भगवान राम से भी बड़ा है भगवान राम का नाम: धर्मदेव

आज के परिवेश में पटोदी भगवान राम की अयोध्या जैसी ही.
हिंदू और सनातनी ही नहीं मुस्लिम भी रहे हैं राम के भक्त.
संपूर्ण ब्रह्मांड में राम ही सत्य है और सत्य ही राम है.
पटोदी नोहटा चौक पर भगवान राम का किया राज तिलक

फतह सिंह उजाला

पटौदी । समाज सुधारक, चिंतक, धर्म ग्रंथों के ज्ञाता, वेदों के मर्मज्ञ , संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर धर्म देव ने कहा कि भगवान राम से बड़ा इस ब्रह्मांड में कुछ है तो वह स्वयं भगवान राम का नाम ही है । आज के मौजूदा परिवेश में पटोदी नगरी वास्तव में भगवान राम की अयोध्या के बराबर और समकक्ष ही है । पटौदी में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के साथ साथ अन्य सभी वर्गों के लोग ठीक इसी प्रकार से रह रहे हैं जैसे भगवान राम के समय में राम राज्य के दौरान सभी धर्म वर्ग संप्रदाय के लोग रहते थे । यह बात उन्होंने पटौदी के कनॉट प्लेस कहलाए जाने वाले नोहटा चौक पर शनिवार देर शाम भगवान श्री राम के राजतिलक समारोह को संबोधित करते हुए कही।

इससे पहले मंत्रों उच्चारण तथा संपूर्ण विधि विधान के साथ भगवान राम का राजतिलक किया गया। राज तिलक इस दृष्टिकोण से किया गया कि भगवान राम श्री लंका पर विजय प्राप्त कर अपने भाई बंधुओं के साथ अयोध्या लौटे थे। राम जब वनवास के लिए गए थे , उस समय भगवान राम के राजतिलक की संपूर्ण तैयारियां की जा चुकी थी।  लेकिन विधि और विधान मैं जो कुछ विधाता ने लिखा था, भगवान राम को भी उसी के मुताबिक ही अपना जीवन यापन करना पड़ा। भगवान राम वनवास को चले गए और 14 वर्ष के वनवास के दौरान जो कुछ भी घटा, वह हम सभी अनंत काल से मंचित की जा रही रामलीला के मंच पर देखते चले आ रहे हैं । महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज ने कहा भगवान श्री राम का जीवन और जीवन आदर्श तथा जीवन मूल्य हम सभी को कुछ ना कुछ शिक्षा किसी न किसी रूप में अवश्य प्रदान करते आ रहे हैं । फिर वह चाहे दिए गए वचन को निभाने का मामला हो आसुरी प्रवर्ती के लोगों का नरसंहार किया जाना हो या फिर अन्याय के खिलाफ भगवान राम के द्वारा उठाए गए अपने धनुष बाण ही क्यों ना हो।

उन्होंने कहा आज के समय में पूरी दुनिया में रामलीला के मंचन के माध्यम से भगवान राम के जीवन मूल्यों और आदर्शों को जीवंत तरीके से प्रस्तुत किया जाता रहा है। दुनिया में सबसे अधिक रूस में ही रामलीला का मंचन अनेकों वर्षों से नियमित रूप से होता आ रहा है । महामंडलेश्वर धर्मदेव ने कहा कि भगवान राम के जीवन आदर्श और जीवन मूल्य और उनके द्वारा किए गए जनकल्याण के कार्यों के माध्यम से जो शिक्षा मिलती है , यही शिक्षा सभी का कल्याण करने के लिए पर्याप्त है । उन्होंने कहा खान रहीम नामक मुस्लिम भी भगवान राम के जीवन आदर्शों और मूल्यों से इतना अधिक प्रभावित हुआ की भगवान राम का अन्य भक्त बन गया । इतना ही नहीं  तुलसीदास जी को भी अपने गुरु के रूप में स्वीकार किया ।

उन्होंने कहा पटौदी की पहचान मुस्लिम राजा की रियासत के रूप में रही है , लेकिन वास्तव में पटौदी नगरी अयोध्या के समकक्ष मौजूदा परिवेश-हालात में आजाद भारत की अपनी ही प्रकार की एक अनोखी अयोध्या के रूप में पहचान कायम किए हुए हैं।  हम सभी को पटौदी की एकता अखंडता और भाईचारे को भगवान राम के जीवन आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करते हुए सदियों तक बनाकर रखने का संकल्प भी लेना चाहिए । इस मौके पर उन्होंने कहां की इस ब्रह्मांड में सबसे बड़ा सत्य राम और राम ही सत्य है । इस बात को झूठे लाया जाना असंभव है । अंत में महामंडलेश्वर धर्म देव ने भगवान राम के राजतिलक समारोह के मौके पर मौजूद सभी लोगों के जीवन कल्याण की और जीवन में उत्तरोत्तर तरक्की के लिए भगवान श्रीराम से कामना भी की।

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