातार दोनों उपचुनाव हारना इसका प्रमाण है । तरविंदर सैनी (माईकल ) आम आदमी पार्टी नेता गुरुग्राम का कहना है कि बरोदा उपचुनाव की जबरदस्त हार से भी शबक नहीं सीखते हुए खट्टर सरकार व प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ जी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हुए पूंजीवादी व्यक्ति को अपना प्रत्याशी चुनकर पहले से पार्टी की टिकेट की माँग कर रहे कार्यकर्ताओं के ऊपर थोप दिया और उनके हाथों निराशा ही लगी , अब सवाल यह उठता है कि जिस पार्टी के सत्रह नेता अपनी दावेदारी जता रहे थे उनकी भूमिका शून्य तो नहीं हो गई अर्थात समझा जा सकता है कि उनकी अपने क्षेत्रों में पकड़ भी रही होगी जिसकारण ही वह अपने बूते भाजपा की सीट को जिताकर लाने का दम भर रहे थे फिर कहाँ गौण (लुप्त ) हो गए वह सब ,कहीं यही वजह तो भाजपा की करारी शिकस्त का कारण नहीं बनी ? बीजेपी लाख दावा करे कि वह चुनाव नहीं जीती तो क्या उसका वोट प्रतिशत तो बढ़ा ही है तो उसे स्मर्ण रखना चाहिए कि अभय चौटाला जी ने भी पिछली बार से कहीं अधिक वोटें हांसिल की है जो सत्ताधारी दल से कहीं ज्यादा है इसलिए लीपापोती नहीं करते हुए अपनी हार के कारणों पर मंथन करने की आवश्यकता है नीतियों में सुधार कर लचीलापन (नरमी) लाने की जरूरत है क्योंकि यह हार जो हुई है वह भाजपा के मुँह पर करारा तमाचा है जिसे शायद ही भुला पाए समूची भाजपा ओपी धनखड़ खट्टर सरकार । राजा रामचंद्र जी के समान रामराज्य लाने की घोषणभर कर देने से काम नहीं चलने वाला है आमजन को अच्छे दिनों की अनुभूति वास्तविकता में करानी होगी न कि जुमलों के प्रचार तक ही उन्हें सीमित रखा जाए , परेशान जनता की आप सुध नहीं ले रहे उनकी सुनते नहीं अब किसानों को ही लें ग्यारह महीनों से आंदोलन कर रहे हैं सैंकड़ों किसानों की शहादतें हो चुकी हैं फसल उनकी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही , खाद यूरिया बिजली का संकट बरकरार है आमजन की तकलीफों को बढ़ाने के लिए डीज़ल पैट्रोल को महंगा कर दिया जा रहा है ऊपर से सभी प्रकार की करवसुली होने उपरांत भी लोग मूलभूत सुविधाओं तक से वंचित हैं , बेख़ौफ़ अपराधियों के कारण भय का माहौल बना हुआ है अधिकारी सुनते नहीं अपनी नियमावली थोपकर अनापशनाप जुर्मानो की रकम वसूले जा रहे हैं जब्कि महंगाई से गृहस्थी संभाल पाना पहले से अधिक मुश्किल हो गया है उसपर जमाखोरी एवं मिलावटखोरी बदस्तूर जारी है लोगों को खुलेआम लूट रहे हैं भृस्टाचारी मगर कोई खैरगवा नहीं , ऐसे में जनता का इसे विरोध ही समझे खट्टर सरकार जिसे प्रदेशवासियों ने वोट की चोट देकर दर्ज कराया है । Post navigation हार पर जीत का मुलम्मा चढ़ा कर आका को रिझाने में जुटे शब्दों के जादूगर आयुर्वेद हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा: सुधीर सिंगला