किचन गार्डनिंग विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का समापन

हिसार : 18 अक्टूबर – चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सायना नेहवाल कृषि प्रशिक्षण व शिक्षा संस्थान द्वारा तीन दिवसीय किचन गार्डनिंग विषय पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज के दिशा-निर्देश एवं विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। संस्थान के सह-निदेशक (प्रशिक्षण)डॉ. अशोक गोदारा ने संस्थान की ओर से विभिन्न प्रशिक्षणों के माध्यम से बेरोजगार युवक-युवतियों को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जाता है। उन्होंने प्रशिक्षण संबंधी जानकारी देते हुए बताया कि सब्जी फसलों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मशीनीकरण और मूल्यवर्धन की खास भूमिका है। किसानों के खेत में पैदा होने वाली लगभग 30 प्रतिशत सब्जियां उचित भंडारण सुविधाओं के अभाव में खराब हो जाती हैं। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. दविंदर सिंह व डॉ. निर्मल कुमार ने प्रशिक्षण का सफल संचालन किया। प्रशिक्षण में देश के अलग-अलग राज्यों के लगभग 60 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। डॉ. सुरेन्द्र ने किचन गार्डन में मौसमी सब्जियों की कास्त करने, घर के भीतर खाली पड़ी भूमि में क्यारियां बनाकर सब्जी का उत्पादन करने और घर के कूड़े का कम्पोस्ट खाद बना कर प्रयोग करने के बारे में जानकारी दी।

प्रो-टे्र नर्सरी तैयार करने की दी जानकारी

डॉ. हरदीप सिंह ने घर में सब्जी की क्यारी बनाने के लिए समस्या ग्रस्त भूमि व खारे पानी का सुधार करने के बारे में जागरूक किया और मिट्टी व पानी के नमूने लेते समय सावधानी बरतने की सलाह दी। डॉ. दविंदर सिंह ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए नर्सरी तकनीक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों को नर्सरी व प्लास्टिक ट्रे में बीजरोपण करके पौधे तैयार करना की विधि प्रो-ट्रे नर्सरी तैयार करने के बारे में बताया। डॉ. डी.के. शर्मा ने किसानों को भंडारण सुविधाओं को अपनाने और सब्जियों से मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि विभिन्न सब्जियों से अचार, चटनी, मुरब्बा, सॉस, चिप्स आदि बनाये जा सकते हैं। डॉ. सतीश मेहता ने किचन गार्डनिंग के साथ-साथ खुम्ब उत्पादन करने के लिए भी प्ररित किया। डॉ भूपेंद्र ने किचन गार्डनिंग की सब्जियों में कीड़ों के नियंत्रण के बारे में जानकारी देते हुए लाभकारी और हानिकारक कीड़ों के बीच अंतर बताया और कहा कि किसान अपनी फसलों में लाभकारी व हानिकारक कीड़ों की पहचान करके उनका उचित प्रबन्ध कर सकते हैं। डॉ.निर्मल ने बताया कि सब्जियों की कास्त करके अन्य फसलों के मुक़ाबले किसान ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं। डॉ. नरेश कुमार ने सब्जियों की फसलों को ठंड व पाले से नियंत्रण और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. सुमित देसवाल ने सर्दी मौसम की सब्जियों की खेती के बारे में बताया। डॉ. राकेश चुघ ने किचन गार्डनिंग के साथ-साथ खेत में भी सब्जी की फसलों को बीमारियों से बचाने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रसायनों का नियंत्रित तरीके से उपयोग करना चाहिए क्योंकि बहुत अधिक उपयोग से उच्च खर्च, फसल का नुकसान, स्वास्थ्य के लिए खतरा और पर्यावरण प्रदूषण होता है। डॉ. दविंदर सिंह ने सभी प्रशिक्षणार्थियों का धन्यवाद किया।

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