कमलेश भारतीय

हिसार : समाज और नेता में आपसी विश्वास बहुत जरूरी है और सर छोटूराम ऐसे ही नेता थे, जिनपर लोगों को बहुत विश्वास था। सर छोटूराम विपरीत परिस्थितियों में भी ऊंचे उठने का साहस रखते थे । हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने यह बात गुजवि द्वारा आयोजित दीनबंधु सर छोटूराम जयंती व बसंत पंचमी समारोह को संबोधित करते कही । वे आयोजन को मुख्यातिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे ।

कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि सर छोटूराम का यह मानना था कि अविद्या ही सभी समस्याओं की बड़ी वजह है और हमें इसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। इसी से हमारी सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक समस्याएं कम होंगीं । श्री छोटूराम ने किसानों को जागरूक करने के लिए ‘बेचारा ज़मींदार’ और ‘जाट गजल से भी नहीं है जैसी पुस्तिकाएं प्रकाशित कीं । दलित मज़दूरों को शोषण से बचाने के लिए सबसे पहला कानून बनाया, इसलिए दीनबंधु कहलाये ! ये सर छोटूराम ही थे, जिन्होंने समय रहते यह भांप लिया था कि किसान को कृषि के साथ साथ वैकल्पिक आय यानी रोज़गार की भी जरूरत है । वे कहते थे कि व्यवस्था में रहते हुए अपने विरोध की आवाज़ उठाना सीखो !

कुलपति प्रो नरसी राम बिश्नोई ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते कहा कि बसंत पंचमी प्रकृति में होने वाले परिवर्तन का त्यौहार है और इसे सर छोटूराम के साथ जोड़ा गया है । वे किसानों मजदूरों को अपने बच्चों को शिक्षित करने पर ज़ोर देते थे। प्रो नरसी राम ने सर छोटूराम को सामाजिक क्रांति लाने का श्रेय दिया ।

पद्मश्री सम्मान के लिए घोषित हिसार के वैज्ञानिक प्रो आर सी सिहाग ने कहा कि किसानों तक सरकारी नीतियों का लाभ कैसे पहुंचे , इस ओर ध्यान देने की जरूरत है । इसी प्रकार किसान और ब्यूरोक्रेसी के बीच बिचौलियों को पहचानने की जरूरत है ।
आचार्य दीपक ने कहा कि हरियाणा की पहचान ‘हुक्का’ नहीं बल्कि ‘हल’ है । सर छोटूराम समरसता लाने और बनाये रखने के पक्षधर थे और वे कहते थे कि आदमी चाहे महात्मा गॉंधी की तरह दुबला पतला हो लेकिन विचारों से, सिद्धांतों से दृढ़ होना चाहिए । कुलसचिव प्रो विनोद छोक्कर ने कहा कि सर छोटूराम ने इस बात की ओर अपना सारा जीवन लगा दिया कि अन्नदाता को अन्न मिलता है कि नहीं ! यह किसी ने देखा तो सर छोटूराम ने !

इस अवसर पर अनेक प्राध्यापक व बड़ी संख्या में छात्र मौजूद थे।

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