चण्डीगढ़ 18 अक्तूबर –  हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा देश का पहला इलेक्ट्रिक-ट्रैक्टर विकसित करने पर पूरे विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि कृषि के क्षेत्र में इलेक्ट्रिक-ट्रैक्टर आने से किसानों की आय में वृद्धि होगी और किसान समृद्ध होगा।

उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिक ट्रैक्टर की इस इलेक्ट्रिक-तकनीक को ब्रान्ड के रूप में विश्व बाजार तक लेकर जाएं, इससे ‘‘लोकल से ग्लोबल’’ तक ले जाने का सपना साकार होगा। इसके साथ ही आमजन का इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रूझान बढ़ेगा। देश और दूनिया में स्वच्छ पर्यावरण व प्रदूषण कम करने में इलेक्ट्रोनिक वाहन उपयोगी सिद्ध होंगे।

श्री दत्तात्रेय ने कहा कि केन्द्र सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल ( FAME    ) योजना शुरू की है। केन्द्र सरकार द्वारा इस योजना पर चालू वित्त वर्ष के दौरान 10,000 करोड़ रूपये की राशि खर्च की जा रही है।। सरकार द्वारा इस योजना के दूसरे चरण को 2024 तक बढ़ाने की घोषणा भी कर दी है। यह इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने में ऐतिहासिक कदम है।

उन्होंने प्रदेश की सभी प्रौद्योगिकी, तकनीकी व कृषि विश्वविद्यालयों को सुझाव दिया है कि वे यातायात व कृषि के क्षेत्र में प्रयोग होने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुसंधान तकनीक विकसित करने की दिशा में सरकार की इस फेम योजना का लाभ उठाएं। जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण की इस योजना को बल मिलेगा।

श्री दत्तात्रेय ने कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज में ई-ट्रैक्टर विकसित कर पूरे देश में पहचान बनाई है। इसके लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 बी.आर. काम्बोज व कृषि इन्जीनियरिंग और प्रौद्योगिकी काॅलेज के प्राध्यापकगण, इन्जीनियर व छात्र बधाई के पात्र हैं। जिनके कुशल मार्ग दर्शन व मेहनत से विश्वविद्यालय ने यह इतिहास रचा है। बैटरी चालित इस ट्रैक्टर के संचालन में डीजल ट्रैक्टर की तुलना में लागत बहुत ही कम होगी और किसानों को डीजल इत्यादि के लिए चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि इस इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर की बैटरी एक बार चार्ज करने पर 80 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। उन्होंने विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि पर कहा कि यह अनुसंधान कार्य कृषि क्षेत्र के लिए विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। इसके साथ-साथ उन्होंने सभी वैज्ञानिकों का आहवान किया कि अपने संस्थानों में इस प्रकार के वाहनों की अनुसंधान तकनीक विकसित करके मार्केट में उतारें और विश्व बाजार में भाग लेने के लिए आगे बढ़े। यह निश्चित रूप से युवाओं के लिए रोजगारोन्मुखी कदम होगा और विश्वविद्यालय लोकल से ग्लोबल स्तर पर जा पाएंगे।

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