Category: देश

मीन साहित्य संस्कृति व मीन की बहार आपके द्वार मंच ने काव्यांजलि के रूप में सरदार पटेल का जन्म दिवस मनाया

मीन साहित्य संस्कृति मंच व मीन की बहार आपके द्वार मंच बहादुरगढ़ झज्जर हरियाणा ने 31/10/2020 को राष्ट्रीय एकता दिवस /लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के जन्म दिवस…

रात हलाला नेक है, उठते नहीं सवाल !राम नाम की दक्षिणा,पर क्यों कटे बवाल !!

लव जिहाद और राणा जैसे बयान दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करते है। यह किसी एक राज्य, देश या समुदायों तक सीमित नही बल्कि विश्व्यापी समस्या बनता जा रहा…

उदारता की बजाय पड़ोस में सजगता की जरूरत है

भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और विचारों को रचनात्मक रूप से प्रचारित करके क्षेत्रीय राज्यों के साथ अपने सभ्यतागत संबंधों को और बेहतर बनाया जा सकता है। यह बदले में भारत…

1 नवम्बर से देशभर में बदल जायेंगे ये 7 नए नियम, जान लें वरना होगी परेशानी

1 नवंबर से आपकी जिंदगी में कई बदलाव होने वाले हैं. रसोई गैस के सिलेंडर से लेकर ट्रेनों के टाइम टेबल तक सबकुछ बदलने वाला है. हम आपको यहां पर…

मीडिया से सवाल क्यों नहीं ?

–कमलेश भारतीय मुम्बई के रिपब्लिक टीवी के चीफ एडिटर अर्णब गोस्वामी की रिपोर्टिंग शैली पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि मीडिया के…

आखिर क्यों बदल रहे हैं मनोभाव और टूट रहे परिवार ?

भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर…

मूर्ति पूजक देश में प्रधानमंत्री के पुतले जलाने के क्या इशारे ?

-कमलेश भारतीय हमारा देश मूर्ति पूजक देश है । मंदिर , पार्क, सार्वजनिक स्थानों और कितनी ही जगह मूर्तियां ही मूर्तियां ही लगी दिखती हैं । एक चंडीगढ़ ऐसा शहर…

मैला ढोने वालों की दुर्दशा

28 साल पहले एक कानून के माध्यम से इस पर प्रतिबंध लगाने एवं तकनीकी प्रगति के बावजूद, मानव अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता पैदा करने वाली , मैनुअल स्कैवेंजिंग भारत में…

क्राइम पेट्रोल को मात देती घटनाएं

-कमलेश भारतीय बचपन से ही जासूसी उपन्यास बहुत प्रिय रहे । अपने छोटे से शहर मे दो ऐसी दुकानें थीं जो किराये पर किताबें देती थीं -एक किताब, एक दिन…

कवि सम्मेलनों में लौटे कविता , यही ख्वाब है : लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

-कमलेश भारतीय कवि सम्मेलनों के गिरते स्तर से बहुत दुख होता है । इसलिए यही ख्वाब है कि कवि सम्मेलनों में फिर से कविता लौट आए । इसी प्रकार कुछ…

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