Tag: – -प्रियंका सौरभ

जाम से रेंगते शहर ………

भारत में तेजी से हो रहे शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण वाहनों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जिससे प्रमुख शहरों में यातायात की गंभीर समस्या उत्पन्न हो…

राजनीतिक हस्तक्षेप से त्रस्त शिक्षा संस्थान ……..

विश्वविद्यालय शैक्षणिक सुधारों के बजाय राजनीतिक हितों के पोषण का केंद्र न बनने पाएं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति केंद्र सरकार और राज्यों के विश्वविद्यालयों में राज्य सरकारें करती…

आखिर क्यों आदर्श आचार संहिता की कोई नज़ीर पेश नहीं होती ?

बीते कुछ सालों में देश में जितने भी चुनाव हुए हैं, चाहे वो लोकसभा के हों या विधानसभा के, सब में आचार संहिता उल्लंघन के मामले सामने आते रहे हैं।…

विज्ञान और धर्म ………… संसार के दो शासक

समाज में धर्म और विज्ञान की भूमिका प्रभावशाली है। विज्ञान और धर्म के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि पहले का संबंध प्राकृतिक दुनिया से है जबकि दूसरे का…

मानवता को शर्मसार करती मानव तस्करी

मानवता को शर्मसार कर देने वाली मानव तस्करी सभ्य समाज के माथे पर बदनुमा दाग है, मानव तस्करी आधुनिक दुनिया में होने वाले सबसे विनाशकारी मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक…

नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा’, चुनावी बॉन्ड को रद्द करने का फैसला

चुनावी बांड पर दिया गया फैसला अभिव्यक्ति की आजादी को मजबूत करता है। चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करना लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में पहल चुनाव में नियमों का…

फिर से स्वर्ग बन रहा है हमारा कश्मीर …….

अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद, कश्मीरी भारतीयों की नव स्थापित फर्मों में काम कर रहें हैं और अच्छा पैसा कमा रहें हैं। अधिक नौकरियाँ पैदा करने से अनिवार्य रूप…

क्यों नहीं अभिभावकों को सरकारी स्कूलों पर भरोसा ?

हालिया अध्ययन ने पुष्टि की है कि शिक्षा की खराब गुणवत्ता के कारण माता-पिता को सरकारी स्कूलों पर भरोसा नहीं है और वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला…

शिक्षा माफियाओं के दबाव में स्कूल और डिजिटल शिक्षा

(जब तक सही समय न आये डिजिटल शिक्षा से काम चलाना बेहतर है) ——————-—— -प्रियंका सौरभ रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट मीडिया रिपोर्ट…

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