-कमलेश भारतीय

राम रहीम अपने ही मैनेजर रणजीत सिंह की हत्या के केस में दोषी पाये जाने पर फैसले से पहले दया की , रहम की अपील करने लगा है । कितनी तरह की बीमारियां गिना कर कम से कम सज़ा की अपील करते हुए आठ पेज का खत लिखा है जिसे अंग्रेजी में अनुवाद करवा राम रहीम के हस्ताक्षर सुनारिया जेल में लिए गये ।

कितना बड़ा डेरा बल्कि पूरा साम्राज्य जैसे और दिल कितना छोटा कि गला सी विरोध की चिंगारी न सह सका । न केवल पत्रकार छत्रपति बल्कि डेरा मैनेजर रहे रणजीत की भी हत्या करना दी । क्या यह किसी धार्मिक डेरे के प्रमुख का काम है ?

यदि पत्रकार छत्रपति का परिवार राम रहीम के खिलाफ डटकर सामने न आता तो सारे कुकर्भों पर पर्दा पड़ा रहता । लेकिन सच्चाई छुप नहीं सकती और न छुपी रह सकी । अंशुल छत्रपति ने लगातार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जो आसान नहीं था । अंशुल के ऊपर भी उतना ही खतरा मंडरा रहा था लेकिन उसने हिम्मत न हारी और संघर्ष जारी रखा जिसका परिणाम सामने है कि अब राम रहीम को इतना बैकफुट पर ला दिया है कि रहम की अपील कर रहा है ।

यह बहुत बड़ा सबक है आम आदमी के लिए भी कि अन्याय को सन करना बंद करो और ऐसे तथाकथित डेरों से दूर रहो । मन की शांति अपने अंदर बी खोजो न कि किसी धार्मिक स्थल पर जाकर खोजो । सबको सबक । अब सज़ा का इंतज़ार है और कितना रहम करते हैं , कितना नहीं ,,,
-पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।