बहादुरगढ़।कलमवीर विचार मंच के तत्वावधान में आयोजित आनलाईन काव्य गोष्ठी में जिला झज्जर, गुरुग्राम व भिवानी के कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। भिवानी के प्रख्यात कवि विकास यशकीर्ति के सानिध्य में संपन्न हुई इस गोष्ठी का संचालन गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ उदीयमान युवा कवि कुमार राघव की रचनाओं से हुआ। उनकी ये पंक्तियां बेहद पसंद की गईं- दिन के पीछे रात पहुँच ही जाती है,यादों की सौगात पहुँच ही जाती है।लाख छुपाऊँ चेहरे की भाषा से मैं,माँ तक मेरी बात पहुँच ही जाती है। कवयित्री सुनीता सिंह ने भी बचपन की यादों को एक गीत में समेटते हुए कई शब्द चित्र प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा….. मेरे प्यारे से बचपन में,लम्हे अनमोल हज़ार मिले,कुछ रूठे,कुछ बिखर गए,कुछ खुशियों से गुलज़ार मिले।आँखों के काजल से अम्मा नज़र उतारा करती थी,ओढ़ी चादर हटा-हटा के ,मुझे निहारा करती थी,सर्द हवाएँ,लंबी रातें,सतरंगी त्योहार मिले। हरियाणवी हास्य कवि सुंदर कटारिया ने एक शराबी की मानसिकता का चित्रण करते हुए यह कविता सुनाई… “वो बेवड़ा रोज सामने वाले ठेके पर आता हैमुझे देखता है, तिलमिलाता है।कितने दुख में जी रहा हैमैने उसे दस साल पहले रिजैक्ट किया था वो आज तक पी रहा है।” मैं बोला-” पगलीवो शानदार जिन्दगी जीता हैदुख में नही खुशी में पीता है।तुम समझती हो वो तुम्हारा वेट कर रहा हैसमझदार है तुम्हारे रिजैक्शन को आज तक सैलीब्रेट कर रहा है।” कवि-कलाकार वीरेंद्र कौशिक ने श्रंगार रस की रचनाएं सुनाईं। एक बानगी देखिए… सारे शिकवे-गिले तब से जाते रहे, जब से तू भी मुझे याद करने लगी ।तेरे चेहरे की मुस्कान जादू भरी,मेरी हर एक पीड़ा को हरने लगी । विकास यशकीर्ति ने जीवन की अनेक विसंगतियों को गीतों व ग़ज़लों में पिरोया। उनके दो शेर आपकी खिदमत में हाजिर हैं… ऐ खुदा ! ये मुफ़लिसी औ’ आसमानी बिजलियां,वायदा कब तक निभा पायेंगी टूटी खिड़कियां।जुड़ गई जिस घर से,वो खुद ईंट पत्थर हो गई,कौन सी भट्टी में पकती हैं भला ये लड़कियां। कार्यक्रम का समापन गोष्ठी का संचालन कर रहे गीतकार विद्यार्थी के मुक्तकों से हुआ। एक मुक्तक आपके लिए…. फूलों की ख्वाहिश में जंगली घास ने मारा मुझे,दूर तक पानी है लेकिन प्यास ने मारा मुझे।आप ने तो साथ चलकर फर्ज़ पूरा कर दिया,मैं अकेला हूं इसी अहसास ने मारा मुझे। उनकी रचनाओं के साथ ही लगभग दो घंटे तक चली इस गोष्ठी का समापन हुआ। Post navigation किसानों एवं मजदूरों के हकों के लिये मकड़ौली टोल किसान महापंचायत में दहाड़े महम विधायक बलराज कुंडू घोटालों की भेंट चढ़ीं भर्तियां, युवाओं को मजबूरी में सड़कों पर संघर्ष करना पड़ रहा – दीपेंद्र हुड्डा