मंडियों में भीग रही है किसान की फसल, तमाशबीन बनी देख रही सरकार- हुड्डा

किसानों को भुगतना पड़ रहा है गठबंधन सरकार की लेटलतीफी, लापरवाही और बदइंतजामी का खामियाजा- हुड्डा
सरकार द्वारा जानबूझकर की जा रही है खरीद, उठान और पेमेंट में देरी- हुड्डा
खाद के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं किसान- हुड्डा
पशुधन बीमा से पल्ला ना झाड़े सरकार, जारी रहनी चाहिए सरकारी बीमा योजना- हुड्डा

19 अक्टूबरचंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंडियों में अपनी फसल लेकर पहुंचे किसानों की हालत पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि किसान कई महीने की मेहनत से उगाई गई फसल को लेकर कई-कई दिनों से मंडियों में बैठे हैं। बारिश में उनकी फसल भीग रही है और सरकार तमीशबीन बनी देख रही है। 2 दिन की बारिश में किसानों का लाखों क्विंटल धान भीग गया। इतना ही नहीं, एजेंसियों द्वारा खरीदी गई फसल भी बारिश की भेंट चढ़ रही है। यह सब बीजेपी-जेजेपी सरकार की लेटलतीफी, लापरवाही और बदइंतजामी का नतीजा है। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

हुड्डा ने कहा कि सरकार की तरफ से ना मंडी में फसल ढकने के लिए तिरपाल की व्यवस्था की गई और ना ही समय पर उठान हुआ। सरकार द्वारा जानबूझकर पहले खरीद शुरू करने में देरी की गई और अब उठान व पेमेंट में देरी की जा रही है। अबतक किसानों पिछले कई सीजन से लगातार मौसम की मार से खराब हुई फसलों का मुआवजा भी नहीं दिया गया। ऐसा लगता है कि सरकार को किसानों की हालत पर बिल्कुल भी तरस नहीं आ रहा।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एक तरफ मंडियों में किसान फसल बेचने के लिए कतारों में खड़ें हैं तो दूसरी तरफ डीएपी खाद के लिए उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। कई-कई दिन घंटों कतार में भूखे-प्यासे खड़े रहने के बावजूद किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। इसके चलते फसलों की बुआई में देरी हो रही है। आने वाले समय में उत्पादन पर भी इसका असर पड़ेगा। यानी चौतरफा मार एकबार फिर किसान पर ही पड़ेगी। सरकार को किसानों की जरूरत व समस्या को समझते हुए जल्द से जल्द पर्याप्त मात्रा में खाद मुहैया करवानी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश सरकार द्वारा पशुधन बीमा बंद किए जाने का भी विरोध किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान उन्होंने किसानों को पशुधन का बीमा करवाने के लिए प्रेरित किया था। मात्र ₹100 में किसानों को बीमा का लाभ दिया जाता था। लेकिन, अब सरकार ने पशुपालकों को निजी कंपनियों के हवाले कर दिया है। जो बीमा पहले सरकार द्वारा महज ₹100  होता था, उसके लिए निजी कंपनियां 3-3 हजार रुपये वसूल रही हैं। हुड्डा ने कहा कि सरकार को पहले की तरह पशुधन का बीमा करना चाहिए और किसी भी तरह के अनहोनी होने पर पशुपालकों को पूरा मुआवजा देना चाहिए।

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