थीम पार्क में 501 कुंडीय लक्षचंडी महायज्ञ का नौवां दिन वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र,30 अक्तूबर :- मां मोक्षदायिनी गंगाधाम ट्रस्ट ऋषिकेश-हरिद्वार द्वारा थीम पार्क में 501 कुंडीय लक्षचंडी महायज्ञ में स्वामी ज्ञानानंद ने भारतीय धर्म व संस्कृति विषय को लेकर विस्तार से चर्चा की। शुक्रवार सायंकालीन आरती में कुरुक्षेत्र के उपायुक्त मुकुल कुमार,पुलिस अधीक्षक धीरज कुमार सेतिया,कांग्रेस नेता जलेश शर्मा,पार्षद आर.एस. वधवा, उद्योगपति अश्वनी जैन सहित अन्य यजमानों ने हिस्सा लिया। स्वामी ज्ञानानंद ने भारतीय धर्म व संस्कृति विषय पर बोलते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति जीवन -दर्शन,व्यक्तिगत और सामुदायिक विशेषताओं, भूगोल, ज्ञान – विज्ञान के विकास क्रम, विभिन्न समाज, जातियों के कारण बहुत विशिष्ट है। यह भिन्नता-विभिन्नता सहज और स्वाभाविक है।हमारी भारतीय संस्कृति सार्वभौमिक सत्यों पर खड़ी है और इसी कारण वह सब ओर गतिशील होती है। कोई भी संस्कृति की अमरता इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह कितनी विकासोन्मुखी है।जिस संस्कृति में युग की मांग के अनुसार विकसित और रूपांतरित होने की क्षमता नहीं होती,वह पिछड़ जाती है।भारतीय संस्कृति आत्मा को ही मुख्य मानती है। शरीर और मन की शुद्धि भी आवश्यक है। जब तक मनुष्य का बाह्य तथा अंतर शुद्ध नहीं होता तब तक वह त्रुटिपूर्ण विचारों को भी सही मानता रहेगा। भारतीय संस्कृति का विकास धर्म का आधार लेकर हुआ है इसीलिए उसमें दृढ़ता है।भारतीय संस्कृति व्यक्ति को व्यक्तित्व देती है और उसे महान कार्यों के लिए प्रोत्साहित करती है किंतु व्यक्तित्व का चरम विकास यह सामाजिक स्तर पर ही स्वीकार करती है। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। अन्य देशों की संस्कृतियां तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किंतु भारत की संस्कृति आदिकाल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। इसकी उदारता तथा समन्यवादी गुणों ने अन्य संस्कृतियों को समाहित तो किया है किंतु अपने अस्तित्व के मूल को सुरक्षित रखा है। कार्यक्रम में यज्ञ सम्राट हरिओम महाराज, महामंडलेश्वर डा. प्रेमानंद , और महामंडलेश्वर विकास दास महाराज मोहड़ा धाम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। लक्षचंडी महायज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा गोल्डी, अशोक शर्मा, आशुतोष गोस्वामी, राजेश मौदगिल, विजयंत बिंदल, पार्षद भारत भूषण सिंगला, राहुल तंवर व सतपाल द्विवेदी सहित व्यवस्था में जुटे समस्त कार्यकर्ताओं ने सभी संतों का स्वागत किया। शनिवार सुबह सभी संतों ने लक्षचंडी महायज्ञ में आहुतियां दी। कार्यक्रम में विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री बालकिशन, खंड कार्यवाह राजीव, दिनेश कुमार जींद, आरएसएस विभाग कार्यवाह डा. प्रीतम, डा. मनीष, परुषोतम सिंह ठाकरान, अनुज, सह जिला संघचालक रणजीत, सोनू मल्होत्रा, दीपक सचदेवा, इकबाल लुखी, डा. संजीव शर्मा,अतुल शास्त्री, इश्वर सिंह, बलबीर सिंह, परीक्षित शर्मा, राहुल पांचाल, लखीराम, कृष्णा, लीलूराम हिसार, सोमप्रकाश कौशिक, ओमप्रकाश लुखी, सतीश शर्मा, सतीश मित्तल,रमण बंसल,ओमप्रकाश जलगांव, रमेश कौशिक, हरीश शर्मा,जनकराज सिरसा, बी.डी.गौड़ चंडीगढ़, सीमा लोहिया व ममता गोयल सिरसा, देवेंद्र शर्मा,हरि प्रकाश शर्मा सोनीपत, हरीश अरोड़ा,कंवरपाल शर्मा, सरजन्त सिंह,अनिल देवगण,भगवत दयाल शर्मा,अनिल राणा सफीदों, सुरेन्द्र शर्मा, मुनीष राव,राज सिंह मलिक,लवकुश पंडित, दीपक शर्मा, कमल शर्मा, कृष्ण दहिया सिसाना, राजीव सैनी, विजेंद्र सिंह,अनिल डागर, ईश्वर शामड़ी, सुशील व आर.डी.शर्मा सहित अन्य श्रद्धालु शामिल रहे। Post navigation अहोई अष्टमी पर क्या कहते हैं धर्म विशेषज्ञ दिन में बाबा हरदेवा की नगर परिक्रमा और रात्रि में गुणगान