फसलों की समग्र सिफारिशें किसानों के लिए होती हैं लाभदायक : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

गहन मंथन व भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर दी जाती हैं सिफारिशें

हिसार : 27 अक्टूबर – चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार किसानों की सेवा के लिए हर समय तैयार है। किसानों को किसी भी सूरत में फसलों संबंधी समस्याओं का सामना न करना पड़े इसके लिए समय-समय पर प्रदेश के कृषि अधिकारियों व किसानों के साथ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक हर समय संपर्क बनाए रखते हैं ताकि उनकी हर समस्या का निदान समय पर हो सके। ये विचार एचएयू व गुजविप्रौवि हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे विश्वविद्यालय में आयोजित कृषि वैज्ञानिकों एवं हरियाणा सरकार के कृषि अधिकारियों की दो दिवसीय वर्कशॉप के समापन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम में अतिरिक्त गन्ना आयुक्त डॉ. जगदीप बराड़ विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। मुख्यातिथि ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई समग्र सिफारिशें प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों, जलवायु, सिंचाई सुविधाओं, मृदा जैसे अनेकों कारकों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं ताकि किसानों को इसका भरपूर लाभ मिल सके। वैज्ञानिकों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में विभिन्न फसलों की कीट, बीमारी व अन्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए निरंतर निगरानी की जाती है ताकि आने वाले समय में उस समस्या का समय पर निदान हो सके और किसान आर्थिक नुकसान से बचते हुए फसल की पैदावार में इच्छित पैदावार हासिल कर सके। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया किय वे समग्र सिफारिशों को ओर भी सरल भाषा में मुहैया करवाएं ताकि कम पढ़े-लिखे किसान भी आसानी से उसका फायदा उठा सकें। डॉ. जगदीप बराड़ ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों के लिए निरंतर प्रयासरत है। जल संरक्षण के लिए एक ओर जहां मेरा पानी मेरा विरासत योजना कारगर साबित हो रही है वहीं फसलों के विधिकरण को बढ़ावा देने के लिए बाजरे की जगह तिलहन व दलहन फसलों को बोने पर भी आर्थिक सहायता प्रदान करती है।

वैज्ञानिकों व कृषि अधिकारियों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
दो दिवसीय कार्यशाला में छह सत्र आयोजित किए गए। कार्यशाला के प्रथम दिन गेहूं व जौ के लिए संबंधित अधिकारियों व वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। दूसरे सत्र में गन्ना व मक्का और तीसरे सत्र में दलहन व चारा फसलों को लेकर विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने उक्त फसलों की समस्याओं व उनके निदान के लिए सुझाव दिए। कार्यशाला के दूसरे दिन तिलहन फसलों, शुष्क कृषि, कृषि वानिकी को लेकर वैज्ञानिकों ने विचार रखे। इस दौरान प्रदेश के कृषि अधिकारियों व विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने-अपने क्षेत्र में गत वर्ष फसलों में आई समस्याओं को प्रस्तुत किया और उसको लेकर सुझाव दिए। इस दौरान विश्वविद्यालय के अधिकारी, अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, प्रदेश के कृषि अधिकारी व विद्यार्थी मौजूद रहे।

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