· खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाकर पर्याप्त खाद उपलब्ध कराए सरकार- दीपेंद्र हुड्डा · खाद किल्लत और कालाबाज़ारी का करीबी रिश्ता है, जो बिना सरकारी संरक्षण के संभव नहीं- दीपेंद्र हुड्डा · मंडियों में लुटा-पिटा किसान अब अगली फसल बुआई न हो पाने, फसल बर्बादी के डर से खाद पाने के लिये मिन्नतें कर रहा- दीपेंद्र हुड्डा · भूखे-प्यासे लाइनों में लगे अन्नदाता से सरकार आखिर कौन से जन्म का बदला ले रही है?- दीपेंद्र हुड्डा चंडीगढ़, 20 अक्टूबर। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रदेश में खाद की घोर किल्लत और खाद की कालाबाजारी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मंडियों में लुटा-पिटा किसान अब अगली फसल बुआई न हो पाने, फसल बर्बादी के डर से खाद पाने के लिये मिन्नतें कर रहा है। किसान का पूरा परिवार यहां तक कि घर के बुजुर्ग और बच्चे भी भूखे-प्यासे लाइनों में लगकर खाद का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल रही है। किसान इस बात से दुःखी है कि पर्याप्त खाद नहीं मिली तो अगली फसल की बिजाई भी नहीं हो पायेगी। इससे किसान पर दोहरी मार पड़े रही है। उसकी एक फसल तो बर्बाद हो गयी और अब रबी की फसल की बिजाई नहीं हो पायेगी। इससे सबसे बुरी तरह से वो किसान मारा जायेगा जो ठेके पर जमीन लेकर खेती करके अपने परिवार को पालता है। उन्होंने आरोप लगाया कि खाद किल्लत के पीछे सीधे-सीधे कालाबाजारी प्रमुख कारण है। क्योंकि खाद किल्लत और कालाबाज़ारी का करीबी रिश्ता है, जो बिना सरकारी संरक्षण के संभव नहीं। दीपेंद्र हुड्डा ने प्रदेश में खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाने और खाद की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की। दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि पूरे प्रदेश में खाद किल्लत बनी हुई है। 62 कोआपरेटिव मार्केटिंग सोसाइटीज और करीब 600 पैक्स समितियों में भी खाद उपलब्ध नहीं है। उन्होंने खाद की कमी नहीं होने के सरकार के खोखले दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर हरियाणा में खाद की किल्लत नहीं है तो थानों, पुलिस चौकियों से टोकन बांटने की नौबत क्यों आ गयी है। पुलिस खाद के टोकन बांट रही है और प्रदेश में अपराधी बेखौफ हो गये हैं। प्रदेश भर से आ रही खबरें सरकारी दावों को झुठला रही हैं। खबरों से स्पष्ट है कि प्रदेश में 3 लाख मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत के सापेक्ष इस समय मात्र 40 हजार मीट्रिक टन डीएपी ही उपलब्ध है। सांसद दीपेंद्र ने कहा कि प्रदेश के लगभग हर जिले में खाद की किल्लत को लेकर मचे हा-हाकार के चलते किसानों को मजबूरन प्रदेश से सटे आस-पास के जिलों में जाना पड रहा है। हिसार, भिवानी, महेन्द्रगढ़, पलवल आदि जिलों में सरसों की अगेती बुआई का समय है तो पानीपत, करनाल, अंबाला जिलों में आलु बिजाई के लिए किसानों को डीएपी खाद किल्लत झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि घर की महिलाएं चूल्हा-चौका छोड़क़र खाद की चिंता में भोर से ही लाइन लगाने को विवश हैं। हालात इस कदर खराब हैं कि घर की महिलाओं के साथ-साथ स्कूल जाने वाले बच्चे भी अपनी पढ़ाई-लिखाई छोडकर भूखे-प्यासे डीएपी खाद पाने को भटक रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि अन्नदाता से सरकार आखिर कौन से जन्म का बदला ले रही है? सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार खाद उपलब्धता के झूठे दावे करने की बजाय तुरंत पर्याप्त खाद उपलब्ध कराने पर ध्यान दे। Post navigation आज के संदर्भ में प्रौद्योगिकी व डिजिटल सेवाएं बहुत प्रासंगिक हैं : राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय भाजपा द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिख की शिकायत