NEW DELHI, SEP 22 (UNI):- Congress President Rahul Gandhi with party spokesperson Randeep Surjewala addressing a press conference on Rafale deal issue, at AICC headquarters, in New Delhi on Saturday. UNI PHOTO-RK1U
राहुल गांधी के सहयोगी रणदीप सुरजेवाला और प्रियंका के साथ हैं दीपेंद्र हुड्डा

धर्मपाल वर्मा

चंडीगढ़ – कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी अब कांग्रेस पार्टी के लिए महत्वपूर्ण फैसले और रणनीति तय करने का काम बखूबी कर रही है ।इस मामले में पंजाब में पार्टी के एक शक्तिशाली नेता और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा त्यागपत्र देने के लिए माहौल बनाना तथा उनकी मर्जी के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाना मुख्य तौर पर प्रियंका गांधी के ही फैसले माने जा रहे है। कभी कांग्रेस में अहमद पटेल संकट मोचक नेता के रूप में काम करते थे अब वह भूमिका प्रियंका गांधी निभाती नजर आ रही है। बेशक अभी पंजाब में अंदरूनी उठापटक जारी है लेकिन इसे कोई चिंता का विषय नहीं रूटीन बताया जा रहा है और यह मानकर चला जा रहा है कि कुछ भी हो पंजाब में अगली सरकार कांग्रेस की ही बनने जा रही है । यदि ऐसा होता है तो यह श्रेय भी प्रियंका गांधी और राहुल गांधी दोनों को जाएगा।

प्रियंका गांधी ने दूसरा महत्वपूर्ण फैसला लखीमपुर खीरी जिले में किसानों पर गाड़ी चढ़ा कर उन्हें कुचलने और मार देने के मामले में आक्रामक रवैया अपनाने और सरकार को बैकफुट पर ले आने का काम बखूबी किया है । इससे उत्तर प्रदेश के लोग ही कांग्रेस को एक ताकत मानने लगे हैं ।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के दस्तक मात्र से बहुजन समाज पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। प्रियंका गांधी ने ऐसी स्थिति लाकर खड़ी कर दी है कि हिंदू भी और मुस्लिम भी और तो और मुलायम सिंह का परिवार भी उनकी भूमिका और उपयोगिता को अच्छे से महसूस करने लगा है। अब ऐसी परिस्थितियां बन गई है कि विधानसभा चुनाव में यूपी में एक बार फिर सपा और कांग्रेस का गठबंधन होगा और दोनों मिलकर अच्छे से परफॉर्म कर सकेंगे।

लखीमपुर खीरी प्रकरण में मंत्री पुत्र की गिरफ्तारी आसान नहीं थी। उसे गिरफ्तार करने वाले ही उसे बचाने के सारे प्रबंध पुख्ता करके चल रहे बताए गए थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट और कांग्रेस के हस्तक्षेप के बाद पुलिस को क़ानून सम्मत कार्रवाई करने को मजबूर होना पड़ा।

प्रियंका गांधी अब जिस विषय पर फोकस कर रही है वह मुख्य आरोपी के पिता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त करने की मांग है। अब ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री के पास गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त करने के सिवाय कोई और विकल्प बचेगा ही नही ।

प्रियंका गांधी एक बड़ा कूटनीतिक काम और कर रही है जिसके दूरगामी परिणाम सामने आ सकते हैं ।वह एक तीर से तीन शिकार कर रही है और वह भी चोरी चोरी चुपके चुपके नहीं सरेआम और धड़ल्ले से किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के अपने संघर्ष के इस दौर में एक युवा नेता को अपने साथ रखने की कवायद पर काम करती देखी जा सकती हैं और वह नेता कोई और नहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा है। आज यह देखा जा रहा है कि जिस तरह राहुल गांधी का सहयोग रणदीप सिंह सुरजेवाला कर रहे हैं वैसे ही प्रियंका गांधी की टीम में दीपेंद्र हुड्डा है। इसीलिए कहा जाता है कि दिल्ली की सरकार और पार्टियों के संगठन में अरुण नीतियां तय करने में हरियाणा और हरियाणा के लोगों का हमेशा से भूमिका और योगदान रहता आया है। यूपी के सारे प्रमुख मामलों के कार्यक्रमों में प्रियंका गांधी के साथ दीपेंद्र हुड्डा खास तौर पर देखे गए हैं। इससे भी एक तीर से तीन शिकार कर रही है। एक तो इससे जाट समुदाय में सकारात्मक संदेश जा रहा है वह भी उत्तर प्रदेश हरियाणा पंजाब और दिल्ली में यहां तक कि राजस्थान में भी जहा दीपेंद्र सिंह हुड्डा की ससुराल है।

जब दीपेंद्र हुड्डा प्रियंका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते नजर आते हैं तो इससे जाटों में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति उमड़ती दिखती भी है।

दीपेंद्र हुड्डा को अपने विश्वास में लेकर प्रियंका गांधी ने जी 23 के नेताओं में खलबली पैदा कर रखी है । जी 23 के जितने नेता हैं उनमें सबसे मजबूत भूपेंद्र सिंह हुड्डा को माना जाता है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र का प्रियंका गांधी को मिल रहा सहयोग जी 23 के नेताओं को इस कदर विचलित कर रहा है कि वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ही संदेह की दृष्टि से देखने लगे हैं ।जाहिर है इससे फूट के आसार बढ़ जाएंगे। इस समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा की स्थिति यह है कि वे अपने पुत्र की मर्जी के अनुरूप ही काम और कार्रवाई करेंगे और कर भी रहे हैं। सब जानते हैं कि श्री हुड्डा इस समय अपने बेटे को राजनीति में एक बड़ा स्टेटस दिलाने की योजना पर काम कर रहे हैं और उनकी इस मंशा और अपेक्षा को प्रियंका गांधी अच्छे से समझती हैं। तीसरा लाभ यह है कि दीपेंद्र हुड्डा एक अच्छे प्रवक्ता के रूप में स्थापित हो गए हैं वह मंच का अच्छा सदुपयोग करने लगे हैं। हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी में धारा प्रवाह और प्रभावशाली भाषण देते हैं और प्रियंका गांधी को जिस तरीके से एक मजबूत नेता के रूप में प्रस्तुत करते हैं उससे खुद उन्हें प्रियंका गांधी और कांग्रेस तीनों को प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है।

आज नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के संगठन मंत्री महासचिव वेणुगोपाल से मिलेंगे इस मुलाकात में पंजाब के प्रभारी हरीश रावत भी शामिल होंगे।
बाद में उनकी मुलाकात प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से भी होनी है ।ऐसे में यह माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी हालातों के मध्य नजर रखते हुए नवजोत सिंह सिद्धू को अध्यक्ष के रूप में काम करते रहने की कहेंगी और उन्हें मना भी लेंगी। सिद्धू के त्यागपत्र को स्वीकार करने के हालात नहीं है और कांग्रेस की आज की जरूरत भी यही है। अभी इस मामले को निपटाने की जरूरत इसलिए है की फिर 16 अक्टूबर को नई दिल्ली में ही सीडब्ल्यूसी मतलब कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होने जा रही है जिसमें संगठन के चुनाव और इसकी तारीख आदि तय की जानी है । सीडब्ल्यूसी में 51 सदस्य हैं उनमें चार कुमारी शैलजा, दीपेंद्र हुड्डा, कुलदीप बिश्नोई और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल हैं।

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