फतेहाबाद हिसार जन संदेश यात्रा ………… लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाया नीतिश ने : सैलजा 29/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने जो पल्टी मारी है, वह लोकतंत्र का मज़ाक है। यह लोकतांत्रिक परंपराओं की भी गिरावट है। यही नहीं यह अवसरवादिता की राजनीति…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर- भाग चौबीस : हरियाणा से जुड़ा हिसार के रिपोर्टर से पहले रिश्ता…. 28/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय फिर एक नया दिन, फिर एक न एक पुरानी याद ! पंजाब विश्विद्यालय की कवरेज के दिनों एक बार छात्रायें अपनी हाॅस्टल की वार्डन के खिलाफ कुलपति कार्यालय…
हिसार मोक्षाश्रम यहाँ दुखों की पोटलियां सुखों में बदल जाती हैं ….. 28/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय मैं बात करने जा रहा हूँ – कैमरी रोड स्थित मोक्षाश्रम की, जिसकी संचालिका प्रसिद्ध समाजसेविका पंकज संधीर हैं और इसके अध्यक्ष हैं विजय भृगु । वैसे तो…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर – भाग तेइस : वह पहली कहानी के छपने की पुलक… 27/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय यादें भी क्या हैं, आती हैं तो आती ही चली आती हैं, इनका न कोई ओर, न कोई छोर! जैसे पतंग उड़ाने वाली डोर की चरखड़ी, जो लगातार…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर – भाग बाइस : आजकल पासबुक से बड़ी कोई बुक नहीं…. 26/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय मित्रो, चल रहा हूँ, यादों की पगडंडियों पर – बिल्कुल बेखबर कि ये मुझे कहां ले जाने वाली हैं पर मैं डरते-डरते चलता जा रहा हूँ । आज…
साहित्य हिसार जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिज़ाज….. 25/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय यादों से घिरा रहता हूँ, सुबह शाम ! जब जब यादें आती हैं, कितने खट्टे मीठे अनुभव याद कराती हैं और यह भी कि वक्त क्या क्या दिन…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर – भाग बीस …….. कुमार विकल मैं बहुत उदास हूँ ! 24/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय जब जालंधर की यादें लिखनी शुरू की थीं, तब लगता था कि दो चार दिन लिखकर आपसे विदा ले लूंगा लेकिन यादें जालंधर से चलती हुईं मुझे न…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर – भाग उन्नीस ………… किताबें उधार लेकर क्यों पढ़ें ? 23/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय वैसे तो यादों की पिटारी किसी की कभी खत्म नहीं होती, लेकिन क्या क्या, कहाँ छिपा हुआ है , किस कोने में छिपा है, यह खुद पिटारी रखने…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर- भाग सत्रह …….. क्या मोहन राकेश ही कालिदास तो नहीं थे? 21/01/2024 bharatsarathiadmin -कमलेश भारतीय पता नहीं, किधर से किधर , यादों की गलियों में निकल जाता हूँ और बहुत बार यादों में खोया-खोया, किसी एक में पूरी तरह खो जाता हूँ। आज…
साहित्य हिसार मेरी यादों में जालंधर -भाग सोलह ……. दिल को छू लेती है आज भी मासूम हंसी! 20/01/2024 bharatsarathiadmin कमलेश भारतीय यादों का यह सिलसिला जालंधर से शुरू होकर, न जाने किस तरफ अपने आप ही मोड़ ले लेता है और मित्रो मैं कोई नोट्स लेकर किसी तयशुदा मंजिल…