-कमलेश भारतीय कवि सम्मेलनों के गिरते स्तर से बहुत दुख होता है । इसलिए यही ख्वाब है कि कवि सम्मेलनों में फिर से कविता लौट आए । इसी प्रकार कुछ विधाएं खतरे में हैं । इनकी ओर भी ध्यान देकर इन्हें बचाया जाए । बाकी सारी ज़िंदगी जैसे लिखना पढ़ना किया वैसे ही करता रहूं । यह कहना है आकाशवाणी से डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पद से सेवानिवृत व प्रसिद्ध कवि, लेखक लक्ष्मीशंकर वाजपेयी का । वे आजकल साहित्य अमृत पत्रिका के संपादन का काम भी देख रहे हैं । मूल रूप से कानपुर के निकट गांव सुजगवां के निवासी लक्ष्मीशंकर वाजपेयी की कक्षा तीन तक की पढ़ाई तो गांव में ही हुई , फिर एम एस सी तक की शिक्षा कानपुर में पूरी की । सन् 68 में पहली बार कुंडलियां लिख कर काव्य जगत में प्रवेश किया फिर सन् 71 की भारत पाक युद्ध के समय देशभक्ति की कविताएं लिखीं पर सारिका के दुष्यंत कुमार विशेषांक से दिशा मिली और वे गज़ल लिखने और मंचों पर सुनाने लगे । -गज़ल में कैसे ?-फिजिक्स का छात्र था और फाॅर्मूला अच्छा लगा कि दो पंक्तियों में अपने दिल की बात कह लो । -आकाशवाणी में कब आए ?-वैसे तो आईएएस बनना चाहता था । बैंकों में प्रोबेशनरी ऑफिसर चुना गया पी सी एस क्लियर कर लिया लेकिन फिर आकाशवाणी के लिए यूपीएससी द्वारा चुना गया । जनता के बीच रहने का सही माध्यम मिल गया । -कहां कहां रहे आकाशवाणी में ?-ग्वालियर में पहली पोस्टिंग के बाद बीकानेर , अल्मोड़ा, जम्मू, बाड़मेर और फिर दिल्ली में नेशनल चैनल और फिर आकाशवाणी दिल्ली .. यहीं से डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पद से सेवा निवृत्त -क्या खास अनुभव आकाशवाणी के ?-जनमंच कार्यक्रम के माध्यम से हर रेलगाड़ी में दो की जगह चार जनरल डिब्बे लगने लगे। नयी प्रतिभाओं की खोज जो आज विभिन्न क्षेत्रों में सितारे बन गये हैं।विशाल भारद्वाज और उनकी गायिका पत्नी ससुराल गेंदा फूल वाली रेखा भारद्वाज, दूरदर्शन की स्व.नीलम शर्मा नेशनल चैनल से जुड़े रहे। मीडिया के प्रियदर्शन, अभिसार शर्मा आदि ने वहीं से शुरुआत की। स्वतंत्रता सेनानियों के खोज खोज कर साक्षात्कार प्रसारित किए जैसे दुर्गा भाभी, भगतसिंह के भाई कुलतार सिंह,आजाद हिंद फौज के कर्नल ढिल्लन लक्ष्मी सहगल । पान मसाला पर कानून बना । पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर “उड़ने दो परिंदों को” डाक्यूमेंट्री से यशपाल कमेटी का गठन हुआ। दर्जनों सक्सेस स्टोरीज हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात की शुरूआत में संयोजन का दायित्व मिला। -पत्नी ममता किरण भी अच्छी कवयित्री हैं । कैसे विवाह हुआ ?-वे भी कानपुर की ही हैं और राष्ट्रीय सहारा के परिशिष्ट देखती थीं । पत्रकारिता में रहीं । फिर टी वी चैनल पर भी ।पर बच्चों के लिए फिर घर संभालने में लग गयीं कुछ वर्ष । -क्या कानपुर से हैं तो पहले से परिचित थीं ?थोड़ा हंसें और कहा कि जी , हम पहले से परिचित थे । -बच्चे कितने और क्या करते हैं ?-बेटा गीत डाॅक्टर है तो बेटी गीतिका अमेरिका में साइंटिस्ट । -अब क्या लक्ष्य ?-कवि सम्मेलनों में सच्ची कविता लौटे । हिंदी की जो विधायें खतरे में हैं उन्हें बचाया जाये और बस लिखता पढ़ता रहूं । लक्ष्मीशंकर वाजपेयी को हमारी शुभकामनाएं । आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 9911020613 Post navigation जाम की समस्या हल करने के लिए हिसार मे दो अतिरिरक्त बस स्टेंड बनाये जाएं – योगराज शर्मा क्राइम पेट्रोल को मात देती घटनाएं