ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला

-अमित नेहरा

जबसे मैंने ऐलनाबाद उपचुनाव पर यह विशेष श्रृंखला लिखनी शुरू की है, तभी से मेरे पास इससे सम्बंधित रोजाना सैंकड़ों फोन कॉल्स, व्हाट्सएप मैसेज आ रहे हैं। इन सभी का सवाल यही होता है कि बताइये इस उपचुनाव में कौन सा उम्मीदवार जीतेगा?

मैं इसका बड़ा सटीक उत्तर देता हूँ उससे कुछ लोग तो मेरे जवाब से संतुष्ट हो जाते हैं लेकिन ज्यादातर यही कहते हैं कि ये तो उन्हें भी पता है मगर आप सही-सही उत्तर दीजिए।

दरअसल मैं इस सवाल का जवाब यह देता हूँ कि जो उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट लेगा वही जीतेगा। इस उत्तर से बहुत से लोग मुँह बना लेते हैं और कहते हैं कि ये भी कोई बात हुई, यह तो सबको पता है।

तो जनाब फैक्ट तो यही है कि सबसे ज्यादा वोट लेने वाला उम्मीदवार ही विधायक बनेगा मगर लोग पार्टी और उम्मीदवार का नाम जानना चाहते हैं। कोई भी व्यक्ति इस सवाल का इस समय शत प्रतिशत सही उत्तर नहीं दे सकता क्योंकि अभी मतदान में काफी समय है और जीत-हार की परिस्थितियां बनते व बिगड़ते देर नहीं लगती, कभी भी पासा पलट सकता है।

लेकिन हाँ, हम इस बात पर चर्चा तो कर ही सकते हैं कि कौन सा उम्मीदवार कहाँ खड़ा है और उसके प्लस और माइनस प्वाइंट्स कौन से हैं।
यह तो साफ हो ही चुका है कि ऐलनाबाद चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय रहेगा। मुख्य मुकाबला इनेलो के अभय सिंह चौटाला, कांग्रेस के पवन बेनीवाल और बीजेपी के गोविंद कांडा के बीच ही रहने वाला है। इनके अलावा न तो कोई चौथी पार्टी या चौथा उम्मीदवार इतना मजबूत है कि वो इन तीनों को चुनौती दे सके।

आज हम चर्चा करेंगे बीजेपी उम्मीदवार गोविंद कांडा के इस समय तक के प्रदर्शन पर। नामांकन के अंतिम चरणों में बीजेपी की टिकट हासिल करने वाले गोविंद कांडा का प्लस प्वाइंट यह है कि वो सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार हैं। सरकारी मशीनरी और सरकार उनकी सहायता के लिए तैयार दिखाई दे रही है।

इसके अलावा उनके परिवार के आर्थिक हालात भी काफी मजबूत हैं।

लेकिन उनकी परेशानी यह है कि ऐलनाबाद सीट ग्रामीण बाहुल्य और कृषि प्रधान है। यहाँ के ग्रामीण इलाकों में नए कृषि कानूनों के खिलाफ काफी रोष है अतः गोविंद कांडा को गाँवों में घुसने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों के सैंकड़ों जवानों के अलावा उनके खुद के भी सैकड़ों पर्सनल बॉडीगार्ड उनके लिए गाँवों में जाने के लिए विरोध कर रहे ग्रामीणों से रास्ता खुलवाने में लगे रहते हैं। ग्रामीणों के डर से ज्यादातर गांवों में ज्यादातर पार्टी वर्कर उन्हें अपने घर बुलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। गोविंद कांडा के काफिले की आंदोलनकारी किसानों के साथ रोजाना कहीं न कहीं नोकझोंक की खबरें आ ही जाती हैं। आपको याद होगा ही कि चुनाव प्रचार के पहले दिन ही गुरुद्वारा सिंह सभा में उपस्थित किसान आंदोलन समर्थकों की गोविंद कांडा के काफिले के साथ हाथापाई की नौबत आ गई थी।

इसके अलावा उनके भाई और हलोपा विधायक गोपाल कांडा भी उनके साथ रहते हैं। मगर गोपाल कांडा, गीतिका शर्मा आत्महत्या केस में आरोपी हैं अतः गोविंद को इस मामले में भी सफाई देनी पड़ रही है।

गोविंद कांडा अपने जनसंपर्क में मुख्य मुद्दा कृषि कानूनों की खासियत बताना नहीं है बल्कि वो जगह-जगह लोगों को ये विश्वास दिलाते नजर आ रहे हैं कि उनके चुने जाने पर अगले तीन साल में ऐलनाबाद की अभूतपूर्व तरक्की होगी।

लेकिन गोविंद कांडा यह पूछने पर निरुत्तर हो जाते हैं कि पिछले सात साल से यही सरकार राज्य में सत्तारूढ़ है तो इस दौरान यहाँ विकास क्यों नहीं हुआ!

चलते-चलते

ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए 30 अक्टूबर को होने वाले मतदान के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रहे इसके लिए पुलिस विभाग द्वारा पूरी विधानसभा क्षेत्र के 20 गांवों के 66 बूथ अतिसंवेदनशील व 18 गांवों के 55 बूथ संवेदनशील चिह्नित किए गए हैं। इन सभी मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहेगी ताकि मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण व निष्पक्ष तरीके से सम्पन्न करवाई जा सके।

क्रमशः

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, लेखक, समीक्षक और ब्लॉगर हैं)

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