Tag: जय प्रकाश नारायण

धिक्कार है हिंसक नेतृत्व आत्ममुग्ध रक्षकुल शठ

– यानी चित भी मेरी,पट भी मेरी,अंटा मेरे बाप का!— मृतक कभी आंदोलित नही होते, आंदोलन जीवनदर्शन है , जो आंदोलित नही रहेगा वह मर जायेगा ।– आन्दोलनजीविता, चैत्यन्तता का…

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